नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को रियल एस्टेट कंपनी यूनिटेक के नए निदेशक मंडल को समूह की रुकी हुई परियोजना को पूरा करने के लिए परियोजना प्रबंधन सलाहकार (पीएमसी) नियुक्त करने की इजाजत दी।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि नया प्रबंधन बोर्ड रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए पीएमसी की नियुक्ति के साथ आगे बढ़ सकता है।
पीठ ने कहा कि पीएमसी को परियोजना के ‘ए’ हिस्से का काम दिया जा सकता है और उनके काम के लिए फीस भी तय की जा सकती है।
शीर्ष अदालत ने सुरक्षा एआरसी के साथ दावों के निपटान के बारे में नए प्रबंधन बोर्ड द्वारा दायर की गई कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) को भी संज्ञान में लिया और कहा कि अभी तक कोई समाधान नहीं मिला है।
पीठ ने कहा कि वह सुरक्षा एआरसी के वकील को यूनिटेक के साथ दावों के समाधान का रास्ता खोजने के लिए एक आखिरी मौका दे रही है।
न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता पराग त्रिपाठी से कहा कि यूनिटेक के तत्कालीन प्रबंधन के बीच सुरक्षा के लेनदेन को देखते हुए ऐसा लगता है कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धनशोधन की जांच की आवश्यकता है।
पीठ ने कहा कि दीपावाली की छुट्टी के बाद मामले की आगे सुनवाई की जाएगी।
न्यायालय ने 21 अक्टूबर को यूनिटेक समूह के नए प्रबंधन बोर्ड को व्यावहारिक नजरिया अपनाने और सुरक्षा एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (एआरसी) के साथ बकाया दावों पर विवाद को बातचीत के जरिए हल करने करने को कहा था।
पीठ ने कहा कि सुरक्षा एआरसी के प्रबंधन को भी अपना नजरिया बदलना होगा, और पर्याप्त कटौती करनी होगी, वर्ना यदि यह मामला दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता के तहत चला गया तो उन्हें कुछ नहीं मिलेगा।
पीठ ने कहा, ‘‘जिस तरह से सुरक्षा एआरसी के दावों पर विवाद का समाधान नहीं हो रहा है, उससे हम संतुष्ट नहीं हैं। एआरसी के प्रबंधन को पर्याप्त कटौती करने के लिए तैयार रहना चाहिए। हमें खुशी होगा यदि यूनिटेक बोर्ड भी विवाद को हल करने के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाएगा।’’
शीर्ष अदालत यूनिटेक के नए बोर्ड की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें रुकी हुई परियोजनाओं के निर्माण के लिए परियोजना प्रबंधन सलाहकार (पीएमसी) की नियुक्ति की अनुमति मांगी गई थी।
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