उत्तराखंड में कोरोना वायरस संक्रमण अभी नियंत्रित : मुख्यमंत्री रावत
यहां संवाददाताओं से बातचीत में रावत ने कहा, ‘‘पिछले 100 घंटे में कोई नया मामला सामने नहीं आया है और सात लोग स्वस्थ होकर घर लौट गये हैं। दो-तीन अन्य मरीजों की भी दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आने की संभावना है। कुल मिलाकर स्थिति नियंत्रण में है।’’
देहरादून, 13 अप्रैल उत्तराखंड में पिछले चार दिन में कोरोना वायरस संक्रमण का कोई नया मामला सामने नहीं आया है, जिसके बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को कहा कि प्रदेश में स्थिति नियंत्रण में है लेकिन दुनिया में इस महामारी के कुप्रभावों को देखते हुए लंबे समय तक सर्तकता बरतने और सजगता से रहने की जरुरत हैं
यहां संवाददाताओं से बातचीत में रावत ने कहा, ‘‘पिछले 100 घंटे में कोई नया मामला सामने नहीं आया है और सात लोग स्वस्थ होकर घर लौट गये हैं। दो-तीन अन्य मरीजों की भी दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आने की संभावना है। कुल मिलाकर स्थिति नियंत्रण में है।’’
प्रदेश में आठ अप्रैल को चार लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि होने के बाद प्रदेश में संक्रमित लोगों की संख्या 35 हो गयी थी। लेकिन उसके बाद से अभी तक कोई नया मामला सामने नहीं आया है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि भविष्य में हालात बिगड़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता क्योंकि कई बार संक्रमण के बावजूद लक्षण सामने नहीं आ रहे हैं और कई लोगों में संक्रमण के लक्षण एक महीने बाद भी नजर आ रहे हैं।
जनता को इस समय अत्यधिक सतर्कता बरतने की सलाह देते हुए कहा कि बाहर निकलने पर चेहरा खासतौर पर मुंह, नाक, आंख ढक कर रखें। उन्होंने कहा कि चेहरा ढकने के लिए मास्क के स्थान पर किसी भी कपड़े.... जैसे दुप्पटा, स्टोल, गमछा आदि का उपयोग किया जा सकता है और ऐसा करके 80 प्रतिशत तक बीमारी से संक्रमित होने के खतरे से बचा जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने इस महामारी से निपटने के लिए धर्मगुरूओं तथा समाज के प्रतिष्ठित लोगों को भी आगे आकर सरकार के साथ सहयोग करने पर जोर दिया और कहा कि महामारी की प्रकृति को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि हालात कभी भी काबू से बाहर जा सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह से दुनिया में कोरोना (वायरस संक्रमण) का दुष्प्रभाव देखा जा रहा है, उसमें लंबे समय तक सर्तकता और सजगता से रहने की जरुरत होगी।’’
कल हल्द्वानी के वनभूलपुरा में हुई घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिये हमें सख्त कदम भी उठाने पड़ें तो उठायेंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से कल हजारों लोगों की भीड़ सामने आयी, उसके बाद मजबूरी में कर्फ्यू लगाना पड़ा।
वनभूलपुरा में एक स्थानीय मस्जिद के इमाम को पृथक वास में रखने की प्रशासन की कोशिश का विरोध करने के लिये बड़ी संख्या में लोग घरों से बाहर आ गये थे।
लॉकडाउन में चरणबद्ध तरीके से शिथिलता देने के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस महामारी के खिलाफ पूरे देश को एकजुटता से लड़ना होगा और पूरे देश में एक तरह की रीति नीति अपनाने की जरूरत है। आज शाम या कल सुबह तक भारत सरकार का ‘‘एक्जिट प्लान’’ (लॉकडाउन की समाप्ति से जुड़ी योजना) सामने आने की उम्मीद जताते हुए उन्होंने कहा कि उसी के हिसाब से प्रदेश में आगे निर्णय लिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि दून मेडिकल कालेज, आहूजा लैब्ज और भारतीय पैट्रोलियम संस्थान :आइआइपी: को नमूनों की जांच करने की अनुमति मिल गयी है और श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के लिये अनुमति लेने का प्रयास भी किया जा रहा है जिससे परिवहन में लगने वाला समय कम हो जाए।
लॉकडाउन के कारण उत्तराखंड में फंसे पर्यटकों के बारे में पूछने पर मुख्यमंत्री ने बताया कि 1,300 विदेशी सैलानियों समेत करीब ढाई हजार लोग ऐसे हैं जो अपने घर नहीं लौट सके।
उन्होंने कहा कि 1,200 घरेलू पर्यटकों में से सबसे ज्यादा संख्या (175) पश्चिम बंगाल के लोगों की है जबकि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के भी पर्यटक यहां हैं।
मुख्यमंत्री ने उनकी घर वापसी के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इस पर विचार चल रहा है लेकिन यह तभी संभव है जब उनके राज्य भी उन्हें वापस बुलाने को तैयार हों। उन्होंने कहा कि जब तक दोनों राज्यों की सहमति नहीं बनेगी तब तक इस बारे में एकतरफा निर्णय से काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा, ‘‘लोग रास्ते में रहेंगे, परेशानी होगी। यहां कम से कम ठिकाने पर हैं, खाना मिल रहा है और वे सुरक्षित हैं।’’
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