देश की खबरें | कोविशील्ड के लिए एक महीने में ईएमए की मंजूरी मिलने का भरोसा: पूनावाला
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. टीका निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने बुधवार को कहा कि कंपनी को एक महीने में अपने कोविड-19 टीके कोविशील्ड के लिए यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) से मंजूरी मिलने का भरोसा है।
नयी दिल्ली, 30 जून टीका निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने बुधवार को कहा कि कंपनी को एक महीने में अपने कोविड-19 टीके कोविशील्ड के लिए यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) से मंजूरी मिलने का भरोसा है।
पूनावाला ने यह भी कहा कि वैक्सीन पासपोर्ट का मुद्दा देशों के बीच परस्पर आधार पर होना चाहिए।
पूनावाला ने इंडिया ग्लोबल फोरम 2021 में कहा, ‘‘ईएमए का हमें आवेदन करने के लिए कहना बिल्कुल सही है, जो हमने हमारे साझेदार एस्ट्राजेनेका के माध्यम से एक महीने पहले कर दिया गया है और उस प्रक्रिया में अपना समय लगता है। ब्रिटेन एमएचआरए, डब्ल्यूएचओ के साथ भी अनुमोदन प्रक्रिया में समय लगा और हमने ईएमए में आवेदन किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें पूरा विश्वास है कि एक महीने में ईएमए कोविशील्ड को मंजूरी दे देगा। ऐसा नहीं करने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि यह एस्ट्राजेनेका डेटा पर आधारित है और हमारा उत्पाद कमोबेश एस्ट्राजेनेका के समान है और इसे डब्ल्यूएचओ, ब्रिटेन एमएचआरए द्वारा अनुमोदित किया गया है। तो यह सिर्फ समय की बात है।’’
यह मुद्दा इसलिए उठा है कि क्योंकि इस मुद्दे का अभी समाधान नहीं किया गया और जब भारत प्रतिबंध की सूची से बाहर होगा और जब नागरिक यात्रा करना चाहेंगे तो उन्हें किसी देश में सिर्फ इसलिए मना नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि उनके पास कोविशील्ड प्रमाणपत्र है।
आपूर्ति बढ़ाने के लिए टीकों पर बौद्धिक संपदा अधिकारों की छूट के मुद्दे पर, पूनावाला ने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकारों की छूट शायद टीकों की तत्काल कमी को हल करने वाली नहीं है। उन्होंने कहा कि हालांकि, यह भविष्य की महामारियों के लिए तैयार रहने के लिए लंबी अवधि में एक अच्छी रणनीति है।
पूनावाला ने कहा कि निर्यात को रोकने का निर्णय विशेष रूप से तनावपूर्ण था, ‘‘क्योंकि वह केवल हमारा सहयोगी एस्ट्राजेनेका नहीं था जिसे दुनिया के अन्य हिस्सों के लिए टीकों की आवश्यकता थी, वह कोवैक्स था, अन्य देश थे जिनके साथ हमारी प्रतिबद्धता थी, हमने उनसे अग्रिम धन लिया था, हमें उस धन में से कुछ वापस करना पड़ा और दुनिया के अन्य नेताओं को यह समझाना भी पड़ा कि उस समय वास्तव में और कोई विकल्प नहीं था।’’
पूनावाला ने कहा कि हर किसी के लिए इसे स्वीकार करना वास्तव में मुश्किल था, लेकिन धीरे-धीरे जब उन्हें एहसास हुआ कि भारत में क्या हो रहा है, तो हर कोई वास्तव में सहायक और समझदार था।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)