विदेश की खबरें | ईरान में जेल में बंद नोबेल विजेता नरगिस मोहम्मदी की सेहत को लेकर चिंताएं बढ़ीं
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) को भेजे गए 40 से अधिक अधिकार समूहों के हस्ताक्षर वाले एक पत्र में नरगिस को उन आरोपों में सुनाई गई जेल की सजा से तत्काल चिकित्सकीय फर्लो पर रिहा करने का आग्रह किया गया है, जिनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लंबे समय से आलोचना हो रही है।

इस पत्र को ईरान पर नरगिस की रिहाई का दबाव बढ़ाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। नोबेल समिति के नरगिस को पिछले साल शांति पुरस्कार से सम्मानित किए जाने के बाद से ही ईरान पर उनकी रिहाई का दबाव बनाने का अभियान चलाया जा रहा है

सोमवार को भेजे गए पत्र में कहा गया है, “हम ईरानी अधिकारियों से मानवाधिकारों का अपराधीकरण रोकने और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों एवं लेखकों की सेहत ठीक न होने पर उन्हें जेल में कैद करने से बचने का आग्रह करते हैं।”

संयुक्त राष्ट्र में ईरान के दूतावास ने इस पत्र पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वहीं, अतीत में नरगिस की रिहाई के लिए चलाए गए अभियान को तवज्जो न देने वाले ईरान के सरकारी मीडिया ने भी पत्र पर कोई खबर नहीं प्रकाशित की है।

नरगिस (52) राज्य विरोधी तत्वों के साथ मिलीभगत और ईरान सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार के आरोप में कुल 13 साल और नौ महीने की जेल की सजा काट रही हैं। कई बार गिरफ्तार किए जाने और सलाखों के पीछे लंबी अवधि गुजारने के बावजूद उन्होंने अपना अभियान जारी रखा है।

पत्र के मुताबिक, जेल में रहने के दौरान नरगिस को कई बार दिल का दौरा पड़ा और 2022 में उनकी आपात सर्जरी की गई थी। नवंबर की शुरुआत में नरगिस के वकील ने बताया कि डॉक्टरों ने उनके दाएं पैर की एक हड्डी में घाव की पुष्टि की है, जिसके बारे में उन्हें आशंका है कि यह कैंसर हो सकता है। इसके बाद बृहस्पतिवार को उनकी सर्जरी की गई।

पत्र में कहा गया है, “नरगिस को चिकित्सकीय सलाह के विरुद्ध सर्जरी के महज दो दिन बाद वापस जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। नरगिस को चिकित्सा फर्लो पर रिहा करने और उनकी सजा निलंबित करने के उनके विधि टीम के आग्रह को भी नजरअंदाज कर दिया गया।”

इसमें कहा गया है, “वर्षों की कैद और महीनों के एकांत कारावास ने नरगिस के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिससे उन्हें कई ऐसी स्वास्थ्य जटिलताओं का सामना करना पड़ रहा है, जिन्हें अस्पताल में बिताई गई छोटी अवधि में संबोधित नहीं किया जा सकता।”

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