चिराग पासवान ने यूपीएससी के ‘‘लेटरल एंट्री’’ से संबंधित विज्ञापन को रद्द किए जाने की सराहना की

केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) के ‘‘लेटरल एंट्री’’ से संबंधित विज्ञापन को रद्द किए जाने की सराहना करते हुए मंगलवार को कहा कि इससे केंद्र ने अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है.

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पटना, 20 अगस्त : केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) के ‘‘लेटरल एंट्री’’ से संबंधित विज्ञापन को रद्द किए जाने की सराहना करते हुए मंगलवार को कहा कि इससे केंद्र ने अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है. पटना में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पासवान ने सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की नौकरशाही में ‘‘लेटरल एंट्री’’ को लेकर कांग्रेस के नेतृत्व वाले ‘‘इंडिया’’ गठबंधन द्वारा की जा रही आलोचना पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि पिछली सरकारें वंचित जातियों के लिए आरक्षित पदों को भरने में विफल रहीं. यूपीएससी ‘लेटरल एंट्री’ के जरिए सीधे उन पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्ति करता है, जिन पदों पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों की तैनाती होती है. इसमें निजी क्षेत्रों से अलग अलग क्षेत्र के विशेषज्ञों को विभिन्न मंत्रालयों व विभागों में सीधे ज्वाइंट सेक्रेटरी और डायरेक्टर व डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर नियुक्ति दी जाती है.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपनी पार्टी लोजपा (रामविलास) की ओर से प्रधानमंत्री को धन्यवाद देता हूं. इस सरकार ने एक मिसाल कायम की है. उम्मीद है कि भविष्य में भी सरकारें जन भावनाओं का ध्यान रखेंगी.’’ इस मुद्दे को लेकर सरकार की हो रही आलोचना के बारे में पूछे जाने पर चिराग ने कहा, “जब विपक्ष द्वारा हम पर उंगली उठायी जाती है, तो उन्हें यह याद रखने की जरूरत है कि तीन उंगलियां उनकी तरफ भी उठती हैं. इन दलों ने सत्ता में रहते हुए एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित पदों पर भर्ती सुनिश्चित करने का प्रयास क्यों नहीं किया था.” उन्होंने कहा, “वर्तमान सरकार तो केवल 10 वर्षों से सत्ता में है. फिर भी विपक्ष केवल राजग को लक्षित करते हुए चयनात्मक आलोचना में व्यस्त रहा है. पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में बलात्कार और हत्या की भयावह घटना पर उनकी चुप्पी इसका जीता जागता उदाहरण है.” पासवान के दिवंगत पिता राम विलास पासवान देश के कद्दावर दलित नेताओं में शुमार थे. यह भी पढ़ें : उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग के निर्देश को रद्द किया

हाजीपुर से सांसद चिराग ने यह भी कहा, ‘‘मेरी पार्टी जनभावना को समझ रही है और (आरक्षण पर हाल ही में शीर्ष अदालत के फैसले के विरोध में) बुधवार को एससी और एसटी समूहों द्वारा आहूत भारत बंद का समर्थन करती है.” यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी इस बंद में भाग लेगी, उन्होंने इसका सीधा जवाब देने से बचते हुए कहा कि देश की आजादी के इतने सालों बाद भी दलित दूल्हे को घोड़े पर बारात ले जाने से रोका जाता है. उन्होंने एक आईपीएस अधिकारी द्वारा हाल ही में अपनी शादी के अवसर पर सुरक्षा की मांग किए जाने का उदाहरण दिया. वक्फ विधेयक के बारे में पूछे जाने पर चिराग ने कहा कि उनकी पार्टी आवश्यक विचार-विमर्श के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेजने की शुरू से पक्षधर थी. न्होंने कहा कि शुक्र है कि सरकार ने ऐसा ही किया है.

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