डिजिटल दुनिया से गहराई से जुड़े बच्चों के पास ‘ऑनलाइन नुकसान’ से बचाव के बेहतर सुझाव हो सकते हैं
इंटरनेट कनेक्टिविटी, ऑनलाइन मीडिया, सोशल मीडिया मंच, गेमिंग मंच और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के नए रूपों और इनके उपयोगों के तेजी से हो रहे विस्तार ने वाणिज्य और संचार क्षेत्र के लिए अपार अवसर खोले हैं.
कैनबरा, 10 सितंबर : इंटरनेट कनेक्टिविटी, ऑनलाइन मीडिया, सोशल मीडिया मंच, गेमिंग मंच और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के नए रूपों और इनके उपयोगों के तेजी से हो रहे विस्तार ने वाणिज्य और संचार क्षेत्र के लिए अपार अवसर खोले हैं. ऑनलाइन कनेक्टिविटी की सुविधा और सहज उपलब्धता के कारण इंटरनेट 21वीं सदी में लगभग सभी लोगों के जीवन से गहराई से जुड़ गया है. ऐसा विशेष रूप से बच्चों के साथ है, जिनका सामाजिक जीवन लगभग पूरी तरह से ऑनलाइन की तरफ मुड़ गया है. जैसा कि बचपन पर डिजिटल के प्रभाव के मेरे शोध से पता चलता है, ऑनलाइन संचार के इस क्षेत्र ने बच्चों को नुकसान पहुंचाने से जुड़े परेशान करने वाले तथ्य भी पैदा किए हैं.
इन खतरों ने राजनेताओं को चिंतित कर दिया है, जिसके चलते सरकार ने बच्चों के लिए सोशल मीडिया और गेमिंग मंचों तक पहुंच के लिए न्यूनतम आयु निर्धारित करने की योजना की घोषणा की है. डिजिटल दुनिया से गहराई से जुड़ होने के नाते, बच्चे समाधान का भी हिस्सा हैं. एक तरफ जहां इस तरह की चर्चा में वयस्कों की भागीदारी अधिक है, मेरा शोध इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि बच्चे अपने द्वारा अनुभव किए जाने वाले नुकसानों के बारे में क्या सोचते हैं और उन्हें कैसे रोका जाए. यह भी पढ़ें : Indian Startup: स्टार्टअप पर जमकर दांव लगा रहे निवेशक, 2024 में 13 राउंड में मिली 100 मिलियन डॉलर से ज्यादा की फंडिंग
नुकसान के नए रूप
ऑनलाइन नुकसानों का व्यापक दायरा बच्चों की सुरक्षा और भलाई के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है. जनरेटिव एआई द्वारा होने वाले संभावित नुकसान सिर्फ एक उदाहरण हैं. मैंने ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के प्रतिभागियों के साथ एक अध्ययन किया तथा ब्रिटेन के 42 बच्चों के अनुभवों पर गहन साक्षात्कार लिए, जिसमें बच्चों ने बताया कि वे साइबर धमकी, अवांछित संपर्क, अवांछित सामग्री, प्रताड़ना और शोषण का सामना कर रहे थे.
कुछ युवाओं का कहना है कि डीपफेक, खान-पान संबंधी विकार वाले वीडियो, ‘सेक्सटॉर्शन’ (यौन उत्पीड़न के मामलों में फंसाने का डर दिखाना), बाल यौन शोषण सामग्री, महिला विरोधी सामग्री और कई अन्य प्रकार की आपत्तिजनक ऑनलाइन सामग्री से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ रहा है. हमें एआई और प्रौद्योगिकी विकसित करने वालों के साथ-साथ सोशल मीडिया कंपनियों के मालिकों को जवाबदेह बनाए रखना होगा. ये वाणिज्यिक सेवाएं और कंपनियां हैं - आखिरकार, लोग मुनाफा कमा रहे हैं जबकि बच्चे नुकसान झेल रहे हैं. उदाहरण के लिए, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के अध्ययन में अनुमान जताया गया है कि सोशल मीडिया कंपनियां अमेरिकी बच्चों द्वारा ऑनलाइन मंचों के उपयोग से अरबों डॉलर कमा रही हैं.
नियामक कार्रवाई
जून 2024 में, ऑस्ट्रेलिया के अटॉर्नी-जनरल ने संसद में एक विधेयक पेश किया, जिसमें डीपफेक यौन सामग्री को साझा करने की रोकथाम के नए आपराधिक कानून बनाए गए. बच्चों के संबंध में, इसे आपराधिक संहिता के तहत बाल शोषण सामग्री के रूप में माना जाएगा. पिछले महीने सीनेट की समिति ने इस विधेयक को पारित करने की सिफारिश की थी. हालांकि, हम अभी भी निजता अधिनियम में सुधार और प्रथम बाल ऑनलाइन निजता संहिता पेश किए जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
हम मदद के लिए क्या कर सकते हैं?
सुधार के ये पहिये धीरे-धीरे घूम रहे हैं, लेकिन हमें समाधान निकालने के लिए मिलकर काम करना जारी रखना होगा. साक्ष्य-आधारित मीडिया रिपोर्टिंग, अभियान और शैक्षिक कार्यक्रम इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. बच्चे और युवा कहते हैं कि वे ऑनलाइन नुकसान से निपटने के लिए समाधान विकसित करने का हिस्सा बनना चाहते हैं. वे पहले से ही अपने साथियों को समर्थन और सीख देने का महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं. मैं इसे ‘‘डिजिटल भाईचारा’’ कहता हूं. मेरा शोध युवाओं की उस भूमिका के लिए अधिक मान्यता देने पर जोर देता है, जो वे अन्य बच्चों को उनके ऑनलाइन अधिकारों के बारे में जानने और उनके संरक्षण के संबंध में निभाते हैं. बच्चे चाहते हैं कि वयस्क, सरकारें और प्रौद्योगिकी कंपनियां ऑनलाइन नुकसान को रोकने और उसे दूर करने के लिए तेजी से कार्रवाई करें. वयस्कों को बच्चों से ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में अक्सर बात करनी चाहिए, सिर्फ तब नहीं जब कुछ गलत हो गया हो. इन चर्चाओं में दोषारोपण नहीं करना चाहिए, बल्कि संवाद के रास्ते खोलने चाहिए और साथ मिलकर समस्याओं को दूर करने पर बात करनी चाहिए.