छत्तीसगढ़: लाभकारी खेती के लिए 1,036 करोड़ रूपए की चिराग परियोजना का दिल्ली में हुआ एमओयू
राज्य के जनसंपर्क विभाग ने शुक्रवार को विज्ञप्ति जारी कर बताया कि बस्तर अंचल के आदिवासी किसानों को लाभदायी खेती के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही उनकी माली हालात को बेहतर बनाने के उद्देश्य से 1,036 करोड़ रुपए की चिराग परियोजना के लिए आज नई दिल्ली में एमओयू हुआ.
रायपुर, 12 फरवरी: छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के किसानों की माली हालात को बेहतर बनाने के उद्देश्य से 1,036 करोड़ रुपए की चिराग परियोजना के लिए शुक्रवार को नई दिल्ली में एमओयू किया गया. राज्य के जनसंपर्क विभाग ने शुक्रवार को विज्ञप्ति जारी कर बताया कि बस्तर अंचल के आदिवासी किसानों को लाभदायी खेती के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही उनकी माली हालात को बेहतर बनाने के उद्देश्य से 1,036 करोड़ रुपए की चिराग परियोजना के लिए आज नई दिल्ली में एमओयू हुआ.
विश्व बैंक सहायतित छह वर्षीय चिराग परियोजना बस्तर संभाग के सात जिलों के 13 विकासखण्डों तथा मुंगेली जिले के मुंगेली विकासखंड में क्रियान्वित की जाएगी. विज्ञप्ति में बताया गया है कि चिराग परियोजना के लिए त्रिपक्षीय एमओयू, भारत सरकार वित्त मंत्रालय, विश्व बैंक और छत्तीसगढ़ सरकार के प्रतिनिधियों के मध्य हुआ. फसल संरक्षण के लिए सीएम भूपेश बघेल ने अपनाई बेहतरीन तरकीब, धान संग्रहण के लिए राज्यभर में बनाए गए 7 हजारे से अधिक चबूतरे.
राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चिराग परियोजना के एमओयू पर प्रसन्नता जताई है. उन्होंने राज्य के कृषि विभाग के अधिकारियों को इस परियोजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए बधाई दी है और कहा है कि इससे बस्तर अंचल में खेती-किसानी को समृद्ध और लाभदायी बनाने में मदद मिलेगी.
बघेल ने कहा है कि इस परियोजना के माध्यम से बस्तर अंचल के किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक खेती की ओर अग्रसर होंगे. इससे उनकी माली हालात बेहतर होगी और उनके जीवन में खुशहाली का एक नया दौर शुरू होगा.
अधिकारियों ने बताया कि ‘चिराग’ योजना का मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के अनुसार उन्नत कृषि, उत्तम स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से पोषण आहार में सुधार, कृषि और अन्य उत्पादों का मूल्य संवर्धन कर कृषकों को अधिक से अधिक लाभ दिलाना है.
उन्होंने बताया कि परियोजना के अंतर्गत समन्वित कृषि, भू और जल संवर्धन, बाड़ी और उद्यान विकास, उन्नत मत्स्य और पशुपालन तथा दुग्ध उत्पादन के अतिरिक्त किसानों के उपज का मूल्य संवर्धन कर अधिक आय अर्जित करने के कार्य किए जाएंगे.
अधिकारियों ने बताया कि परियोजना का क्रियान्वयन गौठानों को केन्द्र में रखकर किया जाएगा. कोविड-19 महामारी के कारण कृषि क्षेत्र में आई रुकावटों और कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए आय वृद्धि तथा रोजगार सृजन भी इस परियोजना के उद्देश्यों में शामिल है.
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