नयी दिल्ली, चार दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने कृत्रिम मेधा (एआई) और ‘डीपफेक’ के अनियंत्रित इस्तेमाल के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा।
‘डीपफेक’ तकनीक शक्तिशाली कंप्यूटर और तकनीक का उपयोग करके वीडियो, छवियों, ऑडियो में हेरफेर करने की एक विधि है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि प्रौद्योगिकी पर लगाम नहीं लगाई जा सकती और याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दे पर विचार-विमर्श की आवश्यकता है, जो केवल सरकार ही कर सकती है।
पीठ ने कहा, “कोई आसान समाधान नहीं है। इसपर काफी विचार-विमर्श की जरूरत है। यह बहुत जटिल तकनीक है।”
याचिकाकर्ता वकील चैतन्य रोहिल्ला ने नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए ‘डीपफेक’ तक पहुंच प्रदान करने वाली वेबसाइटों की पहचान करके उन्हें ब्लॉक करने और कृत्रिम बुद्धिमत्ता को विनियमित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की है।
अदालत ने केंद्र सरकार से जवाब मांगते हुए मामले की सुनवाई आठ जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।
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