केंद्र को सभी के कोविड-19 टीकाकरण की जिम्मेदारी लेनी चाहिए: सी रंगराजन
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र को कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने के उपायों के तहत देश में सभी लोगों के टीकाकरण की जिम्मेदारी लेने की जरूरत है और वह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता.
हैदराबाद, 6 मई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र को कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने के उपायों के तहत देश में सभी लोगों के टीकाकरण की जिम्मेदारी लेने की जरूरत है और वह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता. रंगराजन ने आईसीएफएआई फाउंडेशन फॉर हायर एजुकेशन (ICFAI Foundation for Higher Education) द्वारा यहां आयोजित एक आनलाइन सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए कहा कि इसमें काफी मात्रा में खर्च शामिल हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र को सभी का टीकाकरण करना होगा, जबकि राज्यों को अस्पतालों में आधारभूत ढांचे में सुधार करने, अधिक चिकित्सा कर्मियों की भर्ती करने जैसे अन्य चिकित्सा बुनियादी ढांचे पर खर्च करने की आवश्यकता है.
प्रधानमंत्री के आर्थिक परामर्श परिषद के पूर्व अध्यक्ष रंगराजन ने कहा, ‘‘टीकाकरण महत्वपूर्ण है. यह सभी का होना चाहिए. इसलिए यह सरकार की ज़िम्मेदारी है और मैं कहूंगा कि लोगों को टीका लगाने के मामले में जो खर्च होगा, वह केंद्र सरकार स्वयं वहन करे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि सरकार या भारत सरकार की ज़िम्मेदारी बहुत स्पष्ट है और उसे इस ज़िम्मेदारी से बचना नहीं चाहिए. मुझे पता है कि इसमें काफी खर्च शामिल होगा जिसे वहन करना होगा और यह जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से भारत सरकार की है.’’ बाद में उन्होंने बात करते हुए कहा कि चूंकि टीकाकरण केंद्र की जिम्मेदारी होनी चाहिए, इसलिए विभिन्न क्षेत्रों के लिए टीकों के अलग-अलग मूल्य निर्धारण का सवाल ही नहीं उठेगा. यह भी पढ़ें : Delhi Rains: दिल्ली में मौसम ने ली करवट, तेज आंधी के साथ हो रही बारिश
वर्तमान में कोविड-19 टीका निर्माताओं ने केंद्रीय, राज्य सरकार और निजी आपूर्तियों के लिए तीन स्तर पर मूल्य निर्धारण किये हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं कह रहा हूं कि टीकाकरण केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है. केंद्र सरकार को सभी खर्च वहन करना चाहिए. उन्हें बातचीत करके एक मूल्य पर सहमत होने दें और इसे वितरित करने दें.’’ रंगराजन ने कहा कि अर्थव्यवस्था को मंदी से निकालने के लिए केंद्र और राज्यों दोनों सरकारों को अपना खर्च बढ़ाने की जरूरत है.