न्यायाधीशों के खिलाफ अपमानजनक पोस्ट डालने के मामले में सीबीआई ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ सोशल मीडिया पर कथित रूप से मानहानिकारक सामग्री डालने के मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

नयी दिल्ली, 8 अगस्त : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ सोशल मीडिया पर कथित रूप से मानहानिकारक सामग्री डालने के मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में वाईएसआर कांग्रेस के लोकसभा सदस्य नंदीगाम सुरेश और इसी पार्टी के एक और नेता अमांची कृष्ण मोहन की भूमिका जांच के दायरे में है और एजेंसी ने किसी बड़े षड्यंत्र का खुलासा करने के प्रयास में दोनों से पूछताछ की है. सीबीआई प्रवक्ता आर सी जोशी ने कहा, ‘‘किसी बड़ी साजिश का पता लगाने के लिए सीबीआई ने एक सांसद, एक पूर्व विधायक समेत कुछ लोगों से पूछताछ की है और कुछ अन्य लोगों की भूमिका की भी जांच कर रही है, जिनके नाम प्राथमिकी में नहीं हैं.’’

एजेंसी ने शनिवार को आंध प्रदेश से दो लोगों-पत्तापू आदर्श और एल सांबा शिवा रेड्डी को गिरफ्तार किया था. अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले सीबीआई ने 28 जुलाई को धामी रेड्डी कोंडा रेड्डी और पामुला सुधीर को गिरफ्तार किया था, वहीं कुवैत निवासी लिंगारेड्डी राजशेखर रेड्डी को नौ जुलाई को भारत पहुंचने पर गिरफ्तार किया गया था. एक अधिकारी ने कहा, ‘‘एजेंसी उसकी गतिविधियों पर नजर रख रही थी. वह जैसे ही भारत पहुंचा, अधिकारियों ने उसे अपनी हिरासत में ले लिया.’’ यह भी पढ़ें : UP: अखिलेश यादव ने सीएम योगी पर बोला हमला, कहा- इन्हें विकास पसंद ही नहीं? इनका विकास केवल विज्ञापन में है

सीबीआई ने न्यायाधीशों के खिलाफ कथित अपमानजनक पोस्ट डालने के मामले में 16 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इसी मामले में एजेंसी ने गिरफ्तारियां की हैं. आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने एजेंसी को मामले की जांच करने तथा सीलबंद लिफाफे में उसे रिपोर्ट जमा करने को कहा था. जोशी ने कहा, ‘‘आरोप है कि आरोपियों ने जानबूझकर न्यायपालिका को निशाना बनाते हुए न्यायाधीशों तथा न्यायपालिका के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक पोस्ट डाले. आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के कुछ फैसलों के बाद ऐसा किया गया.’’

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