बंबई उच्च न्यायालय का याचिका पर सुनवाई से इनकार, याचिकाकर्ता ने न्यायधीश को भेजा था ईमेल

बंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति गौतम पटेल ने बुधवार को एक याचिकाकर्ता द्वारा याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध करने के लिए व्यक्तिगत ईमेल भेजने से परेशान होकर मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया.

Bombay High Court (Photo Credit: Wikimedia Commons )

मुंबई, 13 दिसंबर : बंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति गौतम पटेल ने बुधवार को एक याचिकाकर्ता द्वारा याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध करने के लिए व्यक्तिगत ईमेल भेजने से परेशान होकर मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया. याचिका का उल्लेख किये जाने पर न्यायमूर्ति पटेल और न्यायमूर्ति कमल खाता की पीठ ने कहा कि वह याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर रही है और याचिकाकर्ता के वकील को उनके द्वारा भेजे गए ईमेल के बारे में जानकारी दी. वकील कंचन पमनानी ने इसपर माफी मांगी और कहा कि उन्हें ईमेल के बारे में जानकारी नहीं थी. उन्होंने अदालत से याचिका पर सुनवाई करने का आग्रह किया.

कुछ दृष्टिबाधित व्यक्तियों द्वारा दायर याचिका में केंद्रीय कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को अपनी वेबसाइट को दृष्टिबाधित लोगों के अनुकूल बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. वादियों में से एक ने न्यायमूर्ति पटेल को ईमेल में उच्च न्यायालय से इस मुद्दे पर गौर करने का आग्रह किया और कहा कि याचिका पर दो साल से सुनवाई नहीं हुई है. इससे नाराज न्यायमूर्ति पटेल ने कहा कि इस तरह के निजी ईमेल न्यायधीशों को नहीं भेजे जाने चाहिए. न्यायमूर्ति पटेल ने कहा, ‘‘मामला कितने भी समय से लंबित क्यों न रहे, लेकिन कोई व्यक्ति न्यायधीशों को इस तरह का निजी ईमेल नहीं भेज सकता.’’ अदालत ने याचिका को किसी अन्य पीठ के पास भेजने का निर्देश दिया. यह भी पढ़ें : बल्ब की रोशनी, फेंकी हुई प्लास्टिक की बोतल से बची बोरवेल के अंदर फंसी बच्ची की जान : अधिकारी

न्यायमूर्ति पटेल ने कहा कि वह ‘‘इस विषय पर कभी सुनवाई नहीं करेंगे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं कभी भी इस विषय पर सुनवाई नहीं करूंगा. कल्पना कीजिए, अगर मैं मामले पर सुनवाई करता हूं और और अनुकूल आदेश देता हूं तो संदेश जाएगा कि आप न्यायाधीश को निजी ई-मेल भेज कर अनुकूल फैसला पा सकते हैं.’’ न्यायधीश को ई-मेल भेजने वाला याचिकाकर्ता अदालत में मौजूद था और उसने माफी मांग ली. उच्च न्यायालय ने हालांकि, उसके विषय पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया.

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