देश की खबरें | शांति समझौते के बाद बोडोलैंड ने विकास की नई लहर देखी: प्रधानमंत्री मोदी

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2020 के ऐतिहासिक शांति समझौते के बाद हिंसा त्यागकर शांति की राह अपनाने के लिए बोडो समुदाय के लोगों की शुक्रवार को प्रशंसा की और कहा कि असम के कुछ हिस्सों में जंगल जो कभी 'छिपने के ठिकाने' के रूप में इस्तेमाल हुआ करते थे, अब युवाओं की 'उच्च महत्वाकांक्षाओं' को पूरा करने का माध्यम बन रहे हैं।

नयी दिल्ली, 15 नवंबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2020 के ऐतिहासिक शांति समझौते के बाद हिंसा त्यागकर शांति की राह अपनाने के लिए बोडो समुदाय के लोगों की शुक्रवार को प्रशंसा की और कहा कि असम के कुछ हिस्सों में जंगल जो कभी 'छिपने के ठिकाने' के रूप में इस्तेमाल हुआ करते थे, अब युवाओं की 'उच्च महत्वाकांक्षाओं' को पूरा करने का माध्यम बन रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने राजधानी दिल्ली स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण इंदिरा गांधी खेल परिसर में आयोजित दो-दिवसीय प्रथम बोडोलैंड महोत्सव के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद क्षेत्र में 'विकास की नई लहर' आई है और सरकार पूर्वोत्तर में स्थायी शांति लाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।

मोदी ने कहा कि कई पीढ़ियों तक हिंसा की आग में जलने के बाद बोडो समुदाय कई दशकों के बाद एक त्योहार मना रहा है।

प्रधानमंत्री ने बड़ी संख्या में मौजूद बोडो समुदाय के लोगों से कहा, ''आपने नया इतिहास रचा है।"

यह उल्लेख करते हुए कि विकास का सूर्य 'विकसित भारत' के संकल्प को नयी ऊर्जा देने के लिए पूर्व से उदय होगा, प्रधानमंत्री ने कहा कि बोडो शांति समझौते ने न केवल समुदाय को लाभ पहुंचाया है, बल्कि क्षेत्र में कई अन्य समुदायों के लिए भी नए रास्ते खोले हैं।

उन्होंने कहा कि बोडो समुदाय के उज्ज्वल भविष्य की मजबूत नींव रखी जा चुकी है।

मोदी ने बोडोलैंड में हुई हिंसा को याद करते हुए कहा, "बोडोलैंड में विकास के प्रभाव को देखकर मेरा मन संतुष्ट है।"

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 2020 में बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। इस शांति समझौते ने बोडोलैंड में दशकों से चले आ रहे संघर्ष और हिंसा को समाप्त किया।

साल 2020 की शुरुआत में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी), ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन आदि के गुटों के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद काउंसिल के दायरे और शक्ति को बढ़ाने तथा इसके कामकाज को कारगर बनाने की मांग की गई थी।

इसमें बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र जिलों (बीटीएडी) के बाहर रहने वाले बोडो लोगों से संबंधित मुद्दों को हल करना और बोडो समुदाय की सामाजिक, सांस्कृतिक, ई और जातीय पहचान को बढ़ावा देना तथा उसकी रक्षा करना भी शामिल था।

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