खेल की खबरें | बेहतर ट्रैक से ओलंपिक में धावकों के प्रदर्शन में हो रहा सुधार

खेलों के जानकार इसका श्रेय थॉम्पसन-हेरा की मेहनत के साथ ओलंपिक स्टेडियम की ट्रैक (दौड़ने वाली सतह) को भी दे रहे है, जिनका मानना है कि इस शानदार ट्रैक के कारण तोक्यो खेलों में अगले कुछ दिनों में एथलीट व्यक्तिगत, ओलंपिक और संभवत: विश्व-रिकॉर्ड भी कायम कर सकते हैं।

लाल-ईंट जैसी रंगों वाली इस ट्रैक को मोंदो कंपनी ने तैयार किया है। यह कंपनी 1948 से अस्तित्व में है और उसने अब तक 12 ओलंपिक खेलों में ट्रैक का निर्माण किया है।

कंपनी के अनुसार यह विशेष सतह, तीन-आयामी रबर के कणिकाओं (ग्रेनुएल्स) से बनी है जिसे विशेष ‘वल्केनाइजेशन प्रक्रिया’ से तैयार किया गया है।  

उन्होंने कहा, ‘‘वल्केनाइजेशन प्रक्रिया में कणिकाओं और आसपास के पदार्थ के बीच मजबूत जोड़ बनाता है जिससे एक ठोस परत का निर्माण होता है।’’

कंपनी ने बताया कि इसकी ऊपरी सतह में लचीलापन है और अंदर के सतह में एयर बबल्स (हवा) है , जो खिलाड़ियों के प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद करता है।

अमेरिका के 100 मीटर के फर्राटा धावक रोनी बाकेर ने इस सतह के बारे में कह, ‘‘ इस पर ऐसा लगता है जैसे की मैं बादलों में चल रहा हूं। यह वास्तव काफी शानदार है। यह एक बेहतरीन ट्रैक है। मै जितने भी ट्रैक पर दौड़ा हूं, यह उसमें सर्वश्रेष्ठ है।’’

इस ट्रैक पर तोक्यो की गर्मी का भी असर हो रहा है।

अमेरिका के 800 मीटर के धावक क्लेटोन मर्फी ने कहा, ‘‘ हां, यह काफी तेज है। यहां जीतने के लिए विश्व रिकॉर्ड कायम करना होगा।

इस ट्रैक को अगस्त 2019 से नवंबर तक के चार महीने में तैयार किया गया था।

दक्षिण अफ्रीकी स्प्रींटर अकानी सिंबिने ने कहा, ‘‘आप इसे महसूस कर सकते है। आपको पता होता है कि तेज ट्रैक कैसा होता है और हम लोगों के लिए यह ट्रैक काफी तेज है। मैं इस पर दौड़ने का इंतजार कर रहा हूं।’’

थॉम्पसन-हेरा ने 10.61 सेकंड का समय लिया जो ग्रिफिथ जॉयनर के 1988 सियोल ओलंपिक (1988) में बनाये 10.62 सेकंड के रिकॉर्ड से बेहतर है।

इसके अलावा नार्वे के कार्सटन वारहोल्म ने पुरुषों के 400 मीटर बाधा दौड़ में 46.70 सेकंड के समय के साथ 1992 ओलंपिक में कायम रिकॉर्ड को तोड़ा।

कई जानकार हालांकि इसका श्रेय एथलीटों के जूतों को भी दे रहे है।

थॉम्पसन-हेरा से जब उनके प्रदर्शन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा , ‘‘ इसका श्रेय अभ्यास को जाता है। ट्रैक और जूते से कोई खास फर्क नहीं पड़ा।’’

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