देश की खबरें | बायजू के खिलाफ दिवाला कार्यवाही: न्यायालय का समिति के गठन पर रोक के लिए अंतरिम आदेश से इनकार
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने संकट का सामना कर रही शिक्षा-प्रौद्योगिकी कंपनी बायजू से जुड़ी दिवाला कार्यवाही में ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) गठित करने से ‘इनसॉलवेंसी रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल’ (आईआरपी) को रोकने के लिए अंतरिम आदेश पारित करने से मंगलवार को इनकार कर दिया।
नयी दिल्ली, 20 अगस्त उच्चतम न्यायालय ने संकट का सामना कर रही शिक्षा-प्रौद्योगिकी कंपनी बायजू से जुड़ी दिवाला कार्यवाही में ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) गठित करने से ‘इनसॉलवेंसी रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल’ (आईआरपी) को रोकने के लिए अंतरिम आदेश पारित करने से मंगलवार को इनकार कर दिया।
बायजू को बड़ा झटका देते हुए शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को दिवाला अपीलीय अधिकरण (एनसीएलएटी) के उस फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें कंपनी के प्रमुख के खिलाफ दिवाला कार्यवाही को रद्द कर दिया गया था और भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के साथ 158.9 करोड़ रुपये के बकाया निपटान को मंजूरी दे दी थी।
बायजू की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से आग्रह किया कि आईआरपी को सीओसी गठित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
सिंघवी ने कहा कि न्यायालय द्वारा एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगाने का मतलब यह होगा कि दिवाला कार्यवाही फिर से शुरू की जाएगी, और आमतौर पर सीओसी का गठन अंत में किया जाता है।
बीसीसीआई की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कंपनी का समर्थन किया और कहा कि अगर सीओसी का गठन बिना सुनवाई के किया जाता है तो लंबित याचिका अंतिम रूप ले लेगी।
सिंघवी ने कहा, ‘‘अगर वे दो दिनों में सीओसी बना लेते हैं तो मामला निरर्थक हो जाएगा।’’
पीठ याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई करने के लिए सहमति हो गई और संभावित घटनाक्रम पर रोक लगाने के लिए कोई आदेश पारित नहीं किया।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय अधिकरण (एनसीएलएटी) के उस फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें कंपनी प्रमुख के खिलाफ दिवाला कार्यवाही को रद्द कर दिया गया था और बीसीसीआई के साथ 158.9 करोड़ रुपये के बकाया निपटान को मंजूरी दे दी गई थी।
एनसीएलएटी का 2 अगस्त का फैसला बायजू के लिए बड़ी राहत लेकर आया, क्योंकि इससे इसके संस्थापक बायजू रवींद्रन को कंपनी पर नियंत्रण वापस मिल गया है।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने प्रथम दृष्टया एनसीएलएटी के फैसले को ‘‘अतार्किक’’ करार दिया था और दिवाला अपीलीय अधिकरण के फैसले के खिलाफ कंपनी के अमेरिकी ऋणदाता ग्लास ट्रस्ट कंपनी एलएलसी की अपील पर बायजू और अन्य को नोटिस जारी करते हुए इसके संचालन पर रोक लगा दी थी।
यह मामला बीसीसीआई के साथ एक प्रायोजन सौदे से संबंधित 158.9 करोड़ रुपये के भुगतान पर बायजू के भुगतान नहीं करने से उपजा था।
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