विदेश की खबरें | बांग्लादेश ने सीमा तनाव को लेकर भारतीय उच्चायुक्त को तलब किया

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श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

ढाका, 12 जनवरी बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने रविवार को सीमा तनाव को लेकर भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब किया।

यह घटनाक्रम बांग्लादेश द्वारा यह आरोप लगाए जाने के कुछ घंटों बाद सामने आया है कि भारत द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन करते हुए भारत-बांग्लादेश सीमा पर पांच स्थानों पर बाड़ लगाने की कोशिश कर रहा है।

वर्मा को अपराह्न लगभग तीन बजे मंत्रालय में प्रवेश करते देखा गया। विदेश सचिव जशीम उद्दीन के साथ उनकी बैठक लगभग 45 मिनट तक चली।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की ओर से हालांकि चर्चा के संबंध में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया, लेकिन अधिकारियों ने पुष्टि की कि उच्चायुक्त को तलब किया गया है।

बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए वर्मा ने कहा कि ढाका और नई दिल्ली के बीच ‘‘सीमा पर सुरक्षा के लिए बाड़ लगाने के संबंध में सहमति है।’’

वर्मा ने कहा, ‘‘हमारे दो सीमा सुरक्षा बल - बीएसएफ और बीजीबी (सीमा सुरक्षा बल और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश) - इस संबंध में संपर्क में हैं। हम उम्मीद करते हैं कि इस सहमति को लागू किया जाएगा और सीमा पर अपराधों से निपटने के लिए सहयोगपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।’’

इससे पहले दिन में गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जहांगीर आलम चौधरी ने कहा कि भारत ने बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश और स्थानीय लोगों के कड़े विरोध के कारण सीमा पर कांटेदार तार की बाड़ लगाने का काम रोक दिया है।

चौधरी ने प्रेस वार्ता में कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान हस्ताक्षरित कुछ समझौतों के कारण, “बांग्लादेश-भारत सीमा पर कई मुद्दे पैदा हो गए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, हमारे लोगों और बीजीबी के प्रयासों ने भारत को कांटेदार तार की बाड़ लगाने समेत कुछ गतिविधियों को रोकने के लिए मजबूर कर दिया है।’’

चौधरी ने कहा कि बांग्लादेश और भारत के बीच सीमा गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए चार समझौता ज्ञापन (एमओयू) हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इनमें से 1975 के एमओयू में यह स्पष्ट किया गया है कि रक्षा क्षमता वाला कोई भी विकास कार्य ‘जीरो लाइन’ के 150 गज के भीतर नहीं किया जा सकता। दूसरे एमओयू में कहा गया है कि आपसी सहमति के बिना इस सीमा के भीतर कोई भी विकास कार्य नहीं किया जा सकता। ऐसे किसी भी कार्य के लिए दोनों देशों के बीच पूर्व सहमति की आवश्यकता होती है।’’

सलाहकार ने कहा कि भारत ने बांग्लादेश के साथ 4,156 किलोमीटर लंबी सीमा में से 3,271 किलोमीटर पर पहले ही बाड़ लगा दी है और लगभग 885 किलोमीटर सीमा बिना बाड़ के रह गई है।

उन्होंने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली पिछली सरकार पर भारत को अनुचित अवसर प्रदान करने का आरोप लगाया, जिसके कारण 2010 से 2023 के बीच 160 स्थानों पर कांटेदार तार की बाड़ लगाने को लेकर विवाद हुआ।

उन्होंने कहा, ‘‘हाल में पांच क्षेत्रों में विवाद सामने आए हैं, जिनमें (उत्तर-पश्चिमी) चपैनवाबगंज, नौगांव, लालमोनिरहाट और तीन बीघा कॉरिडोर शामिल हैं।’’

उन्होंने दावा किया कि 1974 के समझौते के तहत बांग्लादेश ने संसदीय अनुमोदन के बाद बेरुबारी को भारत को सौंप दिया था। उन्होंने कहा कि इसके बदले में भारत को बांग्लादेश को तीन बीघा कॉरिडोर तक पहुंच प्रदान करनी थी, लेकिन वह इस प्रतिबद्धता को पूरा करने में विफल रहा।

उन्होंने कहा, ‘‘वे एक घंटे के लिए इस गलियारे को खोलते थे और फिर एक घंटे के लिए बंद कर देते थे। आखिरकार 2010 में गलियारा 24 घंटे खुला रखने के लिए समझौता हुआ। हालांकि, इस समझौते के तहत भारत को 150 गज के नियम का उल्लंघन करते हुए अंगारपोटा में ‘जीरो लाइन’ पर सीमा बाड़ लगाने की भी अनुमति दी गई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब, जबकि हम इस निर्माण का विरोध कर रहे हैं, हमें चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि बांग्लादेश 2010 के समझौते पर हस्ताक्षरकर्ता है।’’

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