देश की खबरें | एंटीलिया मामला-हिरन हत्या : अदालत ने पूर्व पुलिसकर्मी की आरोपमुक्त करने का अनुरोध वाली याचिका खारिज की
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मुंबई, 11 नवंबर राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण की विशेष अदालत ने एंटीलिया के पास विस्फोटक से भरा वाहन मिलने और उसके बाद हुई उद्यमी मनसुख हिरन की हत्या के मामले में आरोपमुक्त करने का अनुरोध करने वाली पूर्व पुलिसकर्मी सुनील माने की याचिका खारिज कर दी और कहा कि पहली नजर में इस मामले में उनकी संलिप्तता साफ नजर आती है।
विशेष अदालत के न्यायाधीश ए. एम. पाटिल ने माने की आरोपमुक्त करने का अनुरोध करने वाली याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी। हालांकि इस आदेश की विस्तृत जानकारी शुक्रवार को उपलब्ध हो सकी।
एनआईए ने इस मामले में कथित संलिप्तता के आरोप में अप्रैल, 2021 को माने को गिरफ्तार किया था।
हालांकि, माने ने स्वयं को आरोपमुक्त करने का अनुरोध करने वाली याचिका में दावा किया है कि 25 फरवरी, 2021 को मनसुख हिरन के वाहन की चोरी और उद्यमी मुकेश अंबानी के आवास के पास एक वाहन में विस्फोटक रखने के मामले में वह कहीं से भी नहीं जुड़े हैं।
अर्जी में उन्होंने यह भी कहा है कि मामले के मुख्य आरोपी पूर्व पुलिसकर्मी सचिन वाजे और प्रदीप शर्मा ने अन्य आरोपी के साथ मिलकर हिरन की हत्या की साजिश की और अभी तक आवेदक (माने) इसमें कहीं भी संलिप्त नहीं है।
माने ने अपनी अर्जी में कहा है, आरोपपत्र के अनुसार यह स्पष्ट है कि आवेदक ने गैरकानूनी गतिविधियां (निषेध) कानून (यूएपीए) के तहत कोई अपराध नहीं किया है और वह आतंकवाद-विरोधी कानून के प्रावधानों के तहत आरोपमुक्त होने और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत जमानत पाने के अधिकारी हैं।
वहीं, दूसरी ओर एनआईए ने कहा कि वाजे ने (मुकेश अंबानी के आवास के पास) कार्माइकल मार्ग पर एसयूवी में विस्फोटक रखने के लिए हिरन को मनाया और इसकी पूरी जिम्मेदारी लेने के लिए भी उसे राजी करने का प्रयास किया।
जांच एजेंसी ने दावा किया कि जब हिरन ने इससे मानने से इंकार कर दिया तो वाजे ने उनकी (हिरन) हत्या की साजिश रची और आरोपी प्रदीप शर्मा और माने के माध्यम से इसके लिए ‘सुपारी किलर’ खोजे।
एजेंसी ने आगे कहा है कि उसके बाद यह आवेदक (माने) हिरन की हत्या के लिए वाजे के नेतृत्व में ‘सोची-समझी साजिश’ में शामिल हुआ, जोकि वाजे और अन्य द्वारा किए गए आतंकवादी कृत्य का प्रत्यक्ष परिणाम था।
अदालत ने गवाहों के बयान सुनने के बाद कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि पहली नजर में उक्त आवेदक की संलिप्तता इस मामले में नजर आ रही है।’’
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