मलेरिया रोधी दवा ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ अमेरिका में राजनीति का शिकार हो गई: भारतीय मूल के चिकित्सक

न्यूयार्क, 26 मई भारतीय मूल के एक प्रख्यात चिकित्सक ने स्वीकार किया है कि मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (कुनैन की गोलियां) अमेरिका में राजनीति का शिकार हो गई।

उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह खुलासा किया था कि उन्होंने वह हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के संभावित गंभीर दुष्प्रभावों के बारे में मेडिकल चेतावनी के बावजूद यह जीवनरक्षक दवा ले रहे थे। उन्होंने व्हाइट हाउस के चिकित्सक से परामर्श करने के बाद कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिये यह दवा ली।

डॉ भरत बरई ने कहा कि उन्होंने मीडिया में आई खबरें और चिकित्सकों द्वारा राष्ट्रपति की आलोचना किये जाते देखा तथा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के दुष्प्रभावों को बढ़ा-चढ़ा कर बताया गया।

हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल कोरोना वायरस के खिलाफ इस दवा का एक सबसे बेहतरीन रोगरोधक तंत्र के रूप में उपयोग है।

मंस्टर कम्युनिटी हॉस्पिटल, इंडियाना से जुड़े कैंसर विशेषज्ञ बरई ने कहा, ‘‘सभी दवाइयों के दुष्प्रभाव हैं। यह हमेशा से फायदे बनाम जोखिम विश्लेषण रहा है। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन एफडीए से मान्यता प्राप्त है और ‘लुपस’ (जब किसी व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता शरीर के ही उत्तकों और अंगों को नुकसान पहुंचाने लगती है), गठिया और अन्य रोगों वाले रोगियों द्वारा वर्षों से इस्तेमाल किया जाती रही है।’’

उन्होंने कहा कि ज्यादातर रोगियों ने वर्षों तक हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की एक से दो गोलियां प्रतिदिन ली।

बरई ने कहा, ‘‘चूंकि यह चिकित्सीय निगरानी में की गई, ऐसे में यदि कोई दुष्प्रभाव नजर आता है तो उसका संबद्ध चिकित्सक द्वारा समाधान किया जा सकता है। ’’

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 के संभावित इलाज के चल रहे एक वैश्विक औषधि परीक्षण से वह अस्थायी रूप से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को हटाएगा।

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य संस्था ने कहा है कि इस दवा से होने वाले संभावित फायदे और नुकसान का पर्याप्त मूल्यांकन करने के लिये विशेषज्ञ आंकड़ों का विश्लेषण करेंगे।

जिनेवा में डब्ल्यूएचओ महानिदेशक टेड्रोस एधानोम घेब्रेयसस ने कहा कि इस दवा को वैश्विक औषधि परीक्षण से अस्थायी रूप से हटा दिया गया है।

उन्होंने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन तथा अस्पताल में भर्ती कोविड-19 रोगियों पर इनके प्रभावों पर लांसेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन का हवाला दिया।

अध्ययन दल में शामिल वैज्ञानिकों ने कहा कि जिन रोगियों को यह दवा दी जा रही थी, जब उन पर इसका अकेले या ‘मैक्रोलाइड’ (एंटीबॉयोटिक, जो आम तौर पर जीवाणु से संक्रमण होने पर रोगी को दिया जाता है) के साथ इस्तेमाल किया गया तो उन्होंने अधिक मृत्यु दर होने का आकलन किया।

डब्ल्यूएचओ महानिदेशक ने कहा, ‘‘कार्यकारी समूह ने परीक्षण के तहत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल पर अस्थायी रूप से तब तक के लिये रोक लगा दी, जब तक कि डेटा सुरक्षा निगरानी बोर्ड, सुरक्षा डेटा की समीक्षा नहीं कर लेता है।’’

हालांकि, बरई ने कहा कि जीवन रक्षक दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर राजनीति की जा रही है।

उन्होंने पीटीआई- से एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘यह राजनीति (हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर) लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रही है।’’

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