इजराइल के खिलाफ गुस्सा सड़कों पर प्रदर्शन के जरिए, सोशल मीडिया, अखबारों के आलेखों में देखा जा रहा है जबकि कुछ ही महीने पहले ही यहूदी देश के साथ संबंध स्थापित करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात समेत कई खाड़ी देशों द्वारा समझौते किए गए थे. विश्लेषकों का कहना है कि इस संघर्ष के चलते सऊदी अरब जैसे अन्य अरब देशों के साथ संबंध सामान्य करने के लिए समझौते करने के इजराइल के प्रयासों को भी झटका लगेगा. खाड़ी के अरब देशों ने हिंसा की निंदा की है. यहां के लोग भी फलस्तीन के अधिकारों का समर्थन और इजराइल की निंदा खुले शब्दों में कर रहे हैं.
संयुक्त अरब अमीरात के राजनीतिक विश्लेषक अब्दुखालेक अब्दुल्ला ने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात ने हाल में जो वक्तव्य जारी किया है जिसमें सभी पक्षों से युद्ध को तुरंत बंद करने का आह्वान किया गया है, वह वक्तव्य कुछ और कड़े शब्दों वाला होना चाहिए था तथा इसमें इजराइल का नाम आक्रामणकारी के रूप में होना था. बहरीन में सामाजिक संस्थाओं ने सरकार से इजराइल के राजदूत को निष्कासित करने की मांग की है.
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कुवैत में प्रदर्शनकारियों ने रैलियां निकाली. कतर में सैकड़ों लोगों ने सप्ताहांत पर प्रदर्शन करने की अनुमति दी जहां हमास के शीर्ष नेता ने भाषण दिया. यूएई में लोगों ने सोशल मीडिया पर फलस्तीन के प्रति खुलकर समर्थन व्यक्त किया.
पिछले वर्ष संयुक्त अरब अमीरात बीते दो दशक से भी अधिक समय में इजराइल के साथ संबंध स्थापित करने वाला पहला अरब देश बना था. उसके बाद बहरीन, सूडान और मोरक्को ने भी इजराइल के साथ संबंध स्थापित करने की घोषणा की थी.
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