जरुरी जानकारी | फ्यूचर मामले में अमेजन को नहीं मिली लिखित रुप में पक्ष रखने की मंजूरी

नयी दिल्ली, आठ फरवरी उच्चतम न्यायालय ने रिलायंस रिटेल के साथ विलय की मंजूरी के लिए फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) की तरफ से दाखिल याचिका की सुनवाई के दौरान अमेजन को लिखित अनुरोध दाखिल करने की मंजूरी देने से मंगलवार को इनकार कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में लिखित निवेदन दाखिल करने के अमेजन के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। देरी से यह अनुरोध किए जाने से नाखुश पीठ ने कहा कि यह एक ‘आरामदायक मुकदमा’ नजर आता है।

मु्ख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आप मामले को जटिल बनाना चाहते हैं। आप इसे खींचना चाहते हैं ताकि सुनवाई चलती रहे। अगर मैं आपके अनुरोध को स्वीकार कर लेता हूं तो फिर मुझे दूसरे पक्ष को भी मंजूरी देनी होगी। अगर आप पिछली तारीख पर ही इसकी मांग करते तो वह अलग बात होती।’’

मुख्य न्यायाधीश की अगुआई वाली पीठ ने गत तीन फरवरी को हुई पिछली सुनवाई में मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखने की बात कही थी।

पीठ ने अमेजन की तरफ से रखी गई दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि मौखिक वक्तव्यों को अब लिखित में दिए जाने की भी दलील रखी जा रही है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि आपकी नजर में हमारे भीतर मौखिक वक्तव्यों को समझने की क्षमता नहीं है। फैसला सुरक्षित रखे जाने के पांच दिन बाद आप फिर से शुरू करना चाहते हैं। मुझे लगता है कि इस मामले को फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध न किया जाए।’’

इस याचिका में एफआरएल ने रिलायंस रिटेल के साथ विलय की योजना पर आगे बढ़ने की मंजूरी मांगी है। रिलायंस रिटेल ने 24,731 करोड़ रुपये में एफआरएल के अधिग्रहण का करार किया है लेकिन अमेजन इस सौदे को अपने निवेश समझौते का उल्लंघन बता रही है।

इस बीच एफआरएल को कर्ज देने वाले 27 बैंकों के गठजोड़ ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि कंपनी को दिया गया कर्ज असल में जमाकर्ताओें का पैसा है लिहाजा जनहित को ध्यान में रखते हुए एफआरएल की सभी परिसंपत्तियों की अमेजन और रिलायंस द्वारा खुली बोली लगाई जानी चाहिए। गठजोड़ ने इसके लिए 17,000 करोड़ रुपये का आरक्षित मूल्य तय करने का सुझाव दिया है।

एफआरएल ने गठजोड़ के खिलाफ एक अन्य याचिका दायर कर यह मांग की है कि बकाया कर्ज का भुगतान नहीं करने पर एक तय समयसीमा तक उसके खिलाफ कोई जबरिया कदम नहीं उठाया जाए।

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