जरुरी जानकारी | बीते सप्ताह आपूर्ति घटने के बीच सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार
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नयी दिल्ली, 24 फरवरी कम आयात के कारण आयातित तेलों की आपूर्ति घटने के बीच बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में लगभग सभी तेल-तिलहनों की कीमतों में मजबूती देखी गई।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि आयात घटने के बीच खाद्य तेलों की आपूर्ति प्रभावित होने के कारण सोयाबीन तेल-तिलहन के भाव मजबूत बंद हुए। इसी तर्ज पर सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल के भाव भी मजबूत रहे। सोयाबीन की कम आपूर्ति के कारण कच्चे पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन की मांग निकलने से भी सीपीओ और पामोलीन के भाव बीते सप्ताह मजबूत बंद हुए।
बीते सप्ताह सोयाबीन की कम आपूर्ति की वजह से पाम पामोलीन की मांग भी बढ़ी है। इस परिस्थिति में सोयाबीन तेल-तिलहन सहित पाम एवं पामोलीन के भाव मजबूत हो गये। सीपीओ का प्रसंस्करण कर उससे पामोलीन बनाने में अधिक लागत बैठती है और कांडला पोर्ट पर पामोलीन, सीपीओ से सस्ता मिल रहा है। बाकी तेलों की तेजी के अनुरूप बिनौला तेल कीमत में भी सुधार आया।
सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन डीगम की कम आपूर्ति की स्थिति को देखते हुए सॉफ्ट आयल (नरम खाद्य तेल) की मांग बढ़ी है। ऐसे में सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन के साथ-साथ बिनौला तेल भी मजबूत रहे।
उन्होंने कहा कि सरसों में आई तेजी तात्कालिक और कम आपूर्ति के कारण है। धीरे-धीरे मंडियों में सरसों की आवक बढ़ेगी। सरकार को तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर सरसों सहित बाकी सभी देशी तेल -तिलहनों के खपने का माहौल निर्मित करने की ओर ध्यान देना होगा। दिल्ली की नजफगढ़ मंडी में भी सरसों की आवक शुरू हो गयी है। सस्ते आयातित तेलों का नीचा भाव रहने तक सरसों के खपने में मुश्किल आयेगी।
उन्होंने कहा कि आयातित सोयाबीन डीगम तेल 10 प्रतिशत प्रीमियम के साथ बिक रहा है। दूसरी ओर सूरजमुखी, मूंगफली, सरसों आदि जैसे देशी तिलहन एमएसपी से कम दाम पर बिक रहे हैं। सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा।
सूत्रों ने कहा कि कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता लगता है कि मूंगफली की बिजाई का रकबा पिछले साल से भी घटा है। इन तिलहन फसल के रकबे में निरंतर गिरावट आ रही है। पिछले साल गर्मियों में 1,44,000 हेक्टेयर में मूंगफली की बिजाई की गई थी जो इस बार घटकर 1,35,000 हेक्टेयर रह गई है। उन्होंने कहा कि मूंगफली और कपास खेती का रकबा घटना एक चिंता की बात हो सकती है क्योंकि इनका और कोई विकल्प नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि कपास संघ ने भी बिनौले की नकली खल की बिक्री पर चिंता जताते हुए इस पर रोक लगाये जाने की मांग की है।
पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 25 रुपये की तेजी के साथ 5,225-5,275 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 200 रुपये बढ़कर 9,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 20-20 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 1,670-1,770 रुपये और 1,670-1,775 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 35-35 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 4,635-4,665 रुपये प्रति क्विंटल और 4,445-4,485 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इसी तरह सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 425 रुपये, 275 रुपये और 525 रुपये के बढ़त के साथ क्रमश: 10,100 रुपये और 9,700 रुपये और 8,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
आयातित खाद्य तेलों की कम आपूर्ति के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन के दाम 75 रुपये की तेजी के साथ 6,025-6,300 रुपये क्विंटल पर बंद हुए। मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव भी क्रमश: 200 रुपये और 30 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 14,700 रुपये क्विंटल और 2,195-2,470 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
सोयाबीन डीगम की कम आपूर्ति के बीच सीपीओ की मांग निकलने से समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चा पाम तेल (सीपीओ) 150 रुपये की मजबूती के साथ 8,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 250 रुपये के बढ़त के साथ 9,550 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 200 रुपये की तेजी के साथ 8,650 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
सुधार के आम रुख के अनुरूप बिनौला तेल भी 350 रुपये बढ़कर 8,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
राजेश
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