देश की खबरें | विधायकों के समर्थन के मामले में अजित पवार राकांपा प्रमुख से आगे; दोनों ने एक-दूसरे पर कसे तंज
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार अपने चाचा शरद पवार की तुलना में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(राकांपा) के अधिक विधायकों का समर्थन होने से संख्या के इस खेल में उनसे आगे नजर आ रहे हैं। दोनों गुटों ने अपना शक्ति प्रदर्शन करने के लिए अलग-अलग बैठकें कीं, जिससे पार्टी पर नियंत्रण हासिल करने के लिए उनके बीच लड़ाई और तेज हो गई है।
मुंबई, पांच जुलाई महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार अपने चाचा शरद पवार की तुलना में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(राकांपा) के अधिक विधायकों का समर्थन होने से संख्या के इस खेल में उनसे आगे नजर आ रहे हैं। दोनों गुटों ने अपना शक्ति प्रदर्शन करने के लिए अलग-अलग बैठकें कीं, जिससे पार्टी पर नियंत्रण हासिल करने के लिए उनके बीच लड़ाई और तेज हो गई है।
पार्टी के दोनों गुटों के सूत्रों ने बताया कि अजित पवार गुट द्वारा बुलाई गई बैठक में राकांपा के 53 में से 32 विधायक शामिल हुए, जबकि राकांपा प्रमुख द्वारा आयोजित बैठक में 18 विधायक उपस्थित थे।
राकांपा के गठन के 24 साल बाद दो जुलाई को इसमें हुई टूट के बाद पहली बार पार्टी की अलग-अलग बैठकें हुईं। शरद पवार ने शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल होने को लेकर अपने भतीजे अजित पवार की आलोचना की। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर तंज कसे।
पार्टी के शरद पवार और अजित पवार गुटों ने क्रमश: दक्षिण मुंबई के यशवंतराव चव्हाण सेंटर और उपनगर बांद्रा में भुजबल नॉलेज सिटी में अपनी-अपनी बैठकें कीं।
पार्टी के 53 में से 32 विधायकों और कार्यकर्ताओं के बीच मौजूद अजित पवार ने अपने 83 वर्षीय चाचा शरद पवार को याद दिलाया कि उनके सक्रिय राजनीति से ‘रिटायर’ होने का समय आ गया है।
अजित पवार ने अपने गुट की बैठक में कहा, ‘‘भाजपा में, नेता 75 वर्ष की आयु में रिटायर हो जाते हैं, आप कब होने जा रहे हैं।’’
अजित (63) ने कहा, ‘‘हर किसी की अपनी पारी होती है। सबसे सार्थक समय 25 से 75 वर्ष की आयु तक होता है।’’
उन्होंने जब यह टिप्पणी की, उस वक्त अजित पवार खेमे के 75 वर्षीय सदस्य छगन भुजबल मंच पर मौजूद थे। भुजबल, एकनाथ शिंदे मंत्रिमंडल में शामिल किये गये नये मंत्री हैं।
अजित पवार ने शरद पवार पर 2004 में राकांपा का मुख्यमंत्री बनाने का मौका गंवाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘2004 में हमारे पास कांग्रेस से ज्यादा विधायक थे, लेकिन हमारे वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस को मुख्यमंत्री पद लेने दिया।’’
राज्य में 2004 के विधानसभा चुनाव में राकांपा को कांग्रेस से दो सीट अधिक मिली थी, लेकिन कांग्रेस के विलासराव देशमुख मुख्यमंत्री बने थे।
अजित ने कहा, ‘‘हमारे लिए साहेब (शरद पवार) देवता तुल्य हैं और हमारे मन में उनके लिए काफी सम्मान है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा के) अधिकारी 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत होते हैं। यहां तक कि राजनीति में भी, भाजपा नेताओं के रिटायर होने की उम्र 75 वर्ष है। आपने लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी का उदाहरण देखा है।’’
अपने गुट की बैठक को संबोधित करते हुए शरद पवार ने सत्ता के लिए भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिलाने को लेकर अपने भतीजे की आलोचना की क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राकांपा को ‘भ्रष्ट’ पार्टी बताते हैं।
शरद पवार ने अजित पवार गुट द्वारा उनकी तस्वीर का इस्तेमाल करने को लेकर भी आपत्ति जताई।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर वो उधर चले गए हैं तो मेरी तस्वीर का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं? मैं अपनी पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न उनके हाथों में नहीं जाने दूंगा।’’
अजित पवार नीत गुट के निर्वाचन आयोग का रुख करने और पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावा पेश करने पर, पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने अपने समर्थकों को आश्वस्त किया कि वह किसी को भी पार्टी का चिह्न छीनने नहीं देंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ दिन पहले, उन्होंने (अजित ने) मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की आलोचना करते हुए कहा था कि उन्होंने इतने साल में ऐसा मुख्यमंत्री कभी नहीं देखा, लेकिन आज उन्होंने उनसे हाथ मिला लिया।’’
शरद पवार ने 1999 में कांग्रेस से अलग होकर राकांपा का गठन करने के दिनों को याद करते हुए कहा, ‘‘आज हम सत्ता में नहीं हैं, लेकिन हम लोगों के दिलों में हैं।’’ राकांपा प्रमुख ने अजित गुट को चेतावनी देते हुए कहा कि भाजपा के एक-एक सहयोगी ने ‘राजनीतिक तबाही’ का सामना किया है और उनका भी यही हश्र होगा।
राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘‘अपने राजनीतिक सहयोगियों को धीरे-धीरे कमजोर करना भाजपा की नीति है। अन्य राज्यों में इसके कई उदाहरण हैं।’’
राकांपा प्रमुख ने कहा, ‘‘अकाली दल कई वर्षों तक भाजपा के साथ रहा, लेकिन अब कहीं नहीं है। यही स्थिति तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और बिहार में देखने को मिली। (बिहार के) मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे महसूस किया और राजद के साथ गठजोड़ (महागठबंधन) में शामिल हो गये।’’
वहीं, महाराष्ट्र के मंत्री भुजबल ने कहा कि उन्होंने उपयुक्त विचार करने के बाद शिंदे-भाजपा सरकार में शामिल होने का फैसला किया।
भुजबल ने एक समाचार चैनल से कहा, ‘‘यदि उनका (शरद पवार का) राजनीति में 57-58 साल का करियर है, तो मैंने भी इसी क्षेत्र में 56 साल बिताये हैं।’’
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