जरुरी जानकारी | महामारी के बाद निजी बैंकों के कर्ज सार्वजनिक बैंकों से दोगुना एनपीए, बट्टा खाते में गएः रिपोर्ट

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. कोविड-19 महामारी के बाद कर्जों का पुनर्गठन होने से निजी बैंकों के कर्जों के एनपीए होने और बट्टा खाते में जाने के मामले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से लगभग दोगुने हो गए। शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।

नयी दिल्ली, 16 जून कोविड-19 महामारी के बाद कर्जों का पुनर्गठन होने से निजी बैंकों के कर्जों के एनपीए होने और बट्टा खाते में जाने के मामले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से लगभग दोगुने हो गए। शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च की इस रिपोर्ट के अनुसार, निजी क्षेत्र के बैंकों में कर्जों के गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) बनने और बट्टा खाते वाले ऋणों का अनुपात 44 प्रतिशत हो गया। वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में यह अनुपात सिर्फ 23 प्रतिशत था। रिपोर्ट में इस रुझान को ‘आश्चर्यजनक’ बताया गया है।

घरेलू रेटिंग एजेंसी ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बैंकों के वार्षिक परिणामों का विश्लेषण किया है। इसमें पाया गया कि बैंक के बहीखातों में पुनर्गठित ऋणों का अनुपात सितंबर, 2022 में सर्वाधिक था। उस समय पुनर्गठित ऋणों की कुल मात्रा 2.2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी।

रिपोर्ट के मुताबिक, “जहां कर्जों के ब्याज भुगतान में चूक के कुछ और मामले हो सकते हैं, वहीं बैंकों का मानना है कि पुनर्गठित कर्जों के प्रदर्शन से मोटे तौर पर समग्र पोर्टफोलियो का प्रदर्शन नजर आएगा।”

कोविड महामारी का प्रकोप बढ़ने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक और कर्ज पुनर्गठन योजना की घोषणा की थी। महामारी के दौरान सख्त लॉकडाउन लगाया गया था, जिससे अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो गई थी।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\