Dilwale Dulhaniya Le Jayenge turns 25: डीडीएलजे के 25 साल हुए पुरे, यश चोपड़ा को लगा था 'घिसा-पिटा' है फिल्म का क्लाइमैक्स

'दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे' में जब रेलवे स्टेशन पर अमरीश पुरी का किरदार चौधरी बलदेव सिंह अपनी बेटी सिमरन का हाथ छोड़ता है और कहता है 'जा सिमरन जा' इस सीन ने सभी का दिल जीत लिया. लेकिन फिल्म के निर्माता दिवंगत यश चोपड़ा को दर्शकों की प्रतिक्रिया देखने के पहले तक लगता था कि यह बेहद 'घिसा पिटा' क्लाइमैक्स है और इसमें कुछ खास नहीं है.

फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे का पोस्टर (Photo Credits: Instagram)

मुंबई, 21 अक्टूबर: 'दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे' (Dilwale Dulhaniya Le Jayenge) में जब रेलवे स्टेशन पर अमरीश पुरी का किरदार चौधरी बलदेव सिंह अपनी बेटी सिमरन (कजोल) का हाथ छोड़ता है और कहता है ‘जा सिमरन जा' इस सीन ने सभी का दिल जीत लिया. लेकिन फिल्म के निर्माता दिवंगत यश चोपड़ा को दर्शकों की प्रतिक्रिया देखने के पहले तक लगता था कि यह बेहद ‘घिसा पिटा’ क्लाइमैक्स है और इसमें कुछ खास नहीं है.

डीडीएलजे में देश-विदेश के खूबसूरत नजारों को हमारे पास पहुंचाने वाले सिनमैटोग्राफर मनमोहन सिंह याद करते हैं, ‘‘शुरुआत में यश जी सहित कई लोगों को यही लग रहा था कि क्लाइमैक्स नहीं चलेगा. हमें लगा था कि फिल्म इतनी अच्छी है, लेकिन अंत में आते-आते वही घिसी-पिटी रह जाती है. बेहद साधारण सा अंत है जहां बाप अपनी बेटी का हाथ छोड़ देता है. शूटिंग के पहले नहीं, उसके बाद भी इसे लेकर हम कुछ खास संतुष्ट नहीं थे.’’

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डीडीएलजे राज और सिमरन (शाहरूख खान और काजोल के किरदार) की प्रेम कहानी है. दोनों को यूरोप घूमते हुए प्यार हो जाता है, लेकिन जब वह पंजाब लौटते हैं तो अपनी परंपराओं को नहीं भुलाते, उन्हें याद रखते हैं और अपने परिवार को मनाने की कोशिश करते हैं. फिल्म के मंगलवार को 25 साल पूरे हो गए. इस अवसर पर सिंह याद करते हैं कि कैसे जब आदित्य चोपड़ा ने उन्हें अपनी पहली फिल्म की कहानी सुनायी थी.

डीडीएलजे फिल्माते वक्त सिंह कुछ 46 साल के रहे होंगे, वह कहते हैं कि फिल्म के क्लाइमैक्स को लेकर उनकी चिंता तब दूर हुई जब उन्होंने दर्शकों को तालियां और सीटियां बजाते हुए देखा. वह कहते हैं, ‘‘यश जी को कुछ दिक्कत थी, लेकिन लगने लगा था कि यह काम करेगा. आदित्य भी मानते थे कि यह परपेक्ट नहीं हैं, लेकिन उन्होंने हमसे कहा था कि और कोई रास्ता नहीं है, फिल्म को यहीं खत्म होना होगा. लेकिन जब हमने लोगों को तालियां और सीटियां बजाते हुए सुना, हम सभी को सुखद आश्चर्य हुआ. हमें जरा भी एहसास नहीं था कि यह चलेगा, दशकों बाद भी लोगों के दिमाग में बने रहने की बात तो दूर थी.’’

‘उमराव जान’, यश चोपड़ा की ‘डर’ और ‘बाजीगर’ जैसी फिल्मों के लिए संवाद लिख चुके जावेद सिद्दीकी के लिए डीडीएलजे 50वीं फिल्म थी. सिद्दीकी ने कहा कि आदित्य चोपड़ा के स्क्रीप्ट में ऐसे रोमांस की कहानी थी जो किसी भी दौर के लिए सही है. वह बताते हैं कि कई लोग ऐसी रोमांटिक, म्यूजिकल फिल्म के लिए तैयार नहीं थे, जो कई महादेशों में शूट की गयी हो.

78 वर्षीय पटकथा लेखक ने पीटीआई- को बताया, ‘‘जब फिल्म बन रही थी तो किसी ने नहीं सोचा था कि यह सारे रिकॉर्ड तोड़ देगी. कई लोगों के मन में संदेह था. यश राज फिल्म के बेहद महत्वपूर्ण व्यक्ति ने मुझसे कहा था कि यशजी से कहो की फिल्म में ऐसी बेवकूफी ना करें. उन्होंने यह भी कहा था कि यह फिल्म नहीं है, यात्रावृतांत है.’’

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