देश की खबरें | बिंद्रा की बराबरी करने के लिये निशाना साधेंगे 15 भारतीय निशानेबाज

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. वह 11 अगस्त 2008 का दिन था जब बीजिंग शूटिंग रेंज पर अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण पदक पर निशाना साधकर भारतीय खेलों में नया इतिहास रचा था।

नयी दिल्ली, छह जुलाई वह 11 अगस्त 2008 का दिन था जब बीजिंग शूटिंग रेंज पर अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण पदक पर निशाना साधकर भारतीय खेलों में नया इतिहास रचा था।

इसके 13 साल बाद भारत के रिकार्ड 15 निशानेबाज बिंद्रा की उपलब्धि की बराबरी करने के लक्ष्य के साथ तोक्यो के शूटिंग रेंज में अपना भाग्य आजमाएंगे। इससे ओलंपिक में भाग लेने वाले भारतीय निशानेबाजों की कुल संख्या भी 63 पर पहुंच जाएगी।

निशानेबाजी ऐसा खेल है जिसमें भारत ने हॉकी और कुश्ती के बाद सर्वाधिक पदक जीते हैं। हॉकी के आठ स्वर्ण पदकों के अलावा एकमात्र व्यक्तिगत स्वर्ण पदक भी भारत को निशानेबाजी में ही मिला है। भारत इस उम्मीद के साथ तोक्यो में निशानेबाजी में अपना सबसे बड़ा दल भेज रहा है कि इस खेल में अब तक जीते गये एक स्वर्ण, दो रजत और एक कांस्य सहित चार पदकों की तालिका में पर्याप्त बढ़ोतरी होगी।

बिंद्रा का बीजिंग ओलंपिक 2008 में 10 मीटर एयर राइफल में जीता गया स्वर्ण पदक पिछले 40 वर्षों में भारत का इन खेलों में एकमात्र सोने का तमगा है। बिंद्रा ने क्वालीफाईंग राउंड में 596 अंक के साथ चौथे स्थान पर रहकर फाइनल में जगह बनायी। फाइनल में उन्होंने 104.5 स्कोर बनाया और कुल 700.5 के स्कोर के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

बिंद्रा से चार साल पहले एथेंस ओलंपिक में सेना में अधिकारी राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने डबल ट्रैप में रजत पदक जीता था। यह नार्मन प्रिचार्ड के पेरिस ओलंपिक 1900 के प्रदर्शन के बाद भारत की तरफ से व्यक्तिगत रजत पदक जीतने वाले पहले खिलाड़ी थे।

लंदन ओलंपिक 2012 में सेना में ही कार्यरत विजय कुमार ने पुरुषों के 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल में रजत पदक जीतकर इसे दोहराया था। लंदन ओलंपिक में ही गगन नारंग ने 10 मीटर एयर राइफल में कांस्य पदक अपने नाम किया।

इस तरह से भारत ने ओलंपिक में अब तक जो 17 व्यक्तिगत पदक जीते हैं उनमें से चार पदक निशानेबाजी में हासिल किये हैं। भारत ने ओलंपिक की निशानेबाजी प्रतियोगिता में पहली बार 1952 में हेलसिंकी ओलंपिक में हिस्सा लिया था। अभी तक निशानेबाजी में भारत के 48 प्रतिभागियों ने ओलंपिक में जगह बनायी है जिनमें 12 महिलाएं शामिल हैं।

भारतीय निशानेबाजों से रियो ओलंपिक में काफी उम्मीदें लगायी गयी थी लेकिन वहां उन्हें निराशा हाथ लगी थी जिसकी भरपायी वे तोक्यो में करना चाहेंगे।

निशानेबाजी में इस बार भारतीय दारोमदार दिव्यांश सिंह पंवार, इलावेनिल वलारिवान, मनु भाकर, सौरभ चौधरी, ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर जैसे युवा खिलाड़ियों पर टिका होगा जिन्होंने हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया है।

स्कीट निशानेबाजों को छोड़कर बाकी भारतीय निशानेबाज अभी क्रोएशिया में अभ्यास कर रहे हैं और वहीं से तोक्यो पहुंचेंगे। स्कीट निशानेबाज इटली में अभ्यास कर रहे हैं।

तोक्यों में भारत की निगाहें अंजुम मौदगिल और अपूर्वी चंदेला (दोनों महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल), दिव्यांश सिंह पंवार और दीपक कुमार (दोनों पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल), तेजस्विनी सावंत (महिलाओं की 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन), संजीव राजपूत और ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर (पुरुषों की 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन), मनु भाकर और यशस्विनी सिंह देसवाल (महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल), सौरभ चौधरी और अभिषेक वर्मा (पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल), राही सरनोबत और इलावेनिल वलारिवान (महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल) तथा अंगद वीर बाजवा और मैराज अहमद खान (पुरुष स्कीट) पर टिकी रहेंगी।

ओलंपिक खेलों में निशानेबाजी की बात करें तो यह खेल 1896 एथेंस ओलंपिक से ही इन खेलों का हिस्सा बन गया था लेकिन तब केवल पांच स्पर्धाएं आयोजित की गयी थी। पहले ओलंपिक के बाद केवल दो बार 1904 और 1928 में निशानेबाजी ओलंपिक खेलों में शामिल नहीं रहा।

ओलंपिक में पहले तीनों प्रकार राइफल, पिस्टल और स्कीट में महिला और पुरुष वर्ग में पांच-पांच स्पर्धाएं आयोजित की जाती थी लेकिन तोक्यो ओलंपिक में महिला और पुरुष वर्ग में छह-छह स्पर्धाओं के अलावा पहली बार 10 मीटर एयर राइफल, 10 मीटर एयर पिस्टल और शॉटगन ट्रैप में मिश्रित स्पर्धाएं शामिल की गयी हैं।

ओलंपिक निशानेबाजी में अमेरिका का दबदबा रहा है। अमेरिका ने निशानेबाजी में 54 स्वर्ण पदक सहित 110 पदक जीते हैं। पिछले कुछ समय से चीन ने निशानेबाजी में अपनी विशेष छाप छोड़ी है और इसका परिणाम है कि उसके नाम पर 22 स्वर्ण सहित 56 पदक दर्ज हैं। सोवियत संघ – रूस ने 24 स्वर्ण पदक अपने नाम किये हैं।

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