यूरोपीय संघ के शीर्ष अधिकारियों ने फलीस्तीन मदद को निलंबित करने की घोषणा की. फिर उसे वापस ले लिया. शीर्ष अधिकारियों और विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि फंड में कटौती करना गलत होगा और ईयू के रणनीतिक हितों को कमजोर करेगा.यूरोपीय संघ पिछले शनिवार को इस्राएली क्षेत्र के भीतर आतंकवादी समूह हमास के विनाशकारी हमले के सदमे से अभी उबरा भी न था कि यूरोपियन नेबरहुड कमिश्नर ओलिवेअर वारहैई की टिप्पणियों ने यूरोपीय संघ की फलीस्तीन नीति को अव्यवस्थित कर दिया.
वारहैई, आस-पास के देशों के साथ संबंधों की देखरेख के लिए जिम्मेदार हैं. 9 अक्टूबर को उन्होंने एक्स (ट्विटर) पर घोषणा कर दी कि फलीस्तीनियों को दी जाने वाली 691 मिलियन यूरो की विकास सहायता निलंबित कर दी जाएगी. उन्होंने लिखा, "इस्राएल और उसके लोगों के खिलाफ आतंक और क्रूरता का पैमाना एक महत्वपूर्ण मोड़ है.”
आधिकारिक तौर पर इस्राएल में मरने वालों की संख्या 1,200 हो गई. साथ ही, हमास ने दर्जनों बंधकों को भी पकड़ रखा है.
फलीस्तीनी मदद पर वारहैई की इस शरारतपूर्ण घोषणा ने यूरोपीय संघ के कई सदस्य देशों, जैसे आयरलैंड, स्पेन और लक्जमबर्ग को नाराज कर दिया और ये देश इसके विरोध में आ गए. यूरोपीय आयोग ने इस बारे में तुरंत स्पष्टीकरण जारी किया.
यूरोपीय संघ की कार्यकारी शाखा ने घंटों बाद एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की, जिसमें लिखा गया था कि कोई भी मानवीय सहायता निलंबित नहीं की जाएगी. हालांकि इसमें यह भी लिखा था कि यह सुनिश्चित करने के लिए विकास सहायता की तत्काल समीक्षा की जाएगी कि ‘यूरोपीय संघ का कोई भी वित्तपोषण, अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी आतंकवादी संगठन को इस्राएल के खिलाफ हमले करने में सक्षम नहीं बनाता है.'
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यह बात हमास के लिए कही गई है.
हमास की निंदा, लेकिन कोई ‘सामूहिक सजा' नहीं
10 अक्टूबर को विदेश मंत्रियों की एक आपातकालीन बैठक के बाद, यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के प्रमुख जोजेप बोरैल ने कहा कि यूरोपीय संघ अपने सहयोगी फलीस्तीन प्राधिकरण (पीए) के साथ काम करना जारी रखेगा, जो कि इस्राएल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों पर शासन करता है. उन्होंने कहा कि 27 सदस्य देशों का भारी बहुमत इस रुख से सहमत है.
यूरोपीय संघ ने गाजा को नियंत्रित करने वाले हमास द्वारा किए गए आतंकवादी हमलों की निंदा की और इस्राएल के साथ एकजुटता व्यक्त की. ओमान में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोरैल ने कहा, "सभी फलीस्तीनी लोग आतंकवादी नहीं हैं. इसलिए सभी फलीस्तीनियों को सामूहिक सजा देना अनुचित और अनुत्पादक होगा.”
यूरोपीय संघ के शीर्ष राजनयिक बोरैल ने कहा कि संघ का पैसा हमास को नहीं जाता है, जिसे इस्राएल, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ ने एक आतंकवादी समूह के तौर पर नामित किया है. उन्होंने कहा कि विकास सहायता समीक्षा अब एक बार फिर इसकी जांच करेगी.
इससे पहले इस्राएल, यूरोपीय संघ पर अनजाने में हमास को वित्त पोषित करने का आरोप लगा चुका है. हालांकि संघ का हमेशा से कहना था कि इस पैसे को बहुत सख्ती से नियंत्रित किया जाता है.
ऐसे में सवाल उठता है कि यूरोपीय संघ के धन का इस्तेमाल इस्राएल के कब्जे वाले गाजा और वेस्ट बैंक के फलीस्तीनी क्षेत्रों में किस रूप में होता है?
ईयू का पैसा कहां जाता है?
यूरोपीय संघ फलीस्तीनी लोगों के लिए विकास और मानवीय सहायता देने वाली प्रमुख संस्थाओं में से एक है. उदाहरण के लिए, पिछले साल संघ ने वित्तीय सहायता के तौर पर करीब 300 मिलियन यूरो निर्धारित किए थे. इसमें 200 मिलियन यूरो सामाजिक और चिकित्सा क्षेत्र, वेतन, पेंशन और अन्य परियोजनाओं पर पीए के खर्च में मदद के लिए थे. करीब 100 मिलियन यूरो फलीस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र सेवा, यूएनआरडब्ल्यूए को भी दिए गए.
इसके अलावा यूरोपीय संघ, फलीस्तीनी मानवाधिकार समूहों को भी धन मुहैया कराता है. इस पैसे का यूरोपीय संघ के भीतर इस्राएल के कट्टर समर्थकों द्वारा सबसे ज्यादा विरोध किया जाता है.
इन सबके अलावा यूरोपीय संघ के धन में अलग-अलग यूरोपीय संघ के देशों से भी दान आता है.
वेस्ट बैंक और गाजा में स्थित यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि कार्यालय के अनुसार, यूरोपीय संघ विकास सहायता का मकसद दो-राज्य समाधान (टू-स्टेट सॉल्यूशन) की दिशा में काम करने में मदद करना है, जो ‘फलीस्तीन के एक स्वतंत्र और संप्रभु राज्य की स्थापना का समर्थन करता है और जो शांति और सुरक्षा के साथ इस्राएल के साथ रहता है.'
यूरोपियन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के ह्यू लोवाट ने डीडब्ल्यू को बताया कि पीए इन फंड्स पर बहुत ज्यादा निर्भर है.
फलीस्तीन अथॉरिटी को अधिनायकवादी और गैर प्रतिनिधित्ववादी बताते हुए उन्होंने कहा, "पीए एक गहरे वित्तीय संकट में है. यह बहुत ज्यादा घाटे का सामना कर रहा है. इसकी इतनी समस्याएं हैं, जिनका जिक्र करना ही संभव नहीं है, लेकिन सबसे बड़ी समस्याएं वैधता की कमी और स्थिरता की कमी है.”
गौरतलब है कि साल 2006 के बाद से फलीस्तीन क्षेत्रों में कोई चुनाव नहीं हुआ है.
यूरोपीय संघ का फंडिंग रोकना खतरनाक होगा
बहरहाल, लोवाट का मानना है कि पीए को फायदा पहुंचाने वाली विकास सहायता को रोकना एक बड़ी गलती होगी, खासतौर पर सामाजिक और आर्थिक सहायता. वह कहते हैं, "वास्तव में यह मदद वेस्ट बैंक को स्थिर करने के लिए काफी कुछ कर रही है और हिंसा के विस्फोट से बचने के लिए भी काफी कुछ कर रही है. इस फंडिंग को रोकने से इस्राएल को भी नुकसान होगा. आखिरकार, यूरोपीय संघ की फंडिंग में कटौती फलीस्तीनियों को और दूर धकेल देगी. इस बात की भी आशंका है कि वो हिंसा की ओर भी उन्मुख हो सकते हैं. हां, हमास इस फैसले से काफी खुश होगा क्योंकि हमास और पीए एक-दूसरे के दुश्मन हैं.”
यूरोपीय संघ के कई देशों ने फलीस्तीनी क्षेत्रों को भेजे जाने वाले धन की व्यक्तिगत समीक्षा की घोषणा की है. लेकिन लोवाट का कहना है कि वेस्ट बैंक के लिए सहायता वापस लेना इतना अस्थिर करने वाला होगा कि यूरोपीय सरकारों के लिए ऐसा करने पर विचार करना भी बेतुका होगा. इसके अलावा, वह ये भी कहते हैं कि इस बात के विश्वसनीय सबूत कभी नहीं मिले कि यूरोपीय संघ का पैसा हमास को आया.
ब्रसेल्स के एक थिंक टैंक इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के विश्लेषक जूस्ट हिल्टरमान भी कहते हैं कि सहायता में कटौती से फलीस्तीनियों में एक गलत संदेश जाएगा, "मदद रोकने का इस अर्थ में एक बड़ा प्रभाव होगा कि फलीस्तीनियों को ऐसा लगेगा कि यूरोपीय संघ ने उन्हें त्याग दिया है. वो भी ऐसे समय में, जबकि उन्हें सबसे ज्यादा राजनीतिक समर्थन की आवश्यकता है क्योंकि फिलहाल वो ये देख रहे हैं कि यूरोपीय संघ खुद इस्राएल के पीछे खड़ा है और अब किसी भी तरह से यह मुद्दा गैर-पक्षपातपूर्ण नहीं रह गया है.”
हालांकि यूरोपीय संघ एक समूह के रूप में सामूहिक तौर पर कोई समझौता करता है, लेकिन आयरलैंड, नीदरलैंड्स और लक्जमबर्ग जैसे कुछ सदस्य देश फलीस्तीनियों के प्रति ज्यादा ही सहानुभूति रखते हैं. वहीं दूसरी ओर हंगरी और ऑस्ट्रिया जैसे देश इस्राएल का समर्थन करते हैं.
हिल्टरमान कहते हैं कि यूरोपीय संघ की नकदी महत्वपूर्ण है, लेकिन यह निश्चित तौर पर फलीस्तीनी समाज को बढ़ावा नहीं देती है. वह कहते हैं, "एक तरह से, इसने फलीस्तीनी क्षेत्रों पर इस्राएल के कब्जे को जारी रखने में सक्षम बनाया है. बेशक, यह इस्राएल के लिए फायदेमंद है क्योंकि दो-राज्य समाधान का मुद्दा अब फीका पड़ गया है, क्योंकि इस्राएल ने अपनी बस्तियों का काफी विस्तार कर लिया है.”
लेकिन उनका कहना है कि इसके बावजूद, यूरोपीय संघ के मदद में कटौती का समर्थन नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे सबसे कमजोर लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव आया है.
आगे का रास्ता क्या है?
आईसीआर विश्लेषक हिल्टरमान कहते हैं कि जैसे-जैसे संघर्ष बढ़ता है, यूरोपीय संघ को फलीस्तीनियों की नजर में विश्वसनीय होने के लिए हमास या इस्राएल द्वारा किए गए किसी भी युद्ध अपराध की समान रूप से निंदा करने में सावधानी बरतनी चाहिए. वह कहते हैं, "मुझे लगता है कि यहां कोई नैतिक अस्पष्टता या दोहरा मापदंड नहीं हो सकता है.”
बीते दिनों बोरैल, यूरोपीय संघ के कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की तुलना में इस्राएल पर थोड़ा सख्त हो गए थे, लेकिन अभी भी वो एकजुटता व्यक्त कर रहे हैं. वह कहते हैं, "इस्राएल के पास अपनी रक्षा करने का वैध अधिकार था, लेकिन कुछ निर्णय अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत हैं.” उनका इशारा गाजा को भोजन, पानी, दवा, ईंधन और बिजली की आपूर्ति पर पूर्ण नाकाबंदी की ओर था.
लोवाट कहते हैं कि यूरोपीय संघ की प्राथमिकताओं में से एक पड़ोसी देश मिस्र के माध्यम से गाजा के लिए मानवीय गलियारे को सुनिश्चित करना होना चाहिए. इस क्षेत्र के संघर्ष को वेस्ट बैंक या लेबनान के साथ उत्तरी सीमा तक फैलने से रोकने के लिए भी काम करना चाहिए.
उनके मुताबिक, "हालांकि ऐसा लगता है कि यूरोपीय संघ ने हाल के वर्षों में खुद को इस्राएल के साथ कुछ ज्यादा निकटता से जोड़ लिया है, लेकिन जैसे-जैसे संघर्ष तेज होगा, उसकी प्रतिक्रिया तल्ख हो सकती है. मुझे लगता है कि किसी बिंदु पर जब यूरोपीय नेता और अधिकारी गाजा में नरसंहार के पैमाने को देखते हैं, जो हर बार होता है- इस बार यह और भी बदतर है- चीजें पीछे की ओर स्थानांतरित हो जाती हैं.”
हिल्टरमान संक्षेप में कहते हैं,"हर कोई जानता है, इस संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं है." लोवाट भी उनकी इस बात से सहमत हैं.