रूसी (Russia) सेना ने यूक्रेन (Ukraine) के ‘जपोरिजिया परमाणु संयंत्र’ (Zaporizhzhia Nuclear Plant) को निशाना बनाया है. जिसके बाद यूरोप के इस सबसे बड़े न्यूक्लियर पावर प्लांट में आग लग गई. यूक्रेन ने दुनिया को आगाह किया कि अगर जपोरिजिया न्यूक्लियर प्लांट पर रूस के हमले से ब्लास्ट हुआ तो वह चेरनोबिल से 10 गुना बड़ा होगा. जो ऐसी तबाही लाएगी जिसका खामियजा पूरी दुनिया को चुकाना पड़ सकता है. Russia-Ukraine War: यूक्रेन के एक और परमाणु संयंत्र पर रूस का नियंत्रण, जपोरिजिया न्यूक्लियर प्लांट को रूसी सेना ने किया सीज
जपोरिजिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र के प्रवक्ता ने कहा कि दक्षिणी यूक्रेन के एनेर्होदर शहर में रूस के ऊर्जा संयंत्र पर हमला करने के बाद से प्रतिष्ठान में आग लग गयी. यूक्रेन में कुल बिजली उत्पादन का 25 फीसदी उत्पादन इसी प्लांट से होता है. खबर है कि जपोरिजिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र की साइट के पास रेडिएशन के ऊंचे स्तर का भी पता चला है. बता दें कि चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र इतिहास की सबसे भीषण परमाणु तबाही का स्थल है. हालांकि इसकी स्थिति अब स्थिर है, जिसमें दिन में कम से कम छह बार रेडिएशन स्तर की निगरानी की जाती है.
चेरनोबिल त्रासदी (Chernobyl Disaster)
यूक्रेन की राजधानी कीव से 130 किमी उत्तर में स्थित चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र (एनपीपी) में 26 अप्रैल 1986 को मानव इतिहास की सबसे बदतर परमाणु दुर्घटना हुई थी. तब यहां देर रात एक परीक्षण के दौरान परमाणु रिएक्टर में कई धमाके हुए थे, जिससे पूरे यूरोप में रेडियो एक्टिव पदार्थ फैल गया था. इसकी चपेट में आने से एनपीपी में काम करने वाले कम से कम 35 लोगों की मौत कुछ ही घंटों में हो गई थी.
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, चेरनोबिल दुर्घटना के बाद के वर्षों में रेडिएशन के लक्षणों से अनगिनत अन्य लोगों की मृत्यु हो गई थी. रिपोर्टों के अनुसार इस भीषण हादसे सेफैले रेडिएशन से पांच हजार से ज्यादा लोगों की जान गई और हजारों लोगों को गंभीर बीमारियां हुईं. जिस रिएक्टर में विस्फोट हुआ था, उसमें से रेडिएशन रिसाव रोकने के लिए उसे एक सुरक्षात्मक उपकरण से कवर किया गया है और पूरे संयंत्र को निष्क्रिय कर दिया गया है.
इस आपदा से यहां की मिट्टी तक से दूषित हो गई है. संयंत्र के चारों ओर भूमि के एक बड़े हिस्से को निषिद्ध क्षेत्र के रूप में नामित किया गया था और आम लोगों को दशकों तक इसमें प्रवेश करने से पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया था. लेकिन अब रेडिएशन का स्तर कम हो गया था, इसलिए संयंत्र के आसपास के 30 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को आधिकारिक तौर पर 2010 में पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था, हालांकि कुछ क्षेत्र अभी रेडिएशन से अत्यधिक प्रदूषित हैं.
बेलारूस की सीमा से नजदीक चेरनोबिल परमाणु संयंत्र पर फिलहाल रूस का कब्ज़ा है. आज 36 साल बाद भी चेरनोबिल जोन में गामा रेडिएशन का स्तर बहुत अधिक है. हालांकि यूक्रेन के विशेषज्ञों के अनुसार चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा के यूरेनियम ईंधन द्रव्यमान में विखंडन प्रतिक्रियाओं से कोई खतरा नहीं है और किसी भी तरह की आपदा की संभावना न्यूनतम है.