लीबिया में आतंकियों द्वारा अगवा किए गए एक दक्षिण अफ्रीकी नागरिक को रिहा कर दिया गया है. गार्को वान डेवेंटर छह साल तक जिहादियों की कैद में रहे.दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्यकर्मी गार्को वान डेवेंटर का छह साल लंबा अपहरण खत्म हो गया था. 48 साल के डेवेंटर को 2017 में लीबिया में अगवा किया गया था. अपहरणकर्ताओं ने उन्हें अल कायदा से जुड़े आतंकी संगठन जमात नुसरत अल-इस्लाम वल मुसलीमीन को बेच दिया था.
एक मानवाधिकार संगठन गिफ्ट ऑफ द गिवर्स के मुताबिक वान डेवेंटर को माली और अल्जीरिया की सीमा पर रिहा किया गया. संगठन का दावा है कि दक्षिण अफ्रीका का यह अपहरण का अब तक का सबसे लंबा मामला है.
माली के एक सुरक्षा अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "हमें सूचना मिली है कि दो दिन पहले दक्षिण अफ्रीकी बंधक को रिहा कर दिया गया है.” इस अधिकारी ने बताया कि डेवेंटर को अल्जियर्स के एक अस्पताल में देखरेख के लिए रखा गया है.
उनकी पत्नी शिरीन वान डेवेंटर ने कहा कि परिवार इस समाचार से अत्यधिक भावुक है और कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता. दक्षिण अफ्रीकी एनजीओ गिफ्ट ऑफ द गिवर्स इस मामले में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा था. उसने एक बयान जारी कर बताया था कि परिवार के अनुरोध पर वह मध्यस्थ बना था और और उसने जेएनआईएम से संपर्क किया था.
वान डेवेंटर की कहानी
गेर्को वान डेवेंटर नवंबर 2017 में लीबिया की राजधानी त्रिपोली से करीब एक हजार किलोमीटर दूर एक बिजली संयंत्र निर्माण स्थल की ओर जा रहे थे. तब उन्हें जिहादियों ने अगवा कर लिया था. उनके परिवार की ओर से तब जारी एक अपील के मुताबिक उस वक्त वह एक सुरक्षा कंपनी के लिए स्वास्थ्यकर्मी के तौर पर काम कर रहे थे.
उनके साथ तीन तुर्क इंजीनियर भी थे जिन्हें सात महीने बाद रिहा कर दिया गया. लेकिन वान डेवेंटर की रिहाई नहीं हो पाई और अपहरणकर्ता उन्हें माली ले गए. 2018 में अपहरणकर्ताओं ने उन्हें आतंकी समूह अल कायदा से जुड़े संगठन जमात नुसरत अल-इस्लाम वल मुसलमीन को बेच दिया.
गिफ्ट ऑफ द गिवर्स का कहना है कि शुरुआत में वान डेवेंटर की रिहाई के लिए 30 लाख अमेरिकी डॉलर की फिरौती मांगी गई थी लेकिन बाद में मोलभाव करके इसे पांच लाख डॉलर तक लाया गया. हालांकि यह नहीं बताया गया है कि यह फिरौती दी गई या नहीं. संगठन ने बस इतना कहा कि परिवार इतना पैसा नहीं दे सकता था.
आखिरकार रिहाई
वान डेवेंटर की रिहाई के लिए अफ्रीका में लोगों ने सड़कों पर प्रदर्शन भी किए थे. कोविड महामारी के दौरान उनकी रिहाई की कोशिशें ठंडी पड़ गई थीं. तब उनकी पत्नी शिरीन ने बयान जारी कर कहा था कि शुरुआत में कोशिशों में तेजी रही लेकिन कोविड के दौरान ये कोशिशें ठंडी पड़ गईं.
अफ्रीका के युद्धग्रस्त इलाकों में विदेशियों की अपहरण की कई घटनाएं हो चुकी हैं. 2016 में 61 साल के एक मानवाधिकार कार्यकर्ता अमेरिकी नागरिक जेफ्री वुडके का अपहरण कर लिया गया था. उन्हें सात साल बाद इस साल मार्च में रिहाई मिली. 48 साल के फ्रांसीसी पत्रकार ओलिवर डुबुऑ को भी इस साल मार्च में दो साल बाद रिहा किया गया.
डुबुऑ ने अपनी रिहाई के बाद बताया था कि अपहरण के दौरान उन्होंने करीब एक साल वान डेवेंटर के साथ बिताया था. वान डेवेंटर की रिहाई के समाचार पर प्रतिक्रिया देते हुए डुबुऑ ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, "यह क्रिसमस का शानदार तोहफा है.”
वीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स)