जखीरा बढ़ा रहे हैं परमाणु शक्ति संपन्न देशः सिपरी
दुनियाभर में हथियारों पर नजर रखने वाले स्वीडन के थिंकटैंक सिपरी ने कहा है कि परमाणु शक्ति संपन्न देश अपना जखीरा बढ़ा रहे हैं और दुनिया में सुरक्षा की स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है.
दुनियाभर में हथियारों पर नजर रखने वाले स्वीडन के थिंकटैंक सिपरी ने कहा है कि परमाणु शक्ति संपन्न देश अपना जखीरा बढ़ा रहे हैं और दुनिया में सुरक्षा की स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है.स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (सिपरी) की ताजा रिपोर्ट कहती है कि 2022 के मुकाबले इस साल परमाणु वॉरहेड्स की कुल संख्या में करीब 200 की कमी आई है. अपनी सालाना रिपोर्ट में सिपरी ने बताया है कि 2022 की शुरुआत में दुनिया में 12,512 न्यूकलियर वॉरहेड्स थी जिनकी संख्या 2023 की शुरुआत में करीब 200 कम आंकी गई. साथ ही सक्रिय परमाणु हथियारों की संख्या 86 बढ़कर 9,576 हो गई.
सिपरी की रिपोर्ट कहती है, "पिछले कई साल से परमाणु हथियारों में की जा रही कमी अब थम गई है और उनकी संख्या बढ़ने लगी है. लेकिन साथ ही अमेरिका और रूस दोनों ने अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को तेज कर दिया है ताकि वे अपने जखीरे को आधुनिक और बड़ा कर सकें. वे अपने परमाणु हथियारों में आधुनिक मिसाइलों, विमानों, पनडुब्बियों को जोड़ रहे हैं और उत्पादन तकनीकों का भी आधुनिकीकरण कर रहे हैं.”
उल्टी हुई दिशा
पिछले कई दशकों से दुनिया में परमाणु हथियारों की संख्या धीरे-धीरे घट रही थी. लेकिन इस गिरावट की मुख्य वजह यह थी कि अमेरिका और रूस अपने पुराने पड़ चुके वॉरहेड्स को नष्ट कर रहे थे. सिपरी ने अपने अध्ययन में ना सिर्फ कुल जखीरे का अनुमान लगाया बल्कि यह जानने की भी कोशिश की कि ऐसे कितने हथियार हैं जिन्हें तुरंत तैनात किया जा सकता है.
रूस ने बेलारूस में तैनात किए टैक्टिकल परमाणु हथियार
रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका और रूस के अलावा चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, पाकिस्तान, भारत, इस्राएल और उत्तर कोरिया, यानी कुल नौ देशों के पास परमाणु हथियार हैं. पिछले साल रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किये जाने के बाद से दुनिया में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ा है. सिपरी के मैट कोर्डा कहते हैं, "ज्यादातर परमाणु शक्ति संपन्न देश अब इस नजरिये को और मजबूती दे रहे हैं कि परमाणु हथियार कितने जरूरी हैं. कुछ ने तो उनके संभावित इस्तेमाल का खतरा भी जाहिर किया है.”
बढ़ रही है प्रतिद्वंद्विता
कोर्डा के मुताबिक परमाणु हथियारों को लेकर बढ़ी इस प्रतिद्वंद्विता के कारण गुस्से में परमाणु हमले का खतरा दूसरे विश्व युद्ध के बाद इस वक्त सबसे ज्यादा है. यूक्रेन पर हमले के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसी साल फरवरी में अमेरिका के साथ हुआ न्यू स्टार्ट निरस्त्रीकरण समझौता रद्द कर दिया था. इसके अलावा ईरान के साथ परमाणु समझौता करने की कोशिशों पर भी संदेह के बादल मंडरा रहे हैं. डॉनल्ड ट्रंप के समय में रद्द हुए इस समझौते को दोबारा जिंदा करने की कोशिशें कमजोर पड़ गई हैं.
सिपरी के मुताबिक अब भी सबसे अधिक यानी दुनिया के करीब 90 प्रतिशत परमाणु हथियार रूस और अमेरिका के पास हैं. चीन अब तीसरे नंबर पर आ गया है. सिपरी के हांस एम क्रिस्टेन्सन कहते हैं, "चीन अपने परमाणु जखीरे में बड़ा विस्तार कर रहा है. हालांकि इस चलन को रोकना अब मुश्किल हो गया है क्योंकि चीन ने ऐलान किया है कि वह अपने पास बस इतने हथियार रखेगा, जितने उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी हैं.”
वीके/एए (डीपीए)