बेकार पानी से कैसे दूर की जा सकती है पानी की किल्लत
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

यूरोप के कुछ देशों में पानी का संकट तनाव पैदा कर रहा है. हालांकि फिलहाल वहां पर्याप्त पानी है, लेकिन इस बेशकीमती संसाधन का ज्यादा कारगर इस्तेमाल ही उपाय है.पिछली कुछ गर्मियों में यूरोप ने तीखी गर्मी और सूखे का दौर देखा है. 2023 में भी वही हाल रहा. मध्य और दक्षिणी यूरोप के बड़े हिस्से बारिश न होने से बहुत सूखे पड़ चुके हैं.

जुलाई में एक लिहाज से समूचा चेक रिपब्लिक और लिथुआनिया सूखे की चपेट में था.

मार्च में फ्रांस में तो पानी के मुद्दे पर पुलिस के साथ लोगों का टकराव ही हो गया. सूखाग्रस्त खेतों को राहत पहुंचाने के लिए जलाशयों के निर्माण को लेकर लोग पुलिस से भिड़ गए. हरित आंदोलन से जुड़े कार्यकर्तओं को डर है कि बेसिनों से भूजल स्तर और नीचे गिर सकता है.

स्पेन में अधिकारियों के मुताबिक, जल भंडार 41 फीसदी गिर गए हैं और कुछ इलाकों में तो किसानों की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है. कुछ जगहों पर पानी के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है.

मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन के चलते ज्यादा लू चलने लगी हैं और सूखा ज्यादा पड़ने लगा है. यूरोप में उत्पन्न जल संकट के पीछे जलवायु परिवर्तन भी एक वजह है. इसी दौरान, पानी की मांग भी बढ़ती जा रही है. उद्योग और खेती के लिए जमीन के नीचे से, नदियों और झीलों से ज्यादा पानी निकाला जा रहा है. बारिश होने पर ये स्रोत दोबारा भर जाते हैं.

सबसे ज्यादा पानी कौन इस्तेमाल करता है?

नीदरलैंड्स की उटरेष्ट यूनिवर्सिटी में हाइड्रोलॉजिस्ट मार्क बियरकेन्स के मुताबिक, यूरोप के आधे जल संसाधनों का इस्तेमाल इंडस्ट्री करती है. बाकी का 40 फीसदी खेती और 10 फीसदी घरों में इस्तेमाल होता है.

यूरोपीय संघ में जल संकट 11 फीसदी नागरिकों को प्रभावित करता है. पानी की कम होती आपूर्ति का असर घरों को मिलने वाले पानी को रोकने के रूप में होता है. लेकिन ऊर्जा सेक्टर भी इस समस्या से प्रभावित है.

2022 में फ्रांसीसी अधिकारियों को कुछ एटमी ऊर्जा संयंत्र बंद करने पड़े क्योंकि उन्हें ठंडा करने के लिए जाने वाला नदी का पानी काफी गरम था. पिछले साल सूखी गर्मियों से नॉर्वे में भी जलबिजली उत्पादन में गिरावट आई. सिंचाई के लिए बड़े पैमाने पर पानी इस्तेमाल करने वाले किसानों पर भी पानी की कमी और सूखे की मार पड़ी है.

बेकार पानी किसानों की मदद कर सकता है?

खेती में जल संकट का एक समाधान यह हो सकता है कि उद्योगों और घरों का बेकार, गंदा पानी ट्रीटमेंट के बाद सिंचाई के काम लाया जा सके, जिससे ताजे पानी की मूल्यवान आपूर्तियां बची रहें. यूरोपीय संघ में मौजूदा स्तरों से छह गुना ज्यादा बेकार पानी (अपशिष्ट जल) फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है.

एन्वायरमेंट, ओशन्स और फिशरीज के यूरोपीय संघ आयुक्त विरजिनियस सिन्केविसियस ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि "पानी के स्रोत कम हैं और उनपर काफी ज्यादा दबाव भी है. तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि के समयों में हमें पानी को बर्बाद करने से बचना चाहिए और इस संसाधन का ज्यादा समझदारी से इस्तेमाल करना चाहिए."

कृषि सिंचाई में पानी के दोबारा इस्तेमाल की न्यूनतम जरूरतों पर यूरोपीय संघ के नए नियम इन गर्मियों से लागू हो चुके हैं. उनके मुताबिक सदस्य देशों को सामुदायिक और औद्योगिक जरूरतों से निकले बेकार पानी को प्रोसेस करना होगा, ताकि किसान उसका उपयोग कर सकें.

यूरोपीय आयोग के मुताबिक पानी की प्रोसेसिंग और उसका दोबारा इस्तेमाल, स्पेन और पुर्तगाल में भूजल का दोहन करने वाली तीन चौथाई सिंचाई की जगह ले सकती है. फ्रांस, इटली और ग्रीस में ये मात्रा 45 फीसदी हो सकती है. यूरोपीय संघ में अपेक्षाकृत छोटे कृषि सेक्टर वाले देशों में बेकार पानी, तमाम सिंचाई जरूरतें पूरी कर सकता है.

गुणवत्ता के लिए जरूरी अच्छे प्रोसेसिंग प्लांट

हाइड्रोलॉजिस्ट मार्क बियरकेंस कहते हैं, "सारी बात पानी की गुणवत्ता से जुड़ी है." आज बड़े औद्योगिक ठिकानों के पास अपने प्रोसेसिंग प्लांट हैं, जो अक्सर अपना पानी नदियों में छोड़ते हैं. बियरकेंस कहते हैं, "यह उद्योगों पर निर्भर है कि पानी अक्सर, घरों के प्रोसेस किए हुए बेकार पानी से बेहतर होता है."

लेकिन ये बात सभी सेक्टरों पर लागू नहीं होती.

अगर पानी के प्रोसेसिंग प्लांट तमाम प्रदूषकों को निकाल नहीं पाते, तो सिंचाई के लिए प्रयुक्त औद्योगिक और सामुदायिक बेकार पानी जोखिम भरा हो सकता है. ये प्रदूषक तत्व मिट्टी और पौधों को दूषित कर सकते हैं.

जर्मन सरकार की पर्यावरण एजेंसी, यूबीए यूरोपीय संघ की नई वेस्टवॉटर नीतियों की आलोचक है. उसका कहना है कि ईयू नियमों में कुछ खास पदार्थ शामिल नहीं किए गए हैं. दूसरी चिंता यह है कि अगर उद्योगों और नगरपालिकाओं का प्रोसेस्ड पानी नदियों में वापस डाल दिया जाए, तो उनका जलस्तर और गिर सकता है.

खेती में ज्यादा रिसाइकिल हुआ पानी इस्तेमाल होगा या नहीं, इसमें लागत भी एक बड़ा मुद्दा है. अगर प्रोसेसिंग प्लांट से खेत तक ट्रांसपोर्टेशन बहुत दूर है, तो किसानों के लिए वो पानी किसी काम का नहीं. स्लोवेनिया, बुल्गारिया और पोलैंड जैसे देशों में अक्सर यही स्थिति है.

आलोचक यह भी कहते हैं कि ईयू एक ओर पानी के टिकाऊ इस्तेमाल पर जोर देता है, दूसरी ओर सिंचाई के लिए उसकी सामान्य कृषि नीति किसानों को पानी के अतिरिक्त दोहन के लिए प्रेरित करती हो सकती है.

चावल के बजाय मक्का, मोटा अनाज और गेहूं?

बियरकेंस के मुताबिक, खेती में सिंचाई को ज्यादा सटीक करने की कोशिशें पहले से मौजूद हैं. मिसाल के लिए, कारगर ड्रिप इरिगेशन, बड़े पैमाने पर पानी का छिड़काव करने वाले उपकरणों से बेहतर है. लेकिन बियरकेंस कहते हैं कि पानी को बचाने की सबसे बड़ी संभावना उन फसलों में निहित है, जो कम प्यासी हैं, यानी जिन्हें उगाने में बहुत कम पानी खर्च होता है.

यूरोप में सबसे ज्यादा चावल इटली में उगाया जाता है. चावल की फसल में बहुत सारा पानी खर्च होता है. इटली में पो नदी, चावल की पैदावार का मुख्य इलाका है. इसके आसपास रहने वाले किसान सर्दियों में आल्प्स में बर्फबारी की किल्लत और निचले जल-स्तर की वजह से लगातार दूसरे साल फसल के नुकसान झेलने को विवश हुए हैं.

बियरकेंस को लगता है कि इटली के किसान मक्का या गेहूं उगाते तो फायदे में रहते. वह कहते हैं, "सर्दियों के गेहूं में कम पानी चाहिए. यह जल्दी उग जाता है और शुरुआती गर्मियों में फसल तैयार हो जाती है. तो आपको बहुत सारा पानी चाहिए ही नहीं." वह ये भी कहते हैं कि इसका मतलब आहार में भी बदलाव करना होगा.

जर्मन किसानों को 2022 की गर्मियों में भी फसल का नुकसान हुआ था. कुछ किसान तब गरमी बर्दाश्त करने वाली और बहुत ज्यादा पानी खर्च न करने वाली फसलों की ओर मुड़े, जैसे मसूर और चना दाल जैसे फलीदार पौधे.

पाइपों से बड़े पैमाने पर रिसता पानी

पानी की बचत के एक तरीके की अक्सर अनदेखी की जाती है, और वह है उन पाइपों का रखरखाव और मरम्मत, जिनसे होते हुए पानी घरों और प्रतिष्ठानों तक पहुंचता है. औसतन ईयू का एक चौथाई पानी, टूटे-फूटे पाइपों और रिसाव की वजह से नलों तक आते-आते बेकार बह जाता है

इस मामले में ईयू देशों में सबसे कुख्यात स्थिति बुल्गारिया की है. उसका 60 फीसदी पानी खराब पाइपों के जरिए रिस जाता है. इटली सूखाग्रस्त इलाका है, वहां पाइपों के जरिए रिसकर करीब 40 फीसदी पानी बेकार चला जाता है. पुर्तगाल में करीब 30 फीसदी.

आज सूखे और बारिश की कमी से सबसे ज्यादा बेहाल स्पेन, इटली और बुल्गारिया जैसे देश पानी के रिसाव से जुड़े बुनियादी ढांचे की मरम्मत के मद में प्रति नागरिक सबसे कम पैसा खर्च करते हैं.