पोलैंड में वीजा धांधली मामले के बीच यूरोप में सीमा पर सख्ती की मांग
शरणार्थियों की संख्या से जूझते पोलैंड में आप्रवासन बड़ी चुनावी मुद्दा बन चुका है.
शरणार्थियों की संख्या से जूझते पोलैंड में आप्रवासन बड़ी चुनावी मुद्दा बन चुका है. अब पैसा लेकर वीजा देने के मामले में जर्मनी ने पोलैंड के राजदूत को तलब किया है.जर्मनी की आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फैजर ने पोलैंड की कथित "कैश फॉर वीजा" डील पर पोलिश विदेश मंत्री से बातचीत भी की है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने जर्मन सरकार के सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है. पोलैंड के विपक्ष ने अपनी सरकार पर आरोप लगाया है कि वह दस्तावेजों की सही तरीके से जांच के बिना आप्रवासियों को वीजा दे रही है. पोलिश वीजा प्रोसेस करने वाली मध्यस्थ एजेंसी इसके बदले पैसा ले रही है. ऐसे मामलों में भारतीय नागरिकों की अच्छी खासी संख्या है.
पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर एक जर्मन अधिकारी ने कहा, चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की सरकार ने "संभावित वीजा धांधली के इन गंभीर आरोपों पर जल्द और पूरी सफाई" मांगी है.
पोलैंड के उप विदेश मंत्री से जब बर्लिन के कदमों पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो अर्कादियुत्स मुलार्कजिक ने कहा, "यह कुछ पोलिश और जर्मन मीडिया संस्थानों के पोलैंड पर लगाए जा रहे आरोपों के बारे में तस्वीर साफ करने वाली बात है." वीजा फ्रॉड की मीडिया रिपोर्टों को बेबुनियाद बताते हुए उन्होंने आगे कहा, "राजदूत ने इन अनुचित आरोपों के बारे में विस्तार से जानकारी दी है. मुझे लगता है कि उन्होंने हमारे जर्मन साझेदारों को फिर से भरोसा दिलाया है."
सीमा पर सख्ती की मांग
इस बीच दक्षिणी जर्मनी की अहम राजनीतिक पार्टी सीएसयू (क्रिस्चन सोशल यूनियन) ने जर्मन सरकार से अपनी सीमाओं पर कड़ी निगरानी की अपील की है. ऑस्ट्रिया और हंगरी अपनी सीमाओं पर कड़ी चेकिंग कर शरणार्थियों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. बवेरिया प्रांत की अहम राजनीतिक ताकत, सीएसयू चाहती है कि जर्मनी भी ऐसा ही करे.
सीमाएं बंद करके क्या प्रवासियों को रोक सकेगा यूरोप
ऐसी ही मांगें पोलैंड में भी हो रही हैं. वीजा धांधली के आरोपों के बाद पोलैंड की सत्ताधारी पार्टी दबाव में है. देश में 15 अक्टूबर को संसदीय चुनावों के लिए वोट डाले जाने हैं. वहां सत्ता में बैठी राष्ट्रवादी, लॉ एंड जस्टिस पार्टी को एक धुर दक्षिणपंथी पार्टी से कड़ी टक्कर मिल रही है. चुनाव से ठीक पहले आप्रवासन के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए लॉ एंड जस्टिस पार्टी (पीआईएस) ने यूरोपीय संघ से सारे बॉर्डर सील करने की अपील की है.
शरणार्थियों को रोकने के लिए निगरानी बढ़ाएगा यूरोपीय संघ
पार्टी का कहना है कि पोलैंड आप्रवासियों की बड़ी संख्या से जूझ रहा है. अगर, वह सत्ता में नहीं आई तो पोलैंड के हालात भी इटली के लांपेदूसा द्वीप जैसे हो सकते हैं. लांपेदूसा में उत्तरी अफ्रीका से बड़ी संख्या में नावों के जरिए आप्रवासी आते हैं. भूमध्यसागर से आने वाले शरणार्थी, लांपेदूसा के बाद यूरोप के दूसरे देशों में पहुंचने की कोशिश करते हैं.
रिफ्यूजियों की तुलना घुसपैठियों से
मंगलवार को पीआईएस के नेता यारोस्लाव काचिंस्की ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "लांपेदूसा तो उस स्थिति का एक संकेत भर है जो पोलैंड समेत पूरे यूरोप के लिए खतरा है. इस लड़ने का एक ही रास्ता है- इसे घुसपैठ कहा जाए- जो ये है भी, अच्छी तरह बॉर्डर सील किए जाएं और सीमा पार कर चुके लोगों को उनके घर भेजने का फैसला किया जाए या फिर उनसे छुटकारा पाना के लिए कोई और समाधान खोजा जाए."
काचिंस्की का कहना है कि गैरकानूनी आप्रवासियों को दूसरी जगह शिफ्ट करने का कोई भी एलान "लोगों की तस्करी को बढ़ावा" देता है. हालांकि पोलिश नेता के इन बयानों में इशारा अरब देशों और अफ्रीका से आ रहे लोगों पर है. पोलैंड में इस वक्त करीब 10 लाख यूक्रेनी शरणार्थी हैं. बाकी यूरोपीय देशों की तरह पोलैंड की सरकार उन्हें कई तरह के सामाजिक लाभ दे रही है, लेकिन यह संख्या अब पोलैंड पर दबाव भी डालने लगी है.
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लायन ने रविवार को लांपेदूसा का दौरा किया था. लांपेदूसा आप्रवासियों की बड़ी संख्या से जूझ रहा है. फॉन डेय लायन ने इन हालात से निपटने में इटली की मदद के लिए एक 10 सूत्रीय ईयू एक्शन प्लान का भी वादा किया.
ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स)