परमाणु युद्ध का खतरा बढ़ा, चीन से मदद की अपील

बाइडेन के यूक्रेन को अमेरिकी मिसाइलों के इस्तेमाल की इजाजत देने के बाद रूस ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की अपनी सीमा बदल दी है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

बाइडेन के यूक्रेन को अमेरिकी मिसाइलों के इस्तेमाल की इजाजत देने के बाद रूस ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की अपनी सीमा बदल दी है.रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को अपनी परमाणु नीति में बड़ा बदलाव किया. अब रूस कम खतरों पर भी परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है. यह फैसला तब आया जब अमेरिका ने यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलों से रूस पर हमला करने की अनुमति दी.

नई नीति के अनुसार अगर रूस पर किसी भी तरह का पारंपरिक हमला होता है और कोई परमाणु शक्ति संपन्न देश उससे जुड़ा हो तो रूस उसका जवाब परमाणु हथियारों से दे सकता है.

ब्रियांस्क पर हमला और बढ़ते खतरे

रूसी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यूक्रेन ने मंगलवार को अमेरिका में बनी एटीएसीएमएस मिसाइलों से रूस के ब्रियांस्क इलाके में एक सैन्य ठिकाने पर हमला किया. इसमें छह मिसाइलें दागी गईं. रूस ने पांच मिसाइलों को रोक दिया, लेकिन एक मिसाइल जमीन पर पहुंचने में कामयाब रही और उससे नुकसान हुआ. यूक्रेन का कहना है कि उसने रूसी गोला-बारूद के भंडार पर हमला किया.

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस हमले को बड़ा कदम बताया. ब्राजील में जी20 बैठक के दौरान उन्होंने कहा, "अगर यूक्रेन से लंबी दूरी की मिसाइलें रूस पर दागी जाती हैं, तो इसका मतलब होगा कि उन्हें अमेरिकी सैन्य विशेषज्ञों का समर्थन है. हम इसे पश्चिम द्वारा युद्ध का नया चरण मानेंगे और उसका जवाब देंगे.”

परमाणु हथियारों के उपयोग की नई शर्तें

रूस की नई नीति में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के लिए शर्तें बढ़ाई गई हैं. इसमें कहा गया है कि अगर कोई साधारण हमला भी किसी परमाणु देश के समर्थन से होता है, तो इसे रूस पर "साझा हमला" माना जाएगा.

नीति में यह भी कहा गया है कि अगर रूस पर बड़े पैमाने पर हवाई हमला होता है, तो वह परमाणु हथियार इस्तेमाल कर सकता है. इसमें बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और ड्रोन जैसे हथियार शामिल हैं.

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि यह बदलाव मौजूदा हालात को ध्यान में रखकर किए गए हैं. उन्होंने कहा, "पुतिन ने इस साल की शुरुआत में नीति को मौजूदा स्थिति के मुताबिक बदलने का आदेश दिया था.”

पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया

अमेरिका ने रूस की नई नीति की आलोचना की है. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि रूस परमाणु हथियारों की धमकी देकर यूक्रेन और दुनिया को डराने की कोशिश कर रहा है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने भी रूस की आलोचना की. उन्होंने कहा, "यह युद्ध का 1,000वां दिन है. 1,000 दिन से रूस की आक्रामकता जारी है. यूक्रेन के साथ हमारा समर्थन हमेशा रहेगा.”

जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने भी कहा कि उनका देश रूस से डरने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि यह बदलाव दिखाता है कि रूस के पारंपरिक सैन्य बल नाटो के मुकाबले कमजोर हैं.

चीन से मदद की अपील

जी20 बैठक में फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से रूस पर दबाव बनाने की अपील की. माक्रों ने कहा कि उत्तर कोरिया के सैनिकों का रूस में जाना स्थिति को और खतरनाक बना रहा है. उन्होंने कहा, "परमाणु संकट रोकने में चीन की बड़ी भूमिका हो सकती है. मैंने शी जिनपिंग से कहा कि वह पुतिन से युद्ध रोकने की अपील करें.”

रूस की नई नीति से परमाणु युद्ध का खतरा बढ़ गया है. नई नीति में यह स्पष्ट नहीं है कि रूस कब और कैसे परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा. लेकिन यह पश्चिमी देशों को डराने और यूक्रेन को मिलने वाली मदद रोकने की कोशिश है.

फरवरी 2022 से जारी रूस-युक्रेन युद्ध को अब 1,000 दिन से ज्यादा हो गए है. नाटो देश सीधे युद्ध में नहीं उतर रहे, लेकिन वे यूक्रेन को हथियार और समर्थन दे रहे हैं. नई नीति ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है कि अगर कोई गलत कदम उठा लिया गया, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.

वीके/एए (एपी, रॉयटर्स)

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