चीन ने 'बेल्ट एंड रोड' परियोजना में शामिल देशों के बेलआउट लोन में वृद्धि की

एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने पिछले दो दशक में 22 विकासशील देशों को बेलआउट लोन में 240 अरब डॉलर दिए हैं, लेकिन आलोचक चेतावनी दे रहे हैं कि चीन इन देशों को कर्ज के जाल में फंसा रहा है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने पिछले दो दशक में 22 विकासशील देशों को बेलआउट लोन में 240 अरब डॉलर दिए हैं, लेकिन आलोचक चेतावनी दे रहे हैं कि चीन इन देशों को कर्ज के जाल में फंसा रहा है.मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने पिछले दो दशकों में 22 विकासशील देशों को 240 अरब डॉलर का बेलआउट लोन मुहैया कराया है, जिन पर डिफॉल्ट होने का खतरा मंडरा रहा है. अमेरिका स्थित रिसर्च लैबऐड डेटा, वर्ल्ड बैंक, हार्वर्ड केनेडी स्कूल और काइल इंस्टीट्यूट फॉर द वर्ल्ड इकोनॉमी की 40 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 से 2021 के बीच इन बेलआउट लोन के जारी होने में तेजी आई है.

किन देशों को चीन दे रहा लोन

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन द्वारा जारी लगभग सभी फंड पाकिस्तान, श्रीलंका और तुर्की समेत बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) परियोजना में शामिल निम्न और मध्यम आय वाले देशों को दिए गए थे. ये फंड इन देशों को इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए दिया गया था.

जिन जिन देशों में बीआरआई का काम चल रहा है, वे भारी दबाव में हैं. बढ़ती महंगाई, ब्याज दरों और कोरोना महामारी के दीर्घकालीन प्रभावों के कारण इन देशों को अपना कर्ज चुकाने में गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बेलआउट इन देशों को अपने ऋण को बढ़ाने और चुकाने के लिए एक अनुग्रह अवधि प्रदान करता है. चीन के मुताबिक, बीआरआई परियोजना में दुनिया भर के 150 से अधिक देश शामिल हैं, जो एक ट्रिलियन डॉलर की लागत से वैश्विक बुनियादी ढांचे पर काम करेगा. बीआरआई को एक दशक पहले चीन के राष्ट्रपति शी ने पेश किया था.

क्या कर्ज के जाल में फंसा रहा चीन

बीजिंग का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य अन्य देशों, विशेष रूप से विकासशील क्षेत्रों के साथ मैत्रीपूर्ण व्यापार संबंधों को मजबूत करना है. लेकिन आलोचकों को लंबे समय से चिंता है कि चीन विकासशील और कम आय वाले देशों को बड़े और अदेय ऋण की पेशकश कर कर्ज में फंसा रहा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने बेल्ट एंड रोड पर बेलआउट की एक प्रणाली विकसित की है जो प्राप्तकर्ता देशों को डिफॉल्ट होने से बचने और कम से कम अल्पावधि में अपने कर्ज का भुगतान जारी रखने में मदद करती है.

ज्यादा ब्याज वसूला जा रहा

रिपोर्ट के लेखकों ने लिखा है, "लगभग सभी चीनी सहायता ऋण निम्न और मध्यम आय वाले बीआरआई देशों को दिए गए हैं, जिन पर चीनी बैंकों का ऋण बकाया है." रिपोर्ट से यह भी पता चला कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा दी गई व्यापक तरलता सहायता की तुलना में चीन के बेलआउट लोन छोटे हैं, लेकिन उनका जारी होना तेजी से बढ़ा है.

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अन्य अंतरराष्ट्रीय ऋणदाताओं की तुलना में चीनी ऋण अपारदर्शी और असंगठित हैं और आईएमएफ की सामान्य दो प्रतिशत ब्याज दर की तुलना में अधिकांश कर्जदार देशों से औसतन पांच प्रतिशत की ब्याज दर ली जाती है.

एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)

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