पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ी, भारत के बाद अब अफगानिस्तान भी रोकेगा पानी, कुनार नदी पर बांध बनाएगा तालिबान

भारत के सिंधु जल संधि को सस्पेंड करने के बाद, अब तालिबान ने भी पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. अफ़ग़ानिस्तान ने कुनार नदी (जो पाकिस्तान में काबुल नदी बनती है) पर "जल्द से जल्द" बांध बनाने का ऐलान किया है. भारत के उलट, पाकिस्तान का अफ़ग़ानिस्तान के साथ कोई जल-समझौता नहीं है, जिससे उसकी मुसीबत और बढ़ गई है.

(Photo : X)

Afghanistan to Build Dam on Kunar River: पाकिस्तान के लिए मुश्किलें चारों तरफ से बढ़ती जा रही हैं. पहले भारत ने कड़ा कदम उठाते हुए सिंधु नदी का पानी रोका, और अब अफगानिस्तान ने भी पाकिस्तान को पानी के लिए तरसाने की तैयारी कर ली है. अफगानिस्तान पर राज कर रहे तालिबान ने ऐलान किया है कि वो "जितनी जल्दी हो सके" कुनार नदी पर बांध बनाएगा, जिसका पानी बहकर पाकिस्तान जाता है.

यह आदेश सीधे तालिबान के सुप्रीम लीडर मौलवी हिबतुल्लाह अखुंदजादा की तरफ से आया है.

तालिबान के जल मंत्री (एक्टिंग) मुल्ला अब्दुल लतीफ मंसूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "अफ़ग़ानों को अपने पानी का खुद प्रबंधन करने का पूरा अधिकार है." उन्होंने यह भी साफ़ कर दिया कि यह बांध कोई विदेशी कंपनी नहीं, बल्कि अफ़ग़ानिस्तान की घरेलू फर्में ही बनाएंगी.

भारत की राह पर तालिबान

तालिबान का यह कदम ठीक वैसा ही है जैसा भारत ने कुछ महीने पहले उठाया था. 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान के साथ 65 साल पुराने "सिंधु जल समझौते" (Indus Waters Treaty) को सस्पेंड कर दिया था. इस फैसले से पाकिस्तान को सिंधु नदी से मिलने वाले पानी पर बड़ा असर पड़ा है.

अब अफगानिस्तान भी वही काम कर रहा है, जिससे पाकिस्तान की पानी की सप्लाई पर दोहरा झटका लगेगा.

क्यों अहम है कुनार नदी?

कुनार नदी की कहानी थोड़ी दिलचस्प है. यह पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में हिंदू कुश पहाड़ों से निकलती है. फिर यह दक्षिण की ओर बहकर अफगानिस्तान में घुसती है. वहां यह काबुल नदी में मिल जाती है. इसके बाद, यह संयुक्त नदी (जिसे काबुल नदी कहते हैं) वापस पूर्व की ओर मुड़कर पाकिस्तान में दाखिल होती है और अटक शहर के पास विशाल सिंधु नदी में मिल जाती है.

यह नदी पाकिस्तान के लिए, खासकर खैबर पख्तूनख्वा जैसे इलाके के लिए, सिंचाई, पीने के पानी और बिजली बनाने (हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर) का एक मुख्य स्रोत है.

पाकिस्तान के लिए दोहरी मार

अगर अफगानिस्तान इस नदी पर पाकिस्तान में घुसने से पहले बांध बना लेता है, तो पाकिस्तान के बड़े हिस्से में पानी की भारी किल्लत हो जाएगी. भारत पहले ही सिंधु का पानी रोक चुका है, और अब काबुल नदी का पानी रुकने से पाकिस्तान के खेत और लोग, दोनों प्यासे रह जाएंगे.

पाकिस्तान के हाथ क्यों बंधे हैं?

पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि उसका अफ़ग़ानिस्तान के साथ पानी के बंटवारे को लेकर कोई समझौता या संधि (Treaty) नहीं है.

भारत के साथ तो पाकिस्तान का 1960 का सिंधु जल समझौता था, जिसके तहत वह शिकायत कर सकता था (हालांकि भारत ने आतंकी हमलों के बाद उसे सस्पेंड कर दिया). लेकिन अफ़ग़ानिस्तान के मामले में ऐसा कोई समझौता है ही नहीं. इसका मतलब है कि पाकिस्तान के पास तालिबान को कानूनी तौर पर रोकने का कोई रास्ता नहीं है.

तनाव के बीच आया फैसला

तालिबान ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब दोनों देशों के बीच डूरंड लाइन (2,600 किलोमीटर लंबी विवादित सीमा) पर तनाव चरम पर है. पाकिस्तान का आरोप है कि तालिबान, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के आतंकियों को पनाह दे रहा है, जो पाकिस्तान में हमले करते हैं. तालिबान इन इल्ज़ामों से इनकार करता है.

पानी पर कंट्रोल चाहता है तालिबान

अगस्त 2021 में सत्ता संभालने के बाद से ही तालिबान का फोकस अपने देश की नदियों और नहरों पर कंट्रोल करने का रहा है, ताकि देश में खाने-पीने की चीजों (Food Security) की कमी न हो. तालिबान उत्तरी अफगानिस्तान में 285 किलोमीटर लंबी 'कोश टेपा नहर' भी बनवा रहा है, जिससे उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान जैसे पड़ोसी देशों का पानी कट सकता है.

दिलचस्प बात यह है कि पिछले हफ्ते ही तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी भारत दौरे पर थे, जहाँ उन्होंने हेरात प्रांत में एक बांध बनाने में मदद के लिए भारत का शुक्रिया अदा किया था.

 

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