आ गए डेंगू भगाने वाले मच्छर
अब तक डेंगू से बचने के लिए जिन मच्छरों से दूर रहने को कहा जा रहा है था अब उन्हीं मच्छरों का इस्तेमाल डेंगू पर नियंत्रण में किया जा रहा है.
अब तक डेंगू से बचने के लिए जिन मच्छरों से दूर रहने को कहा जा रहा है था अब उन्हीं मच्छरों का इस्तेमाल डेंगू पर नियंत्रण में किया जा रहा है. ये नए किस्म के मच्छर हैं जो डेंगू रोकने में काफी कारगर हैं.कई दशकों तक होंडुरास के लोगों को डेंगू से बचाने का मतलब था उन्हें मच्छरों का डर दिखा कर उसके डंक से बचना सिखाना. अब वहीं के लोगों को डेंगू रोकने के लिए इसका उल्टा करने के लिए कहा जा रहा है.
पिछले महीने टेगुसिगालपा निवासी हेक्टर एनरिकेज अपने सिर पर एक कांच के जार में भर कर मच्छर लाए और इन्हें आजाद किया तो वहां मौजूद दर्जनों लोग खुशी से शोर मचाने लगे. 52 साल के एनरिकेज ऐसे लाखों मच्छरों को आजाद कर डेंगू पर नियंत्रण पाने के कार्यक्रम में वालंटियर के रूप में शामिल हुए हैं. होंडुरास की राजधानी में बकायदा इसके लिए अभियान चल रहा है.
वर्ल्ड मॉस्किटो प्रोग्राम
एरिकेज ने जिन मच्छरों को डेंगू से परेशान अपने मोहल्ले में आजाद किया उनकी ब्रीडिंग वैज्ञानिकों ने खास तरह से की है जिससे कि वो वोलबाशिया नाम के बैक्टीरिया को अपने साथ ले जा सकें. यह बैक्टीरिया डेंगू के संक्रमण को रोकता है. जब ये मच्छर अंडे देते हैं तो यह बैक्टीरिया भी उनके बच्चों में चला जाता है. इस तरह से भविष्य में इस महामारी पर नियंत्रण पाने की तैयारी है.
वैज्ञानिकों ने खोजा मलेरिया रोकने वाला बैक्टीरिया
डेंगू से लड़ने की यह अनोखी रणनीति गैर सरकारी अभियान वर्ल्ड मॉस्किटो प्रोग्राम ने तैयार की है और इसे एक दर्जन से ज्यादा देशों में परखा जा रहा है. दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी डेंगू के खतरे से जूझ रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन होंडुरास और दूसरी जगहों पर इन मच्छरों को छोड़े जाने पर करीब से नजर रख रहा है. संगठन इसे पूरी दुनिया में प्रचारित करना चाहता है.
होंडुरास में हर साल 10,000 लोग डेंगू की वजह से बीमार होते हैं. डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स मॉस्किटो प्रोग्राम में साझीदार है. अगले छह महीनों में ये लोग करीब 90 लाख ऐसे मच्छरों को आजाद करने वाले हैं जो वोलबाशिया बैक्टीरिया से लैस होंगे. मॉस्किटो प्रोग्राम के संस्थापक स्कॉट ओ नील का कहना है, "नये तरीकों की जरूरत बहुत ज्यादा है."
मीठा खून नहीं आपकी गंध देती है मच्छरों को न्यौता
वैज्ञानिकों ने हाल के दशकों में संक्रामक बीमारियों से लड़ने की दिशा में काफी प्रगति की है. हालांकि डेंगू इसमें अपवाद है क्योंकि इसका संक्रमण बढ़ता जा रहा है. आंकड़े बता रहे हैं कि 130 देशों में हर साल करीब 40 करोड़ लोग डेंगू से संक्रमित होते हैं. हालांकि संक्रमित लोगों में मृत्यु दर कम है लेकिन तब भी हर साल 40,000 लोग डेंगू के वजह से जान गंवाते हैं. हालांकि डेंगू की बीमारी फैलने पर स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ बढ़ जाता है. इसके अलावा लोगों के काम और स्कूल की पढ़ाई का नुकसान होता है. जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी में मॉस्किटो रिसर्चर कॉनर मैकमेनिमन बताते हैं, "जब आप को डेंगू बुखार हो तो अकसर ऐसा होता है कि बुरे मामलों में एनफ्लुएंजा जैसी स्थिति आ जाती है." मच्छर की वजह से होने वाले बीमारियों को रोकने के पारंपरिक तरीके डेंगू के मामले में लगभग नाकाम रहे हैं.
कारगर है मच्छरों वाली तरकीब
डेंगू फैलाने वाला एडिस एजिप्टी मच्छर पर कीटनाशक काम नहीं करते जबकि ज्यादातर मामलों में ये कीटनशाक काफी कारगर हैं. इसके अलावा डेंगू वायरस चार अलग अलग रूपों में आता है इसलिए उसे वैक्सीन के जरिये नियंत्रित करना भी कठिन है. इसके अलावा एडिस एजिप्टी मच्छर इसलिए इंसानों के बड़े शत्रु हैं क्योंकि ये दिन में सक्रिय होते हैं. इसका मतलब है कि जब ये डंक मारते हैं तो उस वक्त सुरक्षा के लिए ना मच्छरदानी होती है ना ही कोई और चीज.
वोलबाशिया बैक्टीरिया प्राकृतिक रूप से लगभग 60 फीसदी कीट प्रजातियों में होता है, लेकिन एडिस एजिप्टी में नहीं. वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत से लैबोरेट्री में इन बैक्टीरिया को इस मच्छर में पहुंचाया है. 2011 से ही वर्ल्ड मॉस्किटो प्रोग्राम इसके परीक्षण कर रहा है और 14 देशों के करीब 1.1 करोड़ लोगों पर इसे परखा गया है. परीक्षणों के नतीजे बढ़िया रहे हैं. 2019 में इंडोनेशिया में एक बड़े परीक्षण के दौरान डेंगू के मामलों में 76 फीसदी तक की गिरावट देखी गई. इसे किफायती बनाने की तैयारी चल रही है.
एनआर/ओएसजे (एपी)