एकाएक महामारी बन सकता है बर्ड फ्लू, चेता रहे हैं वैज्ञानिक
वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसानों में बर्ड फ्लू वायरस जिस तेजी से फैल रहा है, वह एकाएक महामारी का रूप ले सकता है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसानों में बर्ड फ्लू वायरस जिस तेजी से फैल रहा है, वह एकाएक महामारी का रूप ले सकता है. इसलिए अभी से जरूरी कदम उठाने शुरू कर देने चाहिए.स्वास्थ्य विशेषज्ञों में बर्ड फ्लू को लेकर चिंता बढ़ रही है और वे अधिकारियों से राहत और बचाव के लिए अभी से तैयारी शुरू करने की अपील कर रहे हैं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने 10 से ज्यादा ऐसे विशेषज्ञों से बात की जो बर्ड फ्लू वायरस के प्रसार पर नजर रखे हुए हैं. उन्होंने कहा कि यह वायरस तेजी से इंसानों में फैल रहा है.
बर्ड फ्लू उस एच5एन1 का एक नया वेरिएंट है जो 2020 से प्रवासी पक्षियों में पाया जाता रहा है. लेकिन पिछले एक साल में इंसानों में भी इसके कुछ मामले नजर आए हैं. साथ ही, जानवरों में भी इसका प्रसार बढ़ा है. अमेरिका के 12 राज्यों में 129 जगह ऐसी हैं जहां यह वायरस मवेशियों में पाया गया.
फैल रहा है वायरस
वैज्ञानिक कहते हैं कि जिस तरह यह वायरस स्तनधारियों में फैला है उससे इसके इंसानों को संक्रमित करने की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं. घरों में रहने वाली पालतू बिल्लियों में भी इस वायरस के मामले सामने आ चुके हैं.
पेन्सिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर स्कॉट हेंसली कहते हैं, "यह धीमी गति से एक महामारी के फैलने जैसा है. अभी खतरा काफी कम है लेकिन एक पल में यह स्थिति बदल सकती है."
फिलहाल इंसानों में इस वायरस की जांच बहुत सीमित है. मवेशियों में भी अमेरिकी अधिकारी सिर्फ उन्हीं गायों की जांच करते हैं जो राज्यों की सीमाएं पार करती हैं.
कैसे यूरोप पहुंच रहा है डेंगू
नीदरलैंड्स के वायरस विशेषज्ञ, रॉटरडैम स्थित इरासमुस मेडिकल सेंटर के रॉन फाउचियर कहते हैं कि जांच और निगरानी बढ़ाए जाने की जरूरत है. उन्होंने बताया, "आपको पता होना चाहिए कि किस फार्म में संक्रमित गायें पाई गईं, उनमें संक्रमण कैसे पहुंचा, संक्रमित गायों की संख्या कितनी है और संक्रमण उनमें कितनी देर तक रहा.”
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज की निदेशक डॉ. जीन मारात्सो कहती हैं, "इंसानों में तो निगरानी बहुत ज्यादा सीमित है.”
निगरानी बढ़ाने की जरूरत
अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी यूएसडीए के एक प्रवक्ता ने कहा कि देश की अन्य स्वास्थ्य एजेंसियों के साथ मिलकर चौबीसों घंटे काम किया जा रहा है. एक बयान में प्रवक्ता ने कहा, "अभी जो अध्ययन हो रहे हैं वे दिखाते हैं कि अमेरिका में फूड सप्लाई सुरक्षित है. बीमार गाय आमतौर पर कुछ हफ्तों में ठीक हो जाती हैं और इंसानों में इसका खतरा बहुत कम है.”
कई महामारियां बिना किसी चेतावनी के आती हैं. इनमें कोविड-19 महामारी की दर्दनाक मिसाल शामिल है जिसने चंद हफ्तों में ही पूरी दुनिया को अपने कब्जे में ले लिया था. बर्ड फ्लू का वायरस जिस एच1एन1 से विकसित हुआ है, उसने भी 2009 में पहले जानवरों को ही अपनी चपेट में लिया था. इसीलिए हेंसली कहती हैं कि निगरानी बढ़ाने से तैयारी में मदद मिल सकती है.
अब तक दुनिया के कई देशों में इंसानों में एच5एन1 वायरस के मामले मिल चुके हैं. इनमें से तीन अमेरिका में मिले हैं. ये तीनों व्यक्ति गायों के संपर्क में थे. हालांकि इनमें मामूली लक्षण ही पाए गए. इससे पहले मेक्सिको में एक व्यक्ति को एच5 वेरिएंट से संक्रमण हुआ. वायरस का यह नया रूप है जो अब तक इंसानों में नहीं देखा गया और जानवरों में भी इसका कोई मामला नहीं मिला है. इसके अलावा भारत, चीन और ऑस्ट्रेलिया में भी इंसानों में बर्ड फ्लू वायरस के मामले सामने आ चुके हैं और उनमें वायरस का स्वरूप अलग-अलग था. चीन में पिछले साल एच3एन8 वायरस से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.
भारत में बर्ड फ्लू के मामले
कुछ देश बर्ड फ्लू के इंसानों में फैलने की स्थिति में खुद को तैयार भी कर रहे हैं. जैसे कि अमेरिका और यूरोप में फ्लू वैक्सीन खरीदी जा रही हैं. फिनलैंड दुनिया का पहला ऐसा देश बन सकता है जहां जानवरों के साथ काम करने वाले कर्मचारियों और जानवरों के साथ संपर्क में आने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगाई जाएंगी.
अप्रैल में भारत के केरल में बर्ड फ्लू का पहला मामला सामने आया था. तब राज्य सरकार ने बड़े पैमाने पर संभावित संक्रमण वाले जानवरों को मारने के आदेश जारी किए थे. ऑस्ट्रेलिया में बर्ड फ्लू से एक बच्चे में संक्रमण पाया गया था जो कुछ समय पहले ही भारत के कोलकाता से लौटा था. रांची में भी बर्ड फ्लू से एक व्यक्ति के संक्रमित होने की खबरें आई थीं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि एच5एन1 वायरस का इंसानों में फैलने का खतरा बहुत कम है क्योंकि जानवरों से इंसानों में इसके पहुंचने का कोई सबूत नहीं मिला है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक अगर यह स्थिति बदलती है तो कुछ उपाय भी उपलब्ध हैं. इनमें एच5एन1 वायरस की वैक्सीन भी है जो सीमित मात्रा में उपलब्ध है. इसके अलावा एंटीवायरल दवाएं जैसे कि टैमीफ्लू भी उपलब्ध है.
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डब्ल्यूएचओ में फ्लू से संबंधित विभाग के प्रमुख वेनजिंग जांग कहते हैं कि अगर जरूरत पड़ती है तो बड़े पैमाने पर टेस्ट, इलाज और वैक्सीन का उत्पादन करने के लिए भी प्रक्रियाएं तैयार हैं.
वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)