एलेना कोर्नारो पिस्कोपिया की 373वीं जयंती: Google ने दुनिया की पहली पीएचडी महिला का खास Doodle बनाकर किया याद

5 जून 1646 को वेनिस में जन्मी कोर्नारो वेनिस की दार्शनिक थीं. उन्हें हेलेन कोर्नारो के रूप में भी जाना जाता था. पिस्कोपिया का जन्म इटली के वेनिस में एक महान परिवार में हुआ था...

एलेना कोर्नारो पिस्कोपिया का डूडल, (फोटो क्रेडिट्स: गूगल )

गूगल ने दुनिया की पहली पीएचडी महिला Elena Cornaro Piscopia के 373वें जन्मदिन पर उनका डूडल बनाकर उन्हें याद किया है. 5 जून 1646 को वेनिस में जन्मी एलेना कोर्नारो पिस्कोपिया (Elena Cornaro Piscopia) वेनिस (Venetian) की दार्शनिक थीं. उन्हें हेलेन कोर्नारो के रूप में भी जाना जाता था. पिस्कोपिया का जन्म इटली के वेनिस में एक महान परिवार में हुआ था और महज सात साल की उम्र में उन्हें अद्भुत व्यक्ति के रूप में पहचाना जाने लगा. ऐलेना दुनिया की उन पहली महिलाओं में से एक हैं जिन्हें किसी विश्वविद्यालय से शैक्षणिक डिग्री प्राप्त हुई है. 1678 में वह पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने वाली दुनिया की पहली महिला बनीं. हेलेन कुल सात भाषाएं फ़्लूएंट बोलती थीं, जब वह सात साल की थीं तब उन्हें लैटिन और ग्रीक में ट्यूशन मिलना शुरू हुआ. ऐलेना एक अच्छी संगीतकार भी बनकर सामने आईं उन्हें हार्पसीकोर्ड, क्लैविकॉर्ड, वीणा और वायलिन में महारत हासिल थी. 19 साल की उम्र में उन्हें इटली की सबसे ज्यादा पढ़ी-लिखी का खिताब मिला.

हेलेन ने 11 साल की छोटी उम्र में ब्रह्मचर्य का व्रत भी लिया, हालांकि उन्होंने अपने इस व्रत के बारे में किसी को नहीं बताया. उन्होंने शादी के कई प्रस्तावों को ठुकरा दिया. 1685 में पडुआ विश्वविद्यालय ने उनके सम्मान में एक पदक दिया. उनके जीवन पर जेन स्मिथ ग्वेर्नसे (Jane Smith Guernsey) ने एक किताब लिखी जिसका नाम 'द लेडी कोर्नारो: प्राइड एंड प्रोड्यूजी ऑफ़ वेनिस (The Lady Cornaro: Pride and Prodigy of Venice) हैं. ये किताब 1999 में प्रकाशित हुई. 1895 में ऐलेना का मकबरा खोला गया था जिसमें उनके अवशेष एक नए ताबूत में रखे गए थे. 26 जुलाई 1684 को 38 साल की छोटी उम्र में तपेदिक से मृत्यु हो गई. उन्होंने पडुआ में अंतिम सांस ली. उन्हें पडुआ में सांता गुस्टिना चर्च (Church of Santa Giustina at Padua) में दफनाया गया. उनकी याद में पडुआ विश्वविद्यालय में उनकी प्रतिमा लगाई गई.

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एलेना कोर्नारो पिस्कोपिया का यह डूडल कैलिफ़ोर्निया की रहनेवाली एलिसा विनन्स द्वारा बनाया गया है. यह डूडल उनकी पढ़ाई के प्रति समर्पण से प्रेरित है. गूगल का ये डूडल बनाने का मकसद कोर्नारो को सम्मान देना और उनके योगदान के बारे में दुनिया को बताना है. इस डूडल के जरिए आज के छात्रों को प्रेरणा मिलेगी कि वो मेहनत और लगन से कुछ भी हासिल कर सकते हैं.

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