Indian Cricket Team: भारतीय टीम को सफेद बाल क्रिकेट में पुरातन शैली से निकलना होगा बाहर

टी20 विश्व कप में भारत एक आल स्टार टीम थी लेकिन वह एक सक्षम टी20 टीम नहीं थी जो ट्रॉफी जीत सके. ऋषभ पंत-दिनेश कार्तिक विवाद ऑस्ट्रेलिया में सुलझ नहीं पाया और युजवेंद्र चहल को एकादश से बाहर रखना भी समझ से परे था जबकि अन्य टीमों में लेग स्पिनर कामयाबी हासिल कर रहे थे.

भारतीय टीम ( Photo Credit: Twitter)

जब राहुल द्रविड़ को नवम्बर 2021 में भारत का मुख्य कोच नियुक्त किया गया और उस वर्ष बाद में रोहित शर्मा को सभी फॉर्मेट का कप्तान बनाया गया तो इस जोड़ी से काफी उम्मीदें की गयीं. इस बात की चर्चा थी कि किस तरह द्रविड़ और रोहित नई और उभरती प्रतिभाओं को तराशेंगे और खिलाड़ियों को हर फॉर्मेट में उनकी स्पष्ट भूमिका देंगे. 2022 के पहले आठ महीनों में भारत ने कुछ द्विपक्षीय सीरीज जीती हालांकि कुछ लड़खड़ाहट भी दिखाई. यह भी पढ़ें: आईसीसी टूनार्मेंटों में विश्व क्रिकेट का नया चोकर बन गया है भारत?

भारत के पास टी20 के आक्रामक फॉर्मेट में फिट होने वाले बल्लेबाज थे और टीम में जरूरी संतुलन लाने के लिए हार्दिक पांड्या भी फिट हो चुके थे. भारत खिलाड़ियों के साथ काफी प्रयोग कर रहा था और व्यस्त कार्यक्रम के कारण आठ खिलाड़ियों ने कप्तानी की जिम्मेदारी संभाली थी.

इन प्रयोगों का शुरू में अच्छा असर दिखाई दिया लेकिन जब टी20 विश्व कप आया तो भारतीय टीम सूर्यकुमार यादव, विराट कोहली और अर्शदीप सिंह के विस्फोट पर निर्भर हो गयी.

तब इंग्लैंड ने सेमीफाइनल में 10 विकेट की जीत के साथ सारी पोल खोल दी और फिर बांग्लादेश के खिलाफ सीरीज हार ने भारतीय प्रशंसकों को हड़बड़ा दिया जबकि वनडे विश्व कप को भारत में शुरू होने में एक वर्ष से भी कम समय शेष रह गया है.

मौजूदा समय में द्रविड़ और रोहित सहित भारतीय टीम प्रबंधन के सामने ढेरों सवाल हैं जिनका उन्हें जवाब देना है. क्रिकेट विश्व अब ऐसी स्थिति में है जहां ऐसे खिलाड़ियों पर जोर है जो लाल बॉल और सफेद बॉल क्रिकेट के ढांचे में फिट बैठते हैं. लेकिन भारतीय क्रिकेट में ढेरों ऐसे खिलाड़ी हैं जो तीनों फॉर्मेट में खेलते हैं.

टी20 विश्व कप में भारत एक आल स्टार टीम थी लेकिन वह एक सक्षम टी20 टीम नहीं थी जो ट्रॉफी जीत सके. ऋषभ पंत-दिनेश कार्तिक विवाद ऑस्ट्रेलिया में सुलझ नहीं पाया और युजवेंद्र चहल को एकादश से बाहर रखना भी समझ से परे था जबकि अन्य टीमों में लेग स्पिनर कामयाबी हासिल कर रहे थे.

यह भी ध्यान रखना होगा कि भारत को तीन वर्षों में तीसरी बार नया चयनकर्ता प्रमुख मिलने वाला है. चयन में भी निरंतरता की जरूरत होती है। खिलाड़ियों को हटाने, आराम देने और रोटेट करने के कारण वे और टीम थिंक टैंक ही बेहतर जानते होंगे.

ऐसी खबरें हैं कि बांग्लादेश दौरे के बाद बीसीसीआई खिलाड़ियों के प्रदर्शन की समीक्षा करेगा. समीक्षा में उन्हें टीम की भूमिका और चयन सहित विभिन्न मुद्दों पर कड़े फैसले लेने होंगे.

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