इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी और बच्चों को पालने में सक्षम नहीं है तो पवित्र कुरान के आदेश के अनुसार वह दूसरी महिला से शादी नहीं कर सकता है. हाईकोर्ट ने टिप्पणी की, "बिगैमी तब तक पवित्र नहीं होती जब तक कि कोई व्यक्ति कुरान के अनुसार अनाथों के साथ न्याय नहीं कर सकता."

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