इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी और बच्चों को पालने में सक्षम नहीं है तो पवित्र कुरान के आदेश के अनुसार वह दूसरी महिला से शादी नहीं कर सकता है. हाईकोर्ट ने टिप्पणी की, "बिगैमी तब तक पवित्र नहीं होती जब तक कि कोई व्यक्ति कुरान के अनुसार अनाथों के साथ न्याय नहीं कर सकता."
The #AllahabadHighCourt has said that if a Muslim man is not capable of fostering his wife and children then as per the mandate #HolyQuran, he cannot marry the other woman.
"#Bigamy is not sanctified unless a man can do justice to orphans as per the #Quran", remarked High Court. pic.twitter.com/KjJVUN07Zt
— Live Law (@LiveLawIndia) October 10, 2022
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