उत्तर प्रदेश का एक ऐसा गांव जहां सिर्फ रहते हैं भिखारी, पढ़ाया जाता है ऐसा पाठ

भारत में एक गांव को वहां के भिखारियों के वजह से जाना जाता है. जी हां उत्तर प्रदेश में एक ऐसा गांव भी है जिसकी पहचान यहां के भिखारी है. यह गांव यूपी के मैनपुरी जिले में है यहां सिर्फ भिखारी बसते हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit-Pixabay)

हर जगह की अपनी एक खासियत होती है, जिसकी वजह से उसे पहचाना जाता है. किसी जगह को उसके स्वादिष्ट खाने की वजह से जाना जाता है तो किसी को वहां की सुंदरता की वजह से, हर जगह को अपनी एक खास चीज की वजह से पहचान मिलती है. भारत में एक गांव को वहां के भिखारियों के वजह से जाना जाता है. जी हां उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में एक ऐसा गांव भी है जिसकी पहचान यहां के भिखारी है. यह गांव यूपी के मैनपुरी (Mainpuri) जिले में है यहां सिर्फ भिखारी बसते हैं. बेवर थाना क्षेत्र के नगला दरबारी (Nagla Darbari) नाम के इस गांव में महज 30 परिवार रहते हैं.

यहां पर आज भी लोग कच्ची मिट्टी के मकानों में रहते हैं. इनके घरों में कोई दरवाजा नहीं है. यहां के लोगों को न चोरी का डर है न कुछ खोने का, क्यों कि उनके पास ऐसा कुह नहीं है को चोरी किया जा सके या जिसे खोने का कुछ गम हो. बिजली-पानी, सड़क जैसी व्यवस्थाओं से दूर यहां के लोग तंगहाली में रहते हैं. नगला दरबारी में रहने वाले लोग पीढ़ी दर पीढ़ी भीख मांगते चले आ रहे हैं. यह भी पढ़ें- जानें क्यों यहां लड़की की छाती को गर्म पत्थर से करते हैं आयरन, दर्द से कराह उठती हैं बच्चियां

भीख मांगना ही गुजारा करते हैं लोग 

यहां लोगों का पेशा सिर्फ भीख मांगना है. इसके अलावा वहां के लोग पैसो के लिए सांपो को दिखाकर भीख मांगते हैं और सांपो को वश में करने की विद्या सीखाते हैं. यह लोग सांप दिखाकर भीख मांगने के चक्कर में तिहाड़ जेल भी जा चुके हैं. सांप को वश में करने की विद्या सीखाने के लिए गांव के लोगों ने अपनी अलग पाठशाला खोल रखी है. इस गांव में 200 से ज्यादा लोग रहते हैं और तकरीबन 100 रुपये प्रतिदिन कमा लेते हैं. यह गांव सरकार की तमाम योजनाओं की पहुंच से आज भी दूर हैं.

साल 1958 में जौहरीनाथ के पिता ख्यालिनाथ परिवार के साथ इस गांव में आए थे. जौहरीनाथ के अनुसार यहां पैसे कमाने का कोई जरिया नहीं था, जिसके बाद हमने भी पैतृक काम को अपनाया और सांप पकड़कर उन्हें नचाने लगे. इससे ही हम अपना गुजरा करने लगे. हालांकि इस काम से भी कुछ गुजारा नहीं हुआ इसलिए हमने भी भीख मांगना शुरू कर दिया, अब यही हमारा पेशा बन गया है.

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