लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में आवारा कुत्तों के काटने से 13 बच्चों की मौत हो जाने के बाद लखनऊ नगर निगम भी सतर्क हो गया है. राजधानी की गलियों में घूम रहे आवारा कुत्ते अब निगम के निशाने पर हैं. अधिकारियों की मानें तो गली-मोहल्लों में बेखौफ घूमने वाले आवारा कुत्तों पर लगाम कसने के लिए जल्द ही उनकी नसबंदी शुरू की जाएगी.
नगर निगम के अधिकारियों का दावा है कि जल्द ही इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. योजना के अनुसार, आवारा कुत्तों की नसबंदी का जिम्मा किसी अंतर्राष्ट्रीय कंपनी या इस मामले में ज्यादा अनुभवी कंपनी को दिया जा सकता है, ताकि नसबंदी के दौरान कोई समस्या न आए.
कंपनी को शहर के कुत्तों को पकड़कर इंदिरानगर स्थित अस्पताल लाने और उनकी नसबंदी करने का जिम्मा सौंपा जाएगा. यही नहीं, गली-मोहल्लों में बेखौफ घूम रहे आवारा कुत्तों के बच्चों पर भी नजर रखी जाएगी और बड़े होते ही इनकी भी नसबंदी कर दी जाएगी.
हालांकि, अधिकारियों ने यह भी कहा कि देसी कुत्तों की नसबंदी के दौरान मोहल्ले में रहने वाले लोग अगर इसका विरोध करेंगे, तो उन्हें हर देसी कुत्ते का पंजीकरण कराकर लाइसेंस लेना होगा.
लाइसेंस के बाद नसबंदी नहीं की जाएगी, लेकिन उसके बाद गली में घूमने वाले कुत्तों की जिम्मेदारी लाइसेंस लेने वाले की हो जाएगी. नगर निगम कुत्तों की नसबंदी का अभियान लगातार तीन वर्षो तक चलाएगा.
नगर निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरविंद कुमार राव ने बताया कि आवारा कुत्तों की नसबंदी की रणनिति तैयार की गई है. अस्पताल का निर्माण भी करवा लिया गया है, जल्द ही मोहल्लावार अभियान चलेगा.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में पिछले एक महीने के दौरान आवारा कुत्तों का आतंक काफी बढ़ गया है. आदमखोर कुत्तों ने सीतापुर में अब तक 13 बच्चों की जान ली है। इसकी गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद ही जिले का दौरा कर पीड़ितों से मुलाकात की थी और अधिकारियों को कड़े दिशा निर्देश जारी किए थे.
उन्होंने जिले के दौरे के दौरान राज्य स्तर पर एक कुत्ता समिति का गठन भी किया था, लेकिन इसके उलट सीतापुर में अभी भी लोगों को आवारा कुत्तों से निजात नहीं मिली है. आए दिन कुत्ते लगातार बच्चों को अपना निशाना बना रहे हैं। इसे देखते हुए नगर निगम लखनऊ के अधिकारी भी सतर्क हो गए हैं.