World Senior Citizens Day 2024: बुजुर्गों के अनुभवों को सलाम करने का दिन, ताकि हम अपनी जड़ों से जुड़े रह सकें
सफलता के लिए उम्र कोई बाधा नहीं, बल्कि ज्ञान की सीढ़ी है...एक ऐसी दुनिया जहां लगातार परिवर्तन हो रहा है, वहां बुजुर्गों में ज्ञान, अनुभव और स्थिरता का भंडार है."
नई दिल्ली, 21 अगस्त : "सफलता के लिए उम्र कोई बाधा नहीं, बल्कि ज्ञान की सीढ़ी है...एक ऐसी दुनिया जहां लगातार परिवर्तन हो रहा है, वहां बुजुर्गों में ज्ञान, अनुभव और स्थिरता का भंडार है." किसी अज्ञात द्वारा कही ये लाइनें उम्रदराज होने की अहमियत को बखूबी बयां करती हैं. क्योंकि "बूढ़ा होना बीमारी नहीं बल्कि एक जीत है." जिंदगी की इस जीत के प्रति हमें संवेदनशील बनाने के लिए 21 अगस्त को मनाया जाता है 'विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस.'
"उम्र सिर्फ एक संख्या है, अनुभव ही जीवन है." यह कहावत भी हमने अक्सर सुनी है. जीवन में इन अनुभवों का खजाना संजोए रखते हैं हमारे बुजुर्ग. हमारे बुजुर्ग जीवन के हर पहलू को देख चुके होते हैं, हर परिस्थिति का सामना कर चुके होते हैं. उनके पास समस्याओं का समाधान खोजने की एक अनोखी क्षमता होती है, जो युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है. यह भी पढ़ें : World mosquito Day 2024: कब और क्यों मनाते हैं विश्व मच्छर दिवस? जानें इसका इतिहास, महत्व एवं मच्छर जनित बीमारियां!
वरिष्ठ नागरिक दिवस का महत्व केवल सीनियर्स के योगदान की सराहना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक मौका है हमें उनके साथ अधिक समय बिताने, उनकी कहानियों को सुनने, और उनके साथ अपने संबंधों को मजबूत करने का. बुजुर्गों के जीवन में अनगिनत कहानियां छुपी होती हैं. उनके अनुभव इसलिए भी जानने-सुनने जरूरी हैं, ताकि हम अपनी जड़ों से जुड़े रह सकें. यह युवाओं के लिए जरूरत भी है और समाज के लिए बड़ी अहमियत भी.
इसलिए हर साल 21 अगस्त का दिन समाज में बुजुर्गों की उपलब्धियों और योगदान को सेलिब्रेट करता है. भारत में वरिष्ठ नागरिक आमतौर पर वह होते हैं जो उम्र के 60 साल पार कर चुके होते हैं. साधारण तौर पर हमारे बुर्जुग ही वरिष्ठ नागरिक हैं, खासकर जो रिटायर हो चुके हैं. भारत में बुजुर्ग हमारे परिवारों के इतिहास के जीवंत गवाह होते हैं. उनके आशीर्वाद, उनकी सलाह, और उनका मार्गदर्शन भारत के परिवारों का अभिन्न हिस्सा रहा है.
हालांकि, आज की आधुनिक जीवनशैली में, जहां युवा वर्ग अपने कामकाज में व्यस्त रहता है, वहां बुजुर्गों की देखभाल और उनके साथ समय बिताना एक चुनौती बन गया है. कई बार, वरिष्ठ नागरिक अपने आप को अकेला महसूस करते हैं. उनके पास समय होता है, लेकिन कोई उनसे बात करने वाला नहीं होता. लेकिन इसी चुनौती से पार मानवता का बड़ा पक्ष भी छुपा है. इसलिए ही किसी अज्ञात ने एक बार फिर कहा है- "बुजुर्गों को दिया गया प्यार, देखभाल और ध्यान हमारी मानवता का पैमाना है."
वरिष्ठ नागरिक दिवस की जरूरत यूएस में करीब 36 साल पहले महसूस की गई थी. यूएस के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के प्रयासों से 'राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस' की शुरुआत हुई. उन्होंने साल 1988 में अमेरिका में 21 अगस्त को राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस घोषित करने की घोषणा की थी. 21 अगस्त की तारीख का चुनाव इसलिए किया गया क्योंकि यह पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बेंजामिन हैरिसन के जन्मदिन से मेल खाती है. वह वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों के एक बड़े समर्थक थे. समय के साथ राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस अमेरिका की सीमाओं को पार कर विश्व स्तर पर पहुंच गया.
रिपोर्ट ऑफ द टेक्निकल ग्रुप ऑन पॉपुलेशन प्रोजेक्शन (जुलाई 2020) के अनुसार, भारत में 2031 तक बुजुर्गों की संख्या बढ़कर 19.34 करोड़ हो जाएगी. यह संख्या 2011 की जनगणना के मुताबिक 10.38 करोड़ बुज़ुर्गों की तुलना में काफी अधिक है. इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि बुजुर्गों के स्वास्थ्य, आर्थिक सुरक्षा और सामाजिक एकीकरण से जुड़े मुद्दों पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है.
बढ़ती बुजुर्ग आबादी की इन चुनौतियों को देखते हुए, भारतीय सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए पहल की हैं. लेकिन परिवार, समाज और युवाओं में बुजुर्गों के प्रति संवेदनशीलता के बगैर वरिष्ठ नागरिकों के समक्ष आने वाली चुनौतियों से निपटना मुश्किल है. ऐसे में विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस बुजुर्गों के योगदान का सम्मान करने और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को संबोधित करने का अवसर प्रदान करता है.
हमारे बुजुर्ग, हमारे समाज की जड़ों की तरह होते हैं, जिनसे हमारा अस्तित्व जुड़ा होता है. हमें उन्हें न केवल इस दिन, बल्कि हर दिन सम्मान देना होगा ताकि वे अपने शेष जीवन को सुख, शांति और सम्मान के साथ बिता सकें. क्योंकि उम्र जिंदगी के लिए सिर्फ एक और शब्द है और जिंदगी की कोई उम्र नहीं होती. वह हमेशा चलती रहती है.