Skandh Sashti 2022: शत्रुओं पर विजय, संतान के सुरक्षित भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है यह व्रत!जानें इसका महात्म्य, मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा विधि!
प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की षष्टी के दिन स्कन्द षष्टी का व्रत एवं पूजा-अर्चना की जाती है. यह व्रत भगवान कार्तिकेय के नाम समर्पित माना जाता है. गौरतलब है कि भोले शंकर के तेज से उत्पन्न बालक कार्तिकेय का एक नाम स्कन्द कुमार भी है.
प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की षष्टी के दिन स्कन्द षष्टी का व्रत एवं पूजा-अर्चना की जाती है. यह व्रत भगवान कार्तिकेय के नाम समर्पित माना जाता है. गौरतलब है कि भोले शंकर के तेज से उत्पन्न बालक कार्तिकेय का एक नाम स्कन्द कुमार भी है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव, मां पार्वती एवं भगवान कार्तिकेय, की पूजा करने से जातक के जीवन में सुख-शांति एवं समृद्धि आती है, हालांकि यह व्रत मुख्यतः शत्रुओं पर विजय, संतान की अच्छी सेहत, सुरक्षा और सुखद भविष्य के लिए रखा जाता है. इस दिन को चंपा षष्ठी भी कहते हैं. यह व्रत ज्यादातर दक्षिण भारत में मनाया जाता है. इस वर्ष स्कन्द षष्टी का व्रत एवं पूजा 5 जुलाई 2022 को पड़ रहा है. आइये जानें क्या है, स्कन्द षष्टी के व्रत का महत्व, मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा विधि इत्यादि.
स्कन्द षष्ठी का शुभ मुहूर्त!
स्कन्द षष्टी प्रारंभः 02.57 PM (05 जुलाई, 2022, मंगलवार)
स्कन्द षष्टी समाप्तः 07.19 PM (06 जुलाई, 2022, बुधवार)
स्कंद षष्टी पूजा विधि
स्कन्द षष्टी के दिन प्रातःकाल स्नान-ध्यान करके भगवान शिव, माँ पार्वती के साथ भगवान कार्तिकेय का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. अब इच्छित मनोकामनाओं की कामना करें. भगवान शिव एवं माँ पार्वती के साथ स्कन्द देव की प्रतिमा स्थापित कर, धूप दीप प्रज्जवलित करें. जल, सुगंध, पुष्प, अक्षत, रोली, हल्दी, चंदन अर्पित करें. इस दिन मोरपंख अवश्य चढ़ाएं. भोग में मौसमी फल चढ़ाएं. पूजा के दरम्यान निम्न श्लोक का जाप करें. यह भी पढ़ें : Eid al-Adha Mehendi Design: ईद-उल-अजहा के खास अवसर पर अपने हाथो को सजाएं इन खुबसूरत मेहंदी डिजाईन से, यहां देखें विडियो
देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव। कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥
पूजा के पश्चात शिव-पार्वती तथा कार्तिकेय जी की आरती कर प्रसाद वितरित करें.
अगले दिन स्नानादि के पश्चात ब्राह्मण को दान देकर व्रत का पारण करें.
इस दिन विशेष कार्य की सिद्धि के लिए कि गई पूजा-अर्चना काफी फलदायी होती है. जातक को इस दिन मांस, शराब, प्याज, लहसुन से दूर रहना चाहिए, और कड़ाई के साथ ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
स्कन्द षष्टी का महात्म्य
हिंदू धर्म के महान ग्रंथ स्कन्द पुराण के नारद-नारायण संवाद में संतान प्राप्ति और संतान के तमाम संकटों को दूर करने के लिए इस व्रत का महात्म्य वर्णित है. पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन उन्होंने दैत्य ताड़कासुर का वध किया था. इसीलिए मान्यता है कि भगवान कार्तिकेय का यह व्रत एवं पूजा-पाठ दुश्मनों पर जीत अर्जित करवाता है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार स्कन्द षष्टी की नियम से पूजा करने से च्यवन ऋषि को नेत्र की ज्योति प्राप्त हुई थी. वहीं ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी उल्लेखित है कि स्कन्द षष्टी की पूजा के पश्चात प्राप्त कृपा से प्रियव्रत का मृत्यु हो चुका शिशु जीवित हो उठा था.