वाराणसी: भारत के प्रमुख मंदिरों में से वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर एक है. जिस मंदिर का जिक्र पुराणों में भी किया गया है कि उत्तर प्रदेश के काशी नगरी में ही भगवान शिव का सबसे प्रसिद्ध ज्योतिलिंग है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहा पर स्वयं बाबा विश्वनाथ देवी मां भगवती के साथ विराजते हैं. इस मंदिर की विषेशता ही है कि यहां पर साल के 12 महीने भक्त बड़ी संख्या में दर्शन करने आते है. सावन के इस पावन महीने में लोगों की कुछ ज्यादा ही भीड़ रहती है. काशी विश्वनाथ मंदिर के बारे में पुराणों में कई मान्यताएं है. जिस मंदिर के बारे में हम आपको कई अहम बातेे आज बताऐंगे
काशी विश्वनाथ से जुड़ी बातें
1. उत्तर प्रदेश के वाराणसी नगरी में जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है इस मंदिर का पुननिर्माण इंदौर की रहने वाली रानी अहिल्याबाई ने करवाया था. इस मंदिर को पुननिर्माण करवाने के बारे में मान्यता है कि 18वीं शताब्दी के दौरान एक दिन रानी अहिल्याबाई को स्वयं भगवान शिव सपने में आकर इस मंदिर को बनवाने के लिए कहा. जिसके बाद रानी अहिल्याबाई ने मंदिर का निर्माण करवाया.
2-रानी अहिल्याबाई के मंदिर निर्माण करवाने के बाद 1853 में महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर को एक हजार किलो सोना दान दिया. जिस सोने से मंदिर के शिखर का निर्माण करवाया गया.
3. मंदिर के बारे में यह भी मान्यता है कि औरंगजेब इस मंदिर को जब तोड़ने आया था. वह मंदिर के शिवलिंग को अपना निशाना बनाना चाहता था. लेकिन मंदिर में मौजूद लोगों ने पास में बने एक कुएं में छुपा दिया था. ताकि शिवलिंग को तोड़ ना पाए. मंदिर के पास आज भी वह कुआं मौजूद है .
4. देश का यह प्रमुख मंदिर दो भागों में फैला हुआ है. बताया जाता है कि दाहिने हिस्से में शक्ति के रूम में मां भगवती विराजमान है तो वही दूसरी ओर भगवान शिव वाम(सुंदर ) रूप में विराजमान है.
5- बताया गया है कि बाबा विश्वनाथ के दरबार में तंत्र की दृष्टि से चार प्रमुख द्वार हैं. शांति द्वार, कला द्वार. प्रतिष्ठा द्वार, निवृत्ति द्वार हैं.
बाबा के धाम में पूरी होती है हर मुराद
वाराणसी में जब आप दर्शन करने पहुंचेंगे तो आपको यह अंदाजा लग जाएगा की महादेव के दरबार में देश से ही नहीं विदेश से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं. जहां एक तरफ भोलेनाथ का दुर्लभ दर्शन करने का मौका मिलता है तो वहीं दूसरी तरफ मां गंगा में स्नान मात्र से सारे पाप धुल जाते हैं. इस पवित्र नगरी में सावन के महीने में बड़ी संख्या में शिव भक्त आते हैं. कहा जाता है की जो भी श्रद्धालु शिव जी के इस ज्योतिर्लिंग को सावन के महीने में सोमवार के दिन जलाभिषेक करता है महादेव उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. आज भी साल के 12 महीने यहां भक्तों का तांता लगा रहता है.