Coronavirus in India: भारत में क्यों कम है मॉर्टेलिटी रेट और कैसा है वायरस का फर्टिलिटी रेट, जानें हेल्थ एक्सपर्ट से
दुनिया के लगभग सभी देशों में कोरोना का कहर देखने को मिला, लेकिन कई देशों से अच्छी खबर भी आनी शुरू हो गई है, कई महीनों कोरोना की मार झेलने के बाद वहां अब वायरस का संक्रमण कम हो गया है. लेकिन उनमें से कई देश ऐसे हैं जहां वायरस से मरने वालों को आंकड़ा हैरान करने वाला है. इस बीच बच्चों का भी विशेष ध्यान रखने की सलाह दी.
Coronavirus in India: दुनिया के लगभग सभी देशों में कोरोना का कहर देखने को मिला, लेकिन कई देशों से अच्छी खबर भी आनी शुरू हो गई है, कई महीनों कोरोना की मार झेलने के बाद वहां अब वायरस का संक्रमण कम हो गया है. लेकिन उनमें से कई देश ऐसे हैं जहां वायरस (Coronavirus) से मरने वालों को आंकड़ा हैरान करने वाला है. जबकि भारत में जनसंख्या अधिक होने के बाद भी वायरस से मरने वालों की संख्या काफी कम है. खास बात यह है कि अन्य देशों की तुलना में यहां वायरस का फर्टिलिटी रेट भी कम है. प्रसार भारती से बातचीत में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. अपर्णा अग्रवाल ने कहा कि वायरस म्यूटेट करता है लेकिन भारत के मरीजों में और विदेश में संक्रमित मरीजों में कोई फर्क नहीं है. कह सकते हैं कि अलग-अलग देशों में मॉर्टेलिटी रेट अलग है.
कहीं ज्यादा है, कहीं बहुत कम है. उसका कारण अभी नहीं पता चला है. लेकिन जो सामने आ रहा है कि कुछ देश ऐसे हैं हां जहां बुजुर्ग लोगों की संख्या ज्यादा है, इसलिए वहां मोर्टेलिटी ज्यादा है. वहीं भारत (India) में कहा जा रहा है कि यहां वायरस का फर्टिलिटी रेट अन्य देशों की तुलना में कम है. ऐसा बीसीजी वैक्सीनेशन की वजह से या भारतीयों के ज्यादा इम्यूनिटी की वजह से हो सकता है, लेकिन अभी कुछ भी कहा नहीं जा सकता है. लेकिन अब भारत में वायरस का फर्टिलिटी रेट और मृत्यु दोनों का आंकड़ा बढ़ा है. इसलिए ये कहना कि संक्रमण कम सिवियर है, गलत होगा.
तीन बेसिक सावधानी का पालन बहुत जरूरी
जब अब केस भी बढ़ रहे हैं अनलॉक भी हो रहा है तो खुद को सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती के तौर लें. इसके लिए जरूरी है तीन बेसिक सावधानी बरतें. डॉ. अपर्णा ने कहा कि संक्रमण से बचने के लिए तीन बेसिक सावधानियां हैं. पहला - दो गज की दूरी यानी सोशल डिस्टेंसिंग, दूसरा हैंड सेनिटाइज करना इसके अलावा सभी दुकान, ऑफिस, होटल आदि में सेनिटाइज कराना जरूरी है. तीसरा मास्क पहनना जरूरी है. मास्क लोग पहन रहे हैं लेकिन अक्सर मास्क गले में लटका रहता है या नाक से नीचे रहता है या केवल मुंह ढका रहता है, तो कई लोग बोलते वक्त नीचे कर देते हैं. ऐसा नहीं करना है. इसके अलावा अन्य सावधानियों में चश्मा लगाना है. अगर बुखार है या कोई परेशानी है तो बाहर न जाएं, न ही ऑफिस जाएं.
टहलते, रनिंग करते वक्त भी मास्क जरूरी
इस दौरान उन्होंने टहलते वक्त या व्यायान करते वक्त मास्क कितना जरूरी है इस बारे में बताते हुए कहा कि घर से बाहर निकलते ही मास्क लगाना बहुत जरूरी है, चाहे टहलना हो या रनिंग करना हो या साइकिल चलाना हो. ऐसे में अगर कोई आस-पास नहीं है या आपको जुकाम, खांसी नहीं है तो मास्क नीचे करके सांस ले सकते हैं. लेकिन मास्क लगाना जरूरी है. इसके अलावा पार्क में हैं और अन्य लोग भी वहां मौजूद हैं तो वहां मास्क कतई न उतारें.
टेस्टिंग क्षमता बढ़ाने से संक्रमितों की कर सकते हैं पहचान
सभी डॉक्टर और विशेषज्ञों का मानना है कि वायरस अभी खत्म नहीं हुआ है और अभी ये रहगा, ऐसे में कुछ लोग ये मान रहे हैं कि केस इसलिए सामने आ रहे हैं जहां संक्रमण बढ़ रहे हैं वहां टेस्टिंग से कम कर सकते हैं. इस बारे में डॉ अपर्णा ने समझाते हुए कहा कि टेस्टिंग क्षमता बढ़ा कर संक्रमण नहीं रोका जा सकता, बल्कि कितने लोग संक्रमित हैं, ये पता कर सकते हैं. संक्रमित का पता चल जाएगा तो उन्हें आइसोलेट करके और वायरस के संक्रमण और केस बढ़ने से रोक सकते हैं.
सरकार की गाइडलाइन के अनुसार अगर किसी को खांसी, गला खराब, हल्का बुखार, स्वाद नहीं आ रहा है, तो घर में ही सेल्फ क्वारनटाइन कर लें. ताकि अगर कोरोना का संक्रमण है तो और न फैले और खुद एहतियात रखें जिससे आप ठीक हो सकें. हालांकि बिना जांच के एसिम्प्टोमेटिक व्यक्ति का पता नहीं चलता है इसलिए टेस्टिंग जरूरी है, ताकि उनसे बाकियों को संक्रमित होने से बचाया जा सके.
बारिश के मौसम में सामान्य फ्लू से भी करें बचाव
वहीं देश में मॉनसून ने भी दस्तक दे दी है ऐसे में सामान्य सर्दी फ्लू के लक्षण बढ़ जाते हैं, इसलिए लोगों को और सावधान रहना है. उन्होंने कहा कि मॉनसून की वजह से डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियां भी दस्तक देती हैं. इसलिए सतर्क रहना है. ऑफिस या बाहर आते-जाते हैं और कभी बारिश हो रही है तो भीगने से बचें. लेकिन अगर अचानक भीग गए हैं और छींक या खांसी आती है तो घबराए नहीं क्योंकि सामान्य फ्लू हो सकता है और 3-4 दिने में ठीक हो जाएगा. लेकिन उस वक्त भी मास्क पहन कर रखें, घर वालों से थोड़ा सोशल डिस्टेंसिंग रखें.
बच्चों के लिए अभी भी सावधानी जरूरी
इस बीच बच्चों का भी विशेष ध्यान रखने की सलाह दी. सरकार की गाइडलाइन के अनुसार 10 साल से कम के बच्चों को बाहर लेकर नहीं जाएं. उन्हें घर के अंदर ही रखें. क्योंकि बच्चे छोटे होते हैं और आंख, नाक मुंह बार-बार टच कर सकते हैं और उनकी इम्यूनिटी कम होती है. 10 साल के उपर के बच्चे हैं तो वे साधानी के साथ पार्क में खेलने जा सकते हैं. लेकिन जहां तक जरूरी हो अभी भी घर में रहें. घर सबसे सुरक्षित जगह है.