Ramazan 2019: डायबिटीज और दिल के मरीज भी रख सकते हैं रमजान के रोजे, बरतनी होंगी ये सावधानियां
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

नई दिल्ली: रमजान (Ramazan) के पवित्र महीने की शुरुआत होते ही रोजे रखने का ख्याल कई बार मधुमेह (Diabetes) और हृदय रोगियों (Heart Patient) के मन में दुविधा भरे कई सवाल खड़े कर देता है. रोजों के दौरान लंबे समय तक भूखा रहना पड़ता है. इस साल हमारे महाद्वीप में रोजों का समय औसत रूप से करीब 15 घंटों का रहेगा. सैफी हॉस्पिटल से जुड़े एन्डोक्रिनोलोजिस्ट डॉ. अल्तमश शेख ने कहा, "मधुमेह के रोगी पूर्ण जानकारी और उपयुक्त विशेषज्ञों के सुझावों के आधार पर सफलतापूर्वक अपने मधुमेह को नियंत्रित करते हुए रोजे रख सकते हैं."

डॉ. शेख ने कहा, "मरीजों को रोजों के दौरान अपने रक्त ग्लूकोज की नियमित जांच करनी चाहिए, जिससे मधुमेह को अच्छी तरह से नियंत्रित किया जा सके. जो मरीज सिर्फ गोलियों के सहारे अपने मधुमेह का नियंत्रण करते हैं, उनको विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार दवाइयों के समय में बदलाव करना चाहिए."

उन्होंने कहा, "रमजान के रोजे करते हुए मधुमेह के मरीजों को भारी एवं गरिष्ठ भोजन से बचना चाहिए. भजिया, पकोड़े, मिठाइयां और तली हुई चीजों से दूर रहना चाहिए."

एक्सिस हॉस्पिटल की पोषण एवं आहार विशेषज्ञ डॉ. हीना अंसारी ने कहा, "रोजों के दौरान मधुमेह के मरीजों को खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इस दौरान सहूर और इफ्तार दोनों समय प्रोटीन एवं रेशे युक्त भोजन की मात्रा अधिक होनी चाहिए. तीखे मसालेदार और नमकीन व्यंजनों से दूर रहना चाहिए और साथ ही अधिक चाय एवं कॉफी के सेवन से भी बचना चाहिए. यह भी पढ़ें: Ramazan 2019: गर्मियों में आ रहे हैं रमजान, रोजे के दौरान आहार में जरूर शामिल करें ये चीजें, बनें रहेंगे स्वस्थ और ऊर्जावान

लीलावती हॉस्पिटल के प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. शाहिद मर्चेट ने कहा, "जिन मरीजों का हृदय रोग स्थिर और नियंत्रित है उन्हें रोजे करने में किसी प्रकार की रोक नहीं है, लेकिन उनकी दवाइयों के समय में विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है."

पोषण सलाहकार एवं लेखिका सोनल चौधरी का मानना है कि रमजान का समय आध्यात्मिक उन्नति का होता है और साथ ही सही प्रकार से रोजे रख कर सेहत को कई प्रकार से लाभान्वित किया जा सकता है.