Govatsa Dwadashi 2022 Rangoli Designs: दिवाली पर बनाएं ये आकर्षक और सरल वासु बरस रंगोली पैटर्न, देखें वीडियो
गोवत्स द्वादशी (Govatsa Dwadashi 2022) दिवाली (Diwali) उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है, खासकर भारतीय राज्य महाराष्ट्र में. यह क्षेत्र इस अवसर को वासु बरस (Vasu Baras) के रूप में चिह्नित करता है. इस दिन विवाहित महिलाएं उपवास रखती हैं और अपने परिवार के अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए श्री कृष्ण पूजा के साथ गौ पूजन करती हैं....
Govatsa Dwadashi 2022 Rangoli Designs: गोवत्स द्वादशी (Govatsa Dwadashi 2022) दिवाली (Diwali) उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है, खासकर भारतीय राज्य महाराष्ट्र में. यह क्षेत्र इस अवसर को वासु बरस (Vasu Baras) के रूप में चिह्नित करता है. इस दिन विवाहित महिलाएं उपवास रखती हैं और अपने परिवार के अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए श्री कृष्ण पूजा के साथ गौ पूजन करती हैं. गुजरात में, त्योहार वाघ बरस के रूप में मनाया जाता है. हिंदू कैलेंडर में, गोवत्स द्वादशी को अश्विन महीने में कृष्ण पक्ष के बारहवें दिन, यानी द्वादशी को चिह्नित किया जाता है. यह भी पढ़ें: Govatsa Dwadashi/Bach Baras 2022: गाय और बछड़ों को समर्पित है गोवत्स द्वादशी, जानें नंदिनी व्रत शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व
ग्रेगोरियन कैलेंडर में तिथियों को देखें तो गोवत्स द्वादशी 2022 शुक्रवार, 21 अक्टूबर को पड़ रही है. लोग पवित्र त्योहार के दिन गायों की पूजा करते हैं, जिन्हें हिंदू धर्म में एक पवित्र जानवर माना जाता है. इस दिन घर के फर्श को रंगोली से सजाया जाता है, जो भारत में किसी भी उत्सव के दौरान एक महत्वपूर्ण तत्व है. इस लेख में उत्सव की सुंदरता को बढ़ाने के लिए गोवत्स द्वादशी 2022 रंगोली डिजाइन शामिल हैं. इस दिन आपके घर को सजाने के लिए हम ले आए कुछ आसान और सुंदर रंगोली डिजाइन. जिन्हें आप गोवत्स द्वादशी के दिन अपने घर के बाहर बनाकर अपना द्वार सजा सकते हैं.
देखें वीडियो:
गोवत्स द्वादशी रंगोली:
वासु बरस रंगोली:
इस त्योहार की सबसे महत्वपूर्ण परंपरा गायों और बछड़ों को सम्मान देना है, जिन्हें मानव जाति के पोषण का स्रोत माना जाता है. हिंदू दिव्य गाय 'नंदिनी' को श्रद्धांजलि देते हैं, यही कारण है कि इस दिन को 'नंदिनी व्रत' भी कहा जाता है. त्योहार के दिन औपचारिक स्नान करने के बाद भक्त गायों की पूजा करके वासु बरस मनाते हैं. गाय को आभूषण, माला और कपड़ों से सजाया जाता है और उसके माथे पर सिंदूर लगाया जाता है.
कुछ लोग इस अवसर पर किसी भी तरह के गेहूं या डेयरी उत्पादों का सेवन करने से भी परहेज करते हैं. भक्त श्री कृष्ण से भी प्रार्थना करते हैं, जो भगवान विष्णु की अभिव्यक्ति हैं और गायों के प्रति गहरी कृतज्ञता और प्रेम रखते हैं.