World Science Day on November 10: दस नवंबर विश्व विज्ञान दिवस और भारत, क्या विज्ञान भारत को ‘विश्व गुरु' बनने की दिशा अग्रसर है!

दस नवंबर विश्व विज्ञान दिवस और भारतः क्या विज्ञान भारत को ‘विश्व गुरु' बनने की दिशा अग्रसर है!

World Science Day on November 10: दस नवंबर विश्व विज्ञान दिवस और भारत, क्या विज्ञान भारत को ‘विश्व गुरु' बनने की दिशा अग्रसर है!
प्रतिकात्म तस्वीर (फ़ाइल फोटो)

विश्व विज्ञान दिवस (10 नवंबर) के बस कुछ ही समय शेष हैं और इधर भारत के इसरो (Indian Space Research Organization) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से PSLV-C49 लांच कर दुनिया भर में हंगामा मचा दिया. इस सैटेलाइट की खासियत यह है कि यह विशुद्ध देशी है. यह अपने साथ अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट EOS-01 और नौ अन्य विदेशी कस्टमर सैटेलाइट भी लेकर गया है. दुनिया भर के वैज्ञानिक इसे भारत की अनुपम उपलब्धि मान रहे हैं. अभी कुछ ही दिनों पूर्व स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिकों की टीम द्वारा किए गए एक विस्तृत विश्लेषण में देश भर में फैले विभिन्न नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के दस भारतीय वैज्ञानिकों को विश्व रैंकिंग में चोटी के दो प्रतिशत लोगों में जगह दिया है. करीब 5 सौ साल पहले महान भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने अपनी पुस्तक ‘द प्रोफेसीज’में लिखा था कि तीन तरफ से सागर से घिरा देश भारत तीसरे विश्वयुद्ध में महाशक्तिशाली और विश्व गुरू बनकर उभरेगा. तो क्या मान लिया जाए कि इसकी उल्टी गिनती शुरू हो गयी है.

भारतीय आधुनिक विज्ञान के रीढ़ डॉ. एस. जे. एस. फ्लोरा

भारतीय वैज्ञानिक समय-समय पर तमाम उपलब्धियां हासिल कर दुनिया के सामने अपनी श्रेष्ठता और योग्यता का पुरजोर प्रर्दशन करते रहे हैं. इसी दिशा में पिछले दिनों जिस तरह से स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिकों की टीम द्वारा किए विश्लेषण में भारत के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के दस वैज्ञानिकों को चोटी के दो प्रतिशत वैज्ञानिकों में जगह दिया है, वह प्रशंसा के काबिल है. खबरों के मुताबिक स्टैनफोर्ड की टीम ने दुनिया के 1 लाख से अधिक वैज्ञानिकों की सूची तैयार कर एक डेटाबेस बनाया. विभिन्न वैज्ञानिक पैरामीटर्स जैसे कि उद्धरणों की संख्या, एच-इंडेक्स (H Index) आदि को ध्यान में रखा गया है. इस शोध में अपनाई गई विज्ञान और वर्गीकरण की विभिन्न धाराओं के लिए वर्गीकरण किया गया. इस सूची में भारत के नं.1 और दुनिया में 44 वां स्थान रखने वाले वैज्ञानिक डॉ. एस. जे. एस. फ्लोरा को भी शामिल किया गया. डॉ. एस. जे. एस. फ्लोरा वर्तमान में एनआईपीईआर-रायबरेली (NIPER) के निदेशक हैं. इन दिनों एनआईपीईआर मोहाली में अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं. डॉ. फ्लोरा नवंबर 2016 में संस्थान के पहले निदेशक बने. उनके नेतृत्व में पिछले 4 वर्षों में संस्थान ने वैज्ञानिक उपलब्धियों के मामले में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. यह भी पढ़े: World Students’ Day 2020 Wishes: विश्व विद्यार्थी दिवस पर इन शानदार हिंदी WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, GIF Images, Instagram Stories, Quotes, SMS, Photo Messages के जरिए दें छात्रों को शुभकामनाएं

विज्ञान के क्षेत्र में बढ़ते भारतीय कदमः

बीते कुछ वर्षों में विश्व मंच पर भारत विज्ञान ही नहीं बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और तकनीक जैसे क्षेत्रों में भी अपनी दावेदारी को पुख्ता किया है, जिसकी वजह से विश्व की अन्य महाशक्तियों का ध्यान भारत की ओर गया है. यद्यपि शुरुआत काफी धीमी थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में भारत ने एक के बाद एक ऐसे चमत्कार कर दिखाएं हैं, जिससे अन्य राष्ट्रों को भारत की महानता स्वीकारने के लिए मजबूर

होना पड़ा है. मंगलयान की विश्वव्यापी सफलताः

भारतीय मंगलयान का प्रथम प्रयास में ही मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करना राष्ट्र की सबसे बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है. साल 2014 में इस उपलब्धि को हासिल करते ही अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत की पुरजोर चर्चा होने लगी. ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है. अमरीका, रूस और अन्य यूरोपीय स्पेस एजेंसियों को कई प्रयासों के बाद यह सफलता हाथ लगी थी. मंगल मिशन की सफलता के भारत अब चांद पर रोबोट उतारने और अंतरिक्ष में मानव भेजने के कार्यक्रमों पर कार्य करेगा.

व्हीट जीनोम सीक्वेंसः

लंबे समय से विश्व के चोटी के वैज्ञानिक जीनोम को सीक्वेंस करने के तमाम प्रयासों में लगे हुए थे, लेकिन हर प्रयास में उन्हें असफलता हाथ लग रही थी. जबकि भारत के मुख्य वैज्ञानिकों ने गत वर्ष कुछ विदेशी वैज्ञानिकों के सहयोग से दिल्ली और लुधियाना की प्रयोगशाला में में गेहूं के जीनोम को सीक्वेंस करने में कामयाबी हासिल की. इस सफलता से भारत को अपनी खाद्य सुरक्षा की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी.

जीएसएलवी मार्क-2 (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mark-2)

कुछ वर्षो से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के बाद भारत ने उपग्रह भेजने में काफी सफलता प्राप्त कर रहा है. भारत ने पिछले साल जीएसएलवी मार्क 2 का भी सफल प्रक्षेपण किया. इसमें पहली बार स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया था. भारत के लिए यह भी बहुत बड़ी सफलता मानी जाती है. जीएसएलवी मार्क 2 के सफल प्रक्षेपण के बाद भारत को अपनी सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना होगा.

परमाणु क्षेत्र में उपलब्धियांः

राजस्थान परमाणु बिजली स्टेशन की यूनिट 5 ने एक कीर्तिमान अपने नाम किया है. इस परमाणु बिजली स्टेशन ने 765 दिन लगातार संचालन करके दुनिया में सबसे ज्यादा संचालन करनेवाला दूसरा रिएक्टर होने का कीर्तिमान बनाया है. इस

जीएसएलवी मार्क 3 

गौरतलब है कि इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने अब तक के सबसे वजनी रॉकेट जीएसएलवी-एमके 3 का सफल प्रक्षेपण किया. इस रॉकेट का वजन 630 टन था. रॉकेट जीएसएलवी-एमके 3 की सबसे खास बात यह है कि इसमें एक क्रू मॉड्यूल भी लगाया गया. इस सफलता के बाद भारत अब अपने ऐस्ट्रॉनॉट्स को अंतरिक्ष में भेज पाएगा.

PSLV-C49, से दस सैटेलाइटों की लांचिंग

गत सप्ताह भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और व्यापक सफलता हासिल की है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पिछले सप्ताह PSLV-C49 की लांचिंग की. दुनिया इस बात से हैरान है कि यह अपने साथ अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट EOS-01 और नौ विदेशी कस्टमर सैटेलाइट को भी साथ लेकर गया है. इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया.


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