वाल्मीकि जयंती का त्यौहार महर्षि वाल्मीकि की जयंती के रूप में मनाया जाता है. इन्होने महान हिंदू महाकाव्य रामायण की रचना की थी. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह आश्विन के महीने की पूर्णिमा के दिन पड़ता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर में सितंबर-अक्टूबर से मेल खाता है. इसे प्रगत दिवस के रूप में भी जाना जाता है, इस साल वाल्मीकि जयंती 31 अक्टूबर शनिवार को 2020 में मनाई जा रही है.ऐसा कहा जाता है कि महर्षि वाल्मीकि भगवान राम से उनके वनवास के दौरान मिले थे. भगवान राम द्वारा माता सीता को अयोध्या राज्य से निष्काषित किए जाएं के बाद उन्होंने सीता को अपने आश्रम में शरण दी. उन्ही के आश्रम में सीता जी ने दो जुड़वाँ बच्चों लव और कुछ को जन्म दिया.
पौराणिक कथा अनुसार महर्षि वाल्मीकि वाल्मीकि अपने शुरुआती वर्षों में रत्नाकर नाम के एक डाकू थे. वह नारद मुनि से मिलने के पहले लोगों को लूटते और मारते थे. नारद मुनि से भगवान राम की कथा सुनने के बाद उनमें बदलाव आया और उन्होंने रामायण की रचना की. उन्होंने इस ग्रंथ को संस्कृत भाषा में लिखा था. वाल्मीकि जयंती राजस्थान में सबसे ज्यादा मनाई जाती है. वाल्मीकि जयंती भारत के उत्तरी भागों में विशेष रूप से हिंदू भक्तों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है. इस दिन, लोग शोभा यात्रा नामक जुलूसों में भाग लेते हैं, इस दौरान लोग भगवा रंग के वस्त्र धारण करते हैं. इस दिन वाल्मीकि ऋषि के मंदिर फूलों और दीपों रोशनी से सजाए जाते हैं. इस शुभ अवसर पर लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को मैसेजेस भेजकर शुभकामनाएं देते हैं. अगर आप वाल्मीकि जयंती मैसेज और विशेज की तलाश में हैं तो हम आपके लिए ले आये हैं शुभकामनाओं के नए कलेक्शंस.
1- गुरु होता सबसे महान,
जो देता है सबको ज्ञान,
आओ इस वाल्मीकि जयंती पर,
करें हम अपने गुरु को प्रणाम.
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं
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2- जैसे पके हुए फलों को,
गिरने के सिवा कोई भय नहीं,
वैसे ही पैदा हुए मनुष्य को,
मृत्यु के सिवा कोई भय नहीं.
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं
3- लिख दी जिसने कथा पवित्र सीता-राम की,
साथ ही बताई भक्ति रामभक्त हनुमान की,
प्रेम भाई भरत और लक्ष्मण का अनूठा,
कैसे मां कौशल्या-दशरथ से भाग्य रूठा.
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं
4- रामायण के हैं जो रचयिता,
संस्कृत के हैं जो कवि महान,
ऐसे महान पूज्य गुरुवर के,
चरणों में हमारा प्रणाम...
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं
5- राम-सीता हैं मेरे पूज्य प्रभु
इनके चरणों में करुं मैं नमस्कार
जब भी हो नया सुनहरा सवेरा
राम-राम नाम जपूं मैं बार-बार.
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि वाल्मीकि का जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरुण और उनकी पत्नी चढ़इशी (Chadhaishi) से हुआ था. उनके भाई का नाम भृगु था. कहा जाता है कि बचपन में एक भीलनी ने वाल्मीकि को चुरा लिया था. भील समाज में पालन पोषण होने के दौरान वे एक डकैत बन गए थे. वाल्मीकि बनने से पहले, उनका नाम रत्नाकर था और परिवार के पालन-पोषण के लिए जंगल के राहगीरों को लूट लिया करते थे और जरूरत पड़ने पर उनकी हत्या भी करते थे.