Tholi Ekadashi 2024 Date: थोली एकादशी कब है? इस दिन से शुरु होता है चातुर्मास, जानें इसकी तिथि और महत्व

थोली एकादशी के पर्व को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और दुनिया भर में रहने वाले तेलुगु भाषियों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को थोली एकादशी मनाई जाती है, जिसे देवशयनी, आषाढ़ी एकादशी और हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.

थोली एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)

Tholi Ekadashi 2024 Date: थोली एकादशी (Tholi Ekadashi) हिंदुओं, खासकर वैष्णव समुदाय के लोगों के लिए बेहद खास माना जाता है. इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु के भक्त व्रत रखकर विधि-विधान से उनकी उपासना करते हैं. थोली एकादशी के पर्व को आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh), तेलंगाना (Telangana) और दुनिया भर में रहने वाले तेलुगु भाषियों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को थोली एकादशी मनाई जाती है, जिसे देवशयनी एकादशी (Dev Shayani Ekadashi), आषाढ़ी एकादशी (Ashadhi Ekadashi) और हरिशयनी एकादशी (Hari Shayani Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है. इसी एकादशी तिथि से चतुर्मास (Chaturmas) की शुरुआत होती है. इसी दिन से देवों की रात्रि शुरु होती है और भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं. आइए जानते हैं इस साल थोली एकादशी किस दिन मनाई जाएगी और इसका महत्व क्या है?

थोली एकादशी 2024 कब है?

थोली एकादशी तिथि- 17 जुलाई 2024, बुधवार

एकादशी तिथि प्रारंभ- 16 जुलाई 2024 को रात 08.33 बजे से,

एकादशी तिथि समाप्त- 17 जुलाई 2024 को रात 09.02 बजे तक.

चतुर्मास की शुरुआत

थोली एकादशी के दिन से चतुर्मास की शुरुआत होती है और श्रीहरि का शयनकाल प्रारंभ हो जाता है, इसलिए इसे देवशयनी एकादशी कहते हैं. इस दौरान शादी-ब्याह, गृह प्रवेश और मुंडन जैसे शुभ व मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. यह एकादशी विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ यात्रा के बाद आती है. जब चार महीने बाद देवउठनी एकादशी को श्रीहरि जागते हैं तो फिर से मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. यह भी पढ़ें: Batuk Bhairav Jayanti 2024: कब हैबटुक भैरव जयंती? जाने इनकी पूजा विधि, कथा और क्यों खास है इस वर्ष की बटुक भैरव जयंती?

थोली एकादशी का महत्व

थोली एकादशी किसान समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वो इस दिन पहली बारिश के बाद बीज बोना शुरु करते हैं. इस दिन भव्य भोज का आयोजन किया जाता है. इस दिन गरीब लोगों और बच्चों को भोजन कराने से श्रीहरि विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. वैष्णव मंदिरों में इस दिन का बहुत महत्व है, क्योंकि इस दिन श्रीहरि के लिए विशेष पूजा-अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है. इस दिन जरूरतमंदों को दान देने का विशेष महत्व होता है. ऐसी मान्यता है कि टोली एकादशी के दिन व्रत और पूजन करने से पापों से मुक्ति मिलती है.

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