Subho Bijoya Dashami 2021 Messages: अपनों से कहें सुभो बिजोया दशमी, भेजें मां दुर्गा के ये शानदार WhatsApp Stickers, Facebook Greetings और GIF Images
कहा जाता है कि बिजोया दशमी के दिन ही मां दुर्गा अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरी करने के बाद वापस कैलाश पर्वत लौट जाती हैं और इसी के साथ दुर्गा पूजा उत्सव का समापन होता है. इस खास अवसर पर आप अपने बंगाली दोस्तों-रिश्तेदारों को मां दुर्गा के इन शानदान मैसेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स और जीआईएफ इमेजेस के जरिए सुभो बिजोया दशमी कह सकते हैं.
Subho Bijoya Dashami 2021 Messages in English: बंगाली समुदाय के लोग शारदीय नवरात्रि (Sharad Navratri) के दौरान पांच दिनों तक दुर्गा पूजा (Durga Puja) उत्सव को बहुत धूमधाम से मनाते है. पांच दिवसीय दुर्गा पूजा उत्सव की शुरुआत आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से होती है और समापन आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयादशमी (Vijayadashami) यानी बिजोया दशमी (Bijoya Dashami) के साथ होता है. आज (15 अक्टूबर 2021) बंगाली समुदाय के लोग बिजोया दशमी का त्योहार मना रहे हैं, जिसे विजया दशमी और दशहरा भी कहा जाता है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार देवी दुर्गा ने विजयादशमी के दिन ही महिषासुर नाम के असुर का संहार किया था, इसलिए उन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है. दुर्गा पूजा के अंतिम दिन लोग महिषासुर पर मां दुर्गा की जीत का जश्न मनाते हैं.
कहा जाता है कि बिजोया दशमी के दिन ही मां दुर्गा अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरी करने के बाद वापस कैलाश पर्वत लौट जाती हैं और इसी के साथ दुर्गा पूजा उत्सव का समापन होता है. इस खास अवसर पर आप अपने बंगाली दोस्तों-रिश्तेदारों को मां दुर्गा के इन शानदान मैसेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स और जीआईएफ इमेजेस के जरिए सुभो बिजोया दशमी कह सकते हैं.
1- सुभो बिजोया दशमी 2021
2- सुभो बिजोया दशमी 2021
3- सुभो बिजोया दशमी 2021
4- सुभो बिजोया दशमी 2021
5- सुभो बिजोया दशमी 2021
गौरतलब है कि बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की जीत के प्रतीक इस पर्व को बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. दुर्गा पूजा उत्सव के आखिरी दिन यानी विजयादशमी के दिन बंगाली समुदाय की महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं, जिसे पारंपरिक सिंदूर खेला के नाम से जाना जाता है. दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान मां दुर्गा की विधिवत पूजा-अर्चना करने के बाद दशमी तिथि पर सिंदूर खेला के साथ मां दुर्गा को विदाई दी जाती है.